मिर्च के रेट हुए तीखे, 6 दिनों में सब्जियों के दाम ने छुआ आसमान

जनपद में कई परिवार ऐसे हैं जो महंगाई के चलते नमक-रोटी खाकर गुजारा कर रहे हैं। देशव्यापी 21 दिन के लॉकडाउन का छठवां दिन है। जिला प्रशासन के सहयोग से शहर-कस्बों में भले ही सब्जियां लोगों के गली-मोहल्लों तक पहुंच रही हों, लेकिन आम आदमी की पहुंच से काफी दूर हो गई हैं।

Update:2020-03-30 18:47 IST
मिर्च के रेट हुए तीखे, 6 दिनों में सब्जियों के दाम ने छुआ आसमान

अजय मिश्रा

कन्नौज। जनपद में कई परिवार ऐसे हैं जो महंगाई के चलते नमक-रोटी खाकर गुजारा कर रहे हैं। देशव्यापी 21 दिन के लॉकडाउन का छठवां दिन है। जिला प्रशासन के सहयोग से शहर-कस्बों में भले ही सब्जियां लोगों के गली-मोहल्लों तक पहुंच रही हों, लेकिन आम आदमी की पहुंच से काफी दूर हो गई हैं। कारण, इस समय हरी सब्जियों के दाम डेढ़ गुने तक हो गए हैं। ऐसे में अब हर आदमी के लिए हरी सब्जियों का स्वाद ले पाना मुश्किल हो गया है।

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बाजार में अब तक 20 रुपए किलो बिकने वाला टमाटर 40-60 रुपए किलो पहुंच गया है। 20 रुपए किलो बिकने वाली हरी मिर्च 100 रुपए किलो के भाव बिक रही है। कद्दू और बैगन बहुत कम लोगों की पसंद है। अब यह दोनों सब्जियां 40 रुपए किलो के करीब बिक रही हैं। सब्जियों का राजा कहा जाने वाला आलू 25 से 30 रुपए किलो में दिया जा रहा है।

भिंडी भी 80 रुपए किलो मिल रही है। महंगाई की वजह से गरीब तबका और बड़े परिवारों के सदस्य इन हरी सब्जियों का स्वाद कैसे ले पाएगा। जरूरतमंदों का कहना है कि शासन-प्रशासन ने भले ही लॉकडाउन में घर से निकलने की पाबंदी लगा दी है, और ऐसे में सुविधा के लिए घर-घर तक सब्जी पहुंचाने की व्यवस्था जरूर की हो, लेकिन इन सब्जियों के बढ़े हुए दामों पर फिलहाल कोई अंकुश लगता नहीं दिख रहा है।

प्रशासन को चाहिए कि वह सब्जियों के बेतहाशा बढ़े हुए दामों पर भी कुछ अंकुश लगाने का प्रयास करें। ताकि आम आदमी भी उन हरी सब्जियों का स्वाद ले सकें।

रेट पूछकर पीछे हट जाते गरीब

गरीब लोगों का कहना है कि वह किसी तरह अपना व परिवार का पेट पाल रहे हैं। कई परिवार कभी-कभी नमक और चटनी-रोटी खाकर ही गुजारा कर रहे हैं। हालत यह है कि गली-मोहल्ले में बिकने वाली सब्जी के लोग भाव पूछ कर पीछे हट जाते हैं।

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सब्जियों व राशन के रेट तय, लेकिन पालन नहीं

जिला प्रशासन ने कृषि मंडी समिति के सहयोग से सब्जियों व परचून के सामान के रेट घोषित कर दिए हैं, लेकिन जमीन पर उसका पालन नहीं हो पा रहा है। सीडीओ प्रेमप्रकाश त्रिपाठी की ओर से दाल, आंटा, चावल आदि सामग्री के रेट तय किए जा चुके हैं।

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