काशी के घाटों पर उमड़ी भीड़, व्रतियों ने दिया अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य
आस्था के महापर्व छठ पर काशी के गंगा घाटों की छटा देखते ही बनी। कोरोना के खौफ पर आस्था भारी दिखा। नाक में लेकर माथे तक सिन्दूर और हाथों में सूप लिए महिलाएं ज़ब भगवान भाष्कर को अर्घ्य देने के लिए गंगा की गोद में उतरी तो श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा।
वाराणसी: आस्था के महापर्व छठ पर काशी के गंगा घाटों की छटा देखते ही बनी। कोरोना के खौफ पर आस्था भारी दिखा। नाक में लेकर माथे तक सिन्दूर और हाथों में सूप लिए महिलाएं ज़ब भगवान भाष्कर को अर्घ्य देने के लिए गंगा की गोद में उतरी तो श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा। महिलाओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ परिवार और समाज की खुशहाली के लिए छठी मईया से कामना की।
घाटों पर दोपहर से लगने लगी भीड़
कोरोना की वजह से हाला की गंगा घाटों पर भीड़ कम दिखी। इसके बावजूद कुछ लोग दोपहर से ही तैयारियों में जुट गए। गंगा और वरुणा नदी के साथ साथ जिले के विभिन्न सरोवरों पर छठ व्रती महिलाओं और उनके परिजनों का जुटना शुरू हो गया था। शाम 5 बजकर 3 मिनट पर जैसे ही भगवान भास्कर अस्त होने लगे, व्रती माताओं और उनके परिजन सूर्य देवता को अर्घ्य देकर परिवार के कल्याण की कामना की। शाम के अर्घ्य के बाद अब शनिवार सुबह के अर्घ्य की तैयारियां शुरू हो गयी हैं।
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इन घाटों पर भी दिखी रौनक
वाराणसी के गंगा तट पर दशाश्वमेध घाट सहित तमाम घाटों के अलावा डीएलडब्ल्यू के सूर्य सरोवर और वरुणा नदी के तट पर स्थित शास्त्री घाट पर छठ की रौनक देखने को मिली। इन घाटों पर पर्व का पहला अर्घ्य पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ अर्पित किया गया। वहीं कोरोना महामारी को देखते हुए शहर के बाहर बनी नयी कॉलोनियों में महिलाओं ने घरों के भीतर और बाहर खाली स्थान पर छोटे अस्थायी जलाशय बनाकर उसी में खड़े होकर छठ पूजा किया और अस्ताचलगामी भगवान भास्कर अर्घ्य दिया।
आशुतोष सिंह
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