राजनाथ सिंह से दिल्ली में मिलकर मांग पत्र सौंपा सेंट्रल बार ने

महामंत्री संजीव पाण्डेय ने बताया कि राजनाथ सिंह को सेंट्रल बार ने पन्द्रह सूत्रीय माँग का ज्ञापन दिया। जिसमें प्रमुख रूप से अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम,अधिवक्ताओं का सामूहिक बीमा दस लाख, अधिवक्ता व उसपर आश्रित परिवार को पाँच लाख का मेडिक्लेम, अधिवक्ताओं के चैम्बर को घरेलू दरो पर बिजली आदि मांगें प्रमुख रूप से शामिल हैं।

Update:2020-01-12 19:23 IST

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से सेंट्रल बार एसोसिएशन लखनऊ के प्रतिनिधि मण्डल ने अध्यक्ष आदेश सिंह व महामंत्री संजीव पाण्डेय के नेतृत्व में अधिवक्ताओ की समस्याओं को लेकर मुलाक़ात की। यह मुलाकात उनके 4 अकबर रोड दिल्ली स्थित आवास पर हुई।

15 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन

महामंत्री संजीव पाण्डेय ने बताया कि राजनाथ सिंह को सेंट्रल बार ने पन्द्रह सूत्रीय माँग का ज्ञापन दिया। जिसमें प्रमुख रूप से अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम,अधिवक्ताओं का सामूहिक बीमा दस लाख, अधिवक्ता व उसपर आश्रित परिवार को पाँच लाख का मेडिक्लेम, अधिवक्ताओं के चैम्बर को घरेलू दरो पर बिजली आदि मांगें प्रमुख रूप से शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि इसके अलावा रिक्त पड़ी तहसील की ज़मीन पर सिविल न्यायालय का विस्तार, पार्किंग के लिए परिवहन निगम वर्कशाप में स्थान, सिविल कोर्ट परिसर में आधुनिक महिला शौचालय, सोलर प्लांट, न्यायालयों में अधिवक्ता व न्यायिक अधिकारियों के समुचित बैठने का स्थान व साफ़ सफ़ाई, टोल फ़्री सहित पन्द्रह माँगें शामिल हैं।

श्री पांडेय ने बताया कि इसी सन्दर्भ में विगत सप्ताह मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ को भी सेंट्रल बार द्वारा ज्ञापन दिया गया था व शीघ्र पूर्ण होने का विश्वाश सरकार से अधिवक्ता समाज को मिला था। सरकार को ज्ञापन देने एक माह के अंदर ठोस क़दम नहीं लिया गया तब अधिवक्ता आगे का रास्ता ख़ुद तय कर लेंगे।

जायज मांगे नहीं मनवा पा रहे अधिवक्ता

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि एक समय था जब ईमानदारी से विधि व्यवसाय करने वाले अधिवक्ता की समाज मे इज्जत हुआ करती थी। वरिष्ठ अधिवक्ता बताते है कि भ्रष्ट न्याययिक अधिकारी भी ईमानदार अधिवक्तों से भय खाते थे।तब अधिवक्ता सही मायने में अपनी औऱ समाज के कमजोर वर्ग के हितों की रक्षा करता था। अब जब हमारे पास ऐसे अधिवक्तों की भरमार जिंन्होने हम अधिवक्तों के हित के लिए अपना पूरा जीवन दान कर दिया है फिर भी हम शासन प्रशासन से जायज मांगे नही मनवा पा रहे है।समाज अब हमीं से भय खाता है, जिनके हितों की रक्षा की हम प्रतिज्ञा करते है।

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