Chitrakoot Dadua: दशकों तक जीवित रहेगा ददुवा का अतीत, जानें कैसे डाकू बन गया भगवान

Chitrakoot News: फतेहपुर के नरसिंहपुर कबरहा में बनवाये गये भव्य मन्दिर की वजह से दस्यु सम्राट ददुआ चित्रकूट, बाॅंदा, कौशाम्बी, इलाहाबाद, प्रतापगढ़ और फतेहपुर आदि जिलों में लोगों के दिलो-दिमाग पर अभी भी बसे हुए हैं।

Report :  Zioul Haq
Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2021-06-20 14:00 GMT

ददुवा डाकू (फोटो-सोशल मीडिया)

Chitrakoot News: (ज़ियाउल हक़) चन्दन तस्कर वीरप्पन का जरायम की दुनिया में स्याह अतीत रहा हो या फिर चम्बल के डकैत निर्भय गुर्जर व दस्यु सुन्दरी फूलन देवी का खूंखार चेहरा समय के साथ-साथ लोग भूल जाएंगे लेकिन फतेहपुर अन्तर्गत नरसिंहपुर कबरहा में बनवाये गये भव्य मन्दिर की वजह से दस्यु सम्राट ददुआ चित्रकूट, बाॅंदा, कौशाम्बी, इलाहाबाद, प्रतापगढ़ और फतेहपुर आदि जिलों में लोगों के दिलो-दिमाग पर अभी सदियों तक जिन्दा रहेगा।

ददुआ को भले ही प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने 7 जुलाई 2008 को मुठभेड़ के दौरान चित्रकूट जिले में मार गिराया हो लेकिन मन्दिर की वजह से ददुआ के आतंक की स्याह इबारतें अभी दशकों तक लोगों के मानस पटल पर जीवन्त रहेंगी। बहुमंजिला इस भव्य मन्दिर के निर्माण के बाद यहाॅं भण्डारा भी भव्यतम् किया गया था।

ददुआ ने एक भव्य मन्दिर बनवाया

101 कुन्तल के भण्डारे में प्रदेश की तमाम नामचीन राजनैतिक हस्तियों के अलावा आसपास के दर्जनों जिलों के तकरीबन 50 हजार लोगों ने शिरकत की थी। इससे ददुआ ने अपनी पहुॅंच और रसूख का लोगों को एहसास कराया साथ ही अपनी राजनैतिक महात्वाकांक्षा भी उजागर की।

फतेहपुर में मन्दिर बनवाने के पीछे कारण बताये जाते हैं कि जिस स्थान पर मन्दिर है वहां कभी ददुआ कई जिलों की पुलिस फोर्स से घिर गया था। जहाॅं वह घिरा था वहाॅं पर एक छोटा सा मन्दिर था जिसके सामने नतमस्तक होकर ददुआ ने अपनी सलामती के लिये कामना की।

फोटो-सोशल मीडिया

इसके बाद वह पुलिस को गच्चा देकर भाग निकला। तभी से ददुआ ने प्रण किया था कि वह नरसिंहपुर कबरहा में उस जगह पर एक भव्य मन्दिर का निर्माण करायेगा। अपने प्रण को पूरा करते हुए ददुआ ने एक भव्य मन्दिर बनवाया भी। मुख्य मार्ग के किनारे बने इस मन्दिर की भव्यता लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर लेती है।

धूमिल हुआ अतीत

मन्दिर की वजह से ही मरने के बाद भी ददुआ का अतीत दशकों तक बरबस ही लोगों के दिलों-दिमाग में जीवन्त रहेगा। हालांकि ददुआ के इस मन्दिर के बारे में उसके भाई मिर्जापुर पूर्व सपा सांसद और मौजूदा समय में बाँदा चित्रकूट लोकसभा के कांग्रेस प्रत्याशी बालकुमार पटेल और पुत्र चित्रकूट के पूर्व सपा विधायक और मौजूदा समय में खजुराहो सपा सीट से लोकसभा प्रत्याशी वीर सिंह बताते हैं कि इस मन्दिर का निर्माण उन्होंनें स्वयं कराया है।

ददुआ का मन्दिर में पैसा लगा होने की बात को वह सिरे से खारिज करते हैं। विन्ध्य और चंबल के इतिहास में अब तक डकैत तो एक से बढ़कर एक खूंखार हुए हैं लेकिन उनके खात्मे के साथ ही उनका अतीत भी धूमिल हो गया।

चाहे बात की जाये चम्बल के निर्भय गुर्जर, दस्यु सुंदरी फूलन देवी या फिर विन्ध्य के डकैत ठोकिया, राधे, खड़ग सिंह, मुन्नी लाल यादव या फिर बलखड़िया की पकड़े या मारे जाने के बाद अगले दशक में कोई इनके अतीत को जानने पहचानने वाला नहीं होगा लेकिन मन्दिर की वजह से ददुआ अगले कई दशकों तक लोगों में चर्चा और चिन्तन का केन्द्र रहेगा।

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