बिना कैरेक्टर सर्टिफिकेट के आरक्षी को ट्रेनिंग पर भेजना गलतः हाईकोर्ट

Update: 2016-07-26 17:15 GMT

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि बिना कैरेक्टर सर्टिफिकेट और नियुक्ति पत्र पाए किसी भी चयनित पुलिस आरक्षी को ट्रेनिंग में नहीं भेजा जा सकता। दो जजों की स्पेशल अपील बेंच ने एकल जज के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि चयनित आरक्षी के कैरेक्टर सत्यापन में यह पाए जाने पर कि उसके खिलाफ आपराधिक केस दर्ज हैंपग, उसे सीधे ट्रेनिंग पर भेजना गलत होगा। ट्रेनिंग पर पहले भेजने और बाद में आरक्षी के चरित्र का सत्यापन कराने के एकल जज के आदेश को दो जजों ने सही नहीं माना है।

यह आदेश न्यायमूर्ति अरूण टंडन और न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की खंडपीठ ने प्रदेश सरकार की विशेष अपील पर दिया है। सरकार की अपील पर बहस करते हुए स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय का तर्क था कि यूपी आर्म्ड कांसुटेबुलरी अधीनस्थ सेवा तृतीय संशोधन नियमावली 2013 और इसकी 2015 की नियमावली में भी यह व्यवस्था है कि किसी भी आरक्षी के चयन के बाद उसका सर्वप्रथम चरित्र सत्यापन होगा। उसके बाद उसकी नियुक्ति के बाद उसे ट्रेनिंग पर भेजा जाएगा।

याची संदीप कुमार हरिजन की पीएसी 2013 की भर्ती में चयन हुआ। उसे 27वीं बटालियन पीएसी सीतापुर में ट्रेनिंग में भेजने का आदेश जारी हुआ। इस बीच चरित्र सत्यापन में पता चला कि उसके खिलाफ आपराधिक केस दर्ज था और उसने इस तथ्य को हलफनामा में छिपा रखा था। विभाग ने उसे ट्रेनिंग पर भेजने से मना कर दिया था। एकल जज ने याची की याचिका पर निर्देश दिया था कि उसे पहले ट्रेनिंग पर भेजा जाए, लेकिन उसकी नियुक्ति डीएम के चरित्र सत्यापन पर निर्भर करेगी। एकल जज के इस आदेश को सरकार ने विशेष अपील दायर कर चुनौती दी थी।

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