Chandauli News: खबर का हुआ असर, खून खराबे के बाद जागा प्रशासन,डीएम के निर्देश पर अधिकारी कार्रवाई में जुटे
Chandauli News: डीएफओ ने दावा किया है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नियमित अभियान चलाए जाएंगे, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह के आश्वासन पहले भी दिए गए हैं, जिनका कोई असर नहीं हुआ है।
Chandauli News: चंदौली जिले के नौगढ़ तहसील के भरदुआ गांव में वन भूमि पर कब्जे को लेकर विवाद ने मंगलवार को हिंसक रूप ले लिया। अवैध कब्जा करने वालों और ग्रामीणों के बीच मारपीट के बाद मामला गरमा गया। जब खून-खराबे की खबर को न्यूज ट्रैक ने प्रमुखता से चलाया। घटना के बाद प्रशासन हरकत में आया, अगर प्रशासन पहले से सतर्क होता तो यह स्थिति पैदा नहीं होती। आपको बता दें कि वन भूमि और ग्राम सभा की जमीन पर अवैध कब्जा कोई नई बात नहीं है।
इसकी कई बार शिकायत की गई, लेकिन प्रशासन ने इसे नजरअंदाज कर दिया। मंगलवार को जब विवाद ने हिंसक रूप ले लिया और मारपीट की नौबत आ गई, तब प्रशासन की नींद खुली। खबर को गंभीरता से लेते हुए डीएम निखिल टीकाराम फुंडे ने डीएफओ, एसडीएम और सीओ को मौके पर भेजा, लेकिन लोगों का कहना है कि यह सिर्फ 'आग बुझाने' का प्रयास है, जबकि अगर समय रहते कदम उठाए जाते तो ऐसी स्थिति पैदा नहीं होती।
बुधवार को राजस्व और वन विभाग की टीम ने विवादित भूमि का सीमांकन कर विवादित राजस्व और वन भूमि को अलग कर दिया। डीएफओ दिलीप श्रीवास्तव और एसडीएम कुंदन राज कपूर के नेतृत्व में बुलडोजर की मदद से करीब दो हेक्टेयर जमीन को अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराया गया। मौके पर गड्ढा खोदकर सुरक्षा के इंतजाम किए गए। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यह उपाय अस्थाई है। प्रशासन हर बार अतिक्रमण हटाता है, लेकिन दोबारा अतिक्रमण रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाता।
खूनी संघर्ष के बाद से इलाके में तनाव है और ग्रामीणों में प्रशासन के खिलाफ आक्रोश बढ़ रहा है। इंडियन पीपुल्स फ्रंट के नेता अजय राय का कहना है कि वन विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारी इलाके की समस्याओं को नजरअंदाज करते हैं। वन भूमि की सुरक्षा प्रशासन की जिम्मेदारी है। लेकिन अधिकारी तभी हरकत में आते हैं, जब मामला गंभीर हो जाता है। यह उनकी लापरवाही का नतीजा है।
वन भूमि पर दोबारा अतिक्रमण रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाने चाहिए। लोग चाहते हैं कि प्रशासन नियमित निगरानी करे और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करे। हालांकि, डीएफओ ने दावा किया है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नियमित अभियान चलाए जाएंगे, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह के आश्वासन पहले भी दिए गए हैं, जिनका कोई असर नहीं हुआ है।