सरकार! अगस्त तो बच्चों का कातिल था, अब सितंबर का क्या

Update:2017-09-17 12:52 IST
सरकार अगस्त तो बच्चों का कातिल था, अब सितम्बर का क्या !

गगन दीप मिश्र

लखनऊ: यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि गोरखपुर वैसे तो ये शहर कई मामलों में दशको से चर्चा में रहता आया है लेकिन 2017 अगस्त में ये शहर दुनिया के इतिहास में दर्ज हो गया। अगस्त के महीने में इस शहर के अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के कारण 40 से ज्यादा बच्चों समेत 70 लोग काल के गाल समां गए। इस अगस्त के महीने ही ही बच्चों की मौत के बाद सरकार के प्रवक्ता और स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा था कि अगस्त में तो बच्चे मरते ही हैं। लेकिन अब सितम्बर आ चुका है और ये सितम्बर भी सितमगर साबित हो रहा।

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70 जान लेने वाला 302 का मुजरिम अगस्त तो बीत गया लेकिन फिर भी बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। सितम्बर का पहला पखवारा बीत चुका है और ये पखवारा करीब दो सौ से अधिक मासूमों को लील चुका है। और बड़ी बात तो ये है कि अभी तो आधा सितम्बर बाकी है। तो अब मंत्री जी को ये कौन बताये कि कातिल अगस्त नहीं और न ही सितम्बर है । कातिल सिस्टम है ।

दरअसल, सूबे में एक ऐसी सरकार है जो खुद में मस्त है, भले ही सूबा सिसक रहा हो, भले ही सूबे में शोक का सैलाब उमड़ आया हो। बहुत अफसोस है। यकीन कीजिए बहुत अफसोस है कि इसी शोक के सैलाब में सियासत को धुलकर झक्क सफेद बनाने की बेशर्म कोशिश हो रही है। भावनाओं को भांग पिलाकर स्वास्थ्य मंत्री मृत्यु के मंडप में बयान देते है कि अगस्त में मौते होती है लेकिन अब तो सितम्बर आ गया। क्या आप नहीं जानते कि घर में बच्चे की किलकारी का गूंजना आत्मा के तार झनकृत कर देता है, वही बच्चा जब निर्जीव होकर टिप्टी पर बंधा पड़ा हो तो छाती फट जाती है ।

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बीजेपी को प्रचंड बहुमत से जिताने वाली सूबे की मासूम जनता ने कभी नहीं सोचा था कि योगी के शासन में सांसे इतनी सस्ती हो जाएंगी। सरकार की लापरवाही की सजा आप महीने को ठहरा देंगे । लेकिन ये लापरवाही छुपती नहीं और ये साबित सितम्बर ने कर दिया।

क्रांति के महीने को मौत के महीने की परिभाषा में गढ़ देने की विद्वता जो आपने दिखाई थी क्या सितम्बर में भी यही दिखाएँगे क्योकि सितम्बर भी कातिल महीने के रूप में उभर रहा है। क्या इसे भी 302 का अपराधी घोषित करेंगे। मेडिकल काॅलेज की 14 सितंबर की रिपोर्ट के अनुसार 24 घंटे में 18 मासूमों ने दम तोड़ दिया। इसमें चार मौतें इंसेफेलाइटिस से हुई। एनआईसीयू में 11 नवजातों की मौत हुई और पीडियाट्रिक्स के आईसीयू में 7 जानें गई। इतना ही नहीं 24 घंटे में बीमारी से 14 मासूमो की मौत हो गई है। इसमें तीन की मौत इंसेफेलाइटिस से हुई है। जबकि इंसेफेलाइटिस के 18 नए मरीज भर्ती किए गए हैं।

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सितम्बर में आये मौत के आकंड़े ये चीख चीख कर बता रहे है कि यूपी सरकार के मंत्री बयानों में तो जोर आज़माईश कर सकते है लेकिन जब सवाल मासूम की मौतों का हो तो ये सारी आज़माईश थम जाती है।

स्वास्थ्य मंत्री ने सरकार की नाकामी छुपाने के लिए अगस्त को बच्चों का कातिल बताया तो आकड़ो के अनुसार बच्चों की जान का दुश्मन सिर्फ अगस्त ही नहीं रहा , सितंबर में भी मासूमों पर सितम कम नहीं हुआ है। सितंबर में बीते 15 दिनों में 190 मासूम काल के गाल में समा चुके हैं। अगर एक दिन की औसत निकाले तो बीआरडी में प्रतिदिन 13 से 14 मासूमों की जान जा रही है।

9 और 10 अगस्त को आक्सीजन की कमी से हुई मासूमों की मौत के बाद पूरे देश में हड़कंप मच गया । प्रेस कांफेरेंस और दौरे की बाढ़ आ गयी।आरोप प्रत्यारोप शुरू हो गया । बच्चों की मौत पर जमकर सियासी गिद्धभोज हुआ तो सरकारी अमले की नींद टूटने का कुछ एहसास हुआ । आनन फानन में सरकारी तंत्र सक्रिय हुआ। विभिन्न मेडिकल काॅलेजों से करीब 19 स्पेशलिस्ट डाॅक्टर्स भी यहां लगाए गए। नियोनेटल वार्ड के आईसीयू में वार्मर की कमी दूर करने के लिए 41 वार्मर विभिन्न जगहों से मंगाए गए। हर स्तर पर माॅनिटरिंग शुरू हो गई। लेकिन मौतों का सिलसिला है कि थमने का नाम ही नहीं ले रहा। शायद गोरखपुर के बच्चों के नसीब में मौत से जंग ही लिखी है।

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सितम्बर के महीने में मौतों का आंकड़ा

तारीख एनआईसीयू पीआईसीयू

1 10 03

2 06 04

3 11 04

4 04 06

5 10 06

6 09 04

7 10 02

8 13 08

9 05 04

10 08 07

11 07 03

12 09 05

13 11 07

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल काॅलेज में अगस्त महीने के उलट सितम्बर में नेताओं के शोरगुल नहीं हैं। न सत्तापक्ष का कोई अब अस्पताल का सूरत-ए-हाल जानने पहुंच रहा न ही विपक्ष ही वहां हुई मौतों को देख सरकारी-तंत्र की विफलता को मुद्दा बना रहा। वहां बचा है तो रोज रूकती साँसों का सन्नाटा और कलेजे का टुकड़ा छीनने की चीखे। बस अब इंतज़ार है तो एक बार फिर से सरकार के एक बयान का जब अगस्त के बाद अब इस सितम्बर को भी इन मौतों का आरोपी बनाकर मुजरिम घोषित किया जायेगा।

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