चीफ जस्टिस डी बी भोंसले कल होंगे रिटायर, 85 जजों को शपथ दिलाने का है रिकार्ड

Update:2018-10-22 20:08 IST

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दिलीप बी भोंसले मंगलवार को सेवानिवृत्‍त होंगे। उनकी सेवानिवृत्ति के अवसर पर कल लखनऊ बेंच में सुबह 10 बजे से न्यायमूर्ति भोंसले की सेवानिवृत्ति के अवसर पर फुल कोर्ट रेफरेंस चीफ जस्टिस कोर्ट में आयोजित की जाएगी। न्यायमूर्ति भोंसले दोपहर में विमान द्वारा इलाहाबाद चले जायेंगे, जहां दोपहर 3 बजे इलाहाबाद हाईकोर्ट में उनका विदाई समारोह आयोजित किया जाएगा। बता दें कि चीफ जस्टिस डी बी भोंसले के नाम सर्वाधिक 85 जजों को शपथ दिलाने का रिकार्ड बना हुआ है।

 

वरिष्‍ठ न्‍यायमूर्ति करेंगे शुरूआत

लखनऊ बेंच में आयोजित फुल कोर्ट रेफरेंस में सबसे पहले सम्मानीय वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति विक्रमनाथ भावोद्गार व्यक्त करने की शुरूआत करेंगे। उनके बाद अवध बार एसोसिएशन लखनऊ के एल्डर्स कमेटी के चेयरमैन एस के कालिया अपने हृदयोद्गार व्यक्त करेंगे। चेयरमैन एस के कालिया के बाद उत्तर प्रदेश के एडवोकेट जनरल (महाधिवक्ता) राघवेंद्र सिंह अपने भाव व्यक्त करेंगे। तत्पश्चात भारत सरकार के सहायक सालिसिटर जनरल एस बी पांडेय न्यायमूर्ति डी बी भोंसले के प्रति अपने भाव उद्गार व्यक्त करेंगे। अंत में सम्मानीय मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी बी भोंसले फुल कोर्ट रेफरेंस का समापन करते हुए अपने सभी सहयोगियों, बार और बेंच के प्रति अपनी भावनाओं को रखेंगे।

पिता रह चुके हैं महाराष्‍ट्र के सीएम

आपको बता दें कि न्यायमूर्ति डी बी भोंसले का जन्म 24 अक्टूबर 1956 को स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवार में हुआ था। उनके पिता बैरिस्टर बाबा साहब भोसले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे। न्यायमूर्ति भोंसले की माता कलावती 94 वर्ष की उम्र में मुम्बई में निवास कर रही हैं। न्यायमूर्ति भोंसले का विवाह 26 अप्रैल 1982 को अरूंधती के साथ हुआ। उनके दो संतान करन और नेहा हैं। करन वर्तमान में मुम्बई उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस कर रहे हैं जबकि नेहा कि स्वयं की एक लॉ फर्म है। न्यायमूर्ति भोंसले ने 1980 में बार की सदस्यता ग्रहण की थी और मुम्बई उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करते हुए असिस्टेंट गवरनमेंट प्लीडर व असिस्टेंट प्रासीक्यूटर के रूप में कार्य शुरू किया था।

15 फुल कोर्ट, 58 एडमिनिस्‍ट्रेटिव कमेटी का किया था आयोजन

मुख्य न्यायाधीश के रूप में 15 फुल कोर्ट और 58 एडमिनिस्ट्रेटिव कमेटी मीटिंग का आयोजन न्यायमूर्ति भोंसले द्वारा किया गया। उन्होने 11994 मामलों में निर्णय डिवीजन बेंच में और 20 मामलों में निर्णय फुल बेंच में किया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में 100 से ऊपर जजों के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य करने का गौरव उन्हें प्राप्त है। पूरे देश में न्यायमूर्ति भोसले एकमात्र ऐसे जज हैं जिन्हें नेशनल एकेडमी आफ लीगल स्टडीज एण्ड रिसर्च (नालसर) और दामोदरन संजीवय्या नेशनल ला यूनीवर्सटी विशाखापट्टनम के चांसलर के रूप में कार्य करने का गौरव प्राप्त है।

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कोर्ट की अन्‍य खबरें:

गांव में मुस्लिम नहीं, उनके नाम पर बन गये 23 शौचालय

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय कौशाम्बी, सिराथू की ग्राम पंचायत हिसामपुर बहरेमऊ में 23 मुस्लिमों के नाम शौचालय बनाकर सरकारी धन का घोटाला करने की जांच का निर्देश सोमवार को दिया गया है। कोर्ट ने याची से कहा है कि वह जिलाधिकारी कौशाम्बी को अर्जी दे और डीएम आरोपों की जांच कराकर कार्यवाही करें।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी भोंसले तथा न्यायमूर्ति यशवन्त वर्मा की खण्डपीठ ने नरेन्द्र कुमार की जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता पी.के श्रीवास्तव व राज्य सरकार के अधिवक्ता राजीव सिंह ने बहस की। याची का कहना था कि हिसामपुर बहरेमऊ गांव सभा में एक भी मुस्लिम परिवार निवास नहीं करता। इसके बावजूद ग्राम प्रधान व अधिकारियों की मिलीभगत से गांव में 23 मुस्लिम परिवारों को शौचालय बनवा दिये गये और लाखों रूपये हड़प लिये गये। याची ने जब इसकी शिकायत की तो कहा गया कि लिपिकीय त्रुटि से 23 मुस्लिमों का नाम दर्ज हो गया था। किन्तु यह नहीं बता रहे कि ये 23 मुस्लिम हैं ही नही तो उनके नाम से फर्जी शौचालय बनवा कर सरकारी धन की लूट की गयी है।

कोर्ट ने कहा कि उ.प्र पंचायतराज अधिनियम के अंतर्गत ग्रामप्रधान के खिलाफ शिकायत की जांच कर कार्यवाही का कानून दिया गया है और जिलाधिकारी को जांच कर कार्यवाही करने का पूरा अधिकार है। इसलिए याची जिलाधिकारी को अर्जी दे और वह जांच कराकर यथाशीघ्र कार्यवाही करे।

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अखाड़ा भवन ध्वस्तीकरण मामले में एसएसपी विवेचना रिपोर्ट के साथ तलब

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कोर्ट की अभिरक्षा में स्थित मुठ्ठीगंज के अखाड़ा भवन ध्वस्तीकरण को लेकर दर्ज प्राथमिकी की विवेचना की प्रगति रिपोर्ट के साथ एसएसपी को 23 अक्टूबर को भी हाजिर होने का निर्देश दिया है और तलब अन्य अधिकारियों की हाजिरी माफ कर दी है।

यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र ने कोट्स इंडिया लि. कम्पनी की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। मालूम हो कि मित्रा प्रकाशन कम्पनी की समापन प्रक्रिया चल रही है। अखाड़ा भवन को कम्पनी का होने के आधार पर हाईकोर्ट ने अपने आधिपत्य मे ंलेकर आफीशियल लिक्वीडेटर की निगरानी में सौंप दिया। इस भवन को उदासीन पंचायती अखाड़ा के महन्त ने अपना बताते हुए नगर आयुक्त को जर्जर भवन ध्वस्त करने की अर्जी दी। जिस पर नगर आयुक्त के निर्देश पर पुलिस सुरक्षा में भवन ध्वस्त कर दिया गया। जिस पर कोर्ट के निर्देश पर लिक्वीडेटर ने कम्पनी के भवन को ध्वस्त करने तथा भवन का लाखों का सामान चोरी कर लेने के आरोप में एफआईआर दर्ज करायी। अखाड़ा के अधिवक्ता गोपाल वर्मा का कहना है कि भवन अखाड़े का है। कोर्ट की अनुमति बगैर ध्वस्तीकरण पर कोर्ट ने सख्त रूख अपनाया और प्रमुख सचिव गृह व अन्य अधिकारियों को तलब किया। दोनों पक्षों की बहस के बाद कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित कर लिया था। फैसला शीघ्र ही सुनाया जायेगा। फिलहाल कोर्ट ने एसएसपी को कम्पनी की सम्पत्ति चोरी की विवेचना की प्रगति रिपोर्ट के साथ तलब किया है।

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