Chitrakoot: बूंद-बूंद के लिए तरस रहे पाठा के लोग, सोलर पैनल सिस्टम लगने के बाद भी बिल्कुल बेकार

Chitrakoot News: पाठा में एक तरफ जहां पेयजल का जहां घोर संकट है, वहीं दूसरी तरफ सरकारें तो प्रयास कर रही हैं, लेकिन प्रशासनिक मशीनरी व समाज में गरीबों को पानी देने के नाम पर काम करने वाली स्वयंसेवी संस्थाएं खेल करने से नहीं चूक रही है।

Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2022-04-26 05:32 GMT

चित्रकूट के पाठा में पानी की भीषण समस्या (फोटो-सोशल मीडिया)

Chitrakoot: गर्मी के दौरान पेयजल आपूर्ति के लिए पाठा क्षेत्र के शहरी व ग्रामीण इलाकों में लगी सोलर पैनल सिस्टम की टंकियां लगने के बाद से ही बेकार साबित हो रही है। खासकर यह सिस्टम पाठा के गांवों में लगाए गए थे। उद्देश्य रहा कि बिजली आपूर्ति न होने के दौरान सौर ऊर्जा सिस्टम के जरिए इन टंकियों से जलापूर्ति होगी। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। पाठा में पेयजल के नाम पर प्रशासन के साथ ही स्वयंसेवी संस्थाएं भी खेल करने में पीछे नहीं रही।

पाठा में एक तरफ जहां पेयजल का जहां घोर संकट है, वहीं दूसरी तरफ सरकारें तो प्रयास कर रही हैं, लेकिन प्रशासनिक मशीनरी व समाज में गरीबों को पानी देने के नाम पर काम करने वाली स्वयंसेवी संस्थाएं खेल करने से नहीं चूक रही है। पथरीले व जंगलों के बीच बसे पाठा के गांवों में गर्मी के दौरान बिजली का संकट भी होता है।

इसको देखते हुए डेढ़ वर्ष पहले सरकार ने एक स्वयंसेवी संस्था के माध्यम से मानिकपुर कस्बा समेत लगभग एक दर्जन ग्राम पंचायतों में पेयजल आपूर्ति के लिए पैसा उपलब्ध कराया था। इन गांवों में चुरेह केशरुआ, सरहट, गिदुरहा, रानीपुर कल्याणगढ़, कोटा कंदैला, ऊंचाडीह, ऐलहा बढ़ेहा आदि शामिल है। जिसमें बोर कराकर सोलर पैनल सिस्टम से जलापूर्ति की जानी थी।


आदेश आने के बाद आनन-फानन में बोर कराए गए और टंकी लगाकर सोलर पैनल सिस्टम लगा दिया गया। इनसे करीब एक सप्ताह जलापूर्ति हुई, जिसमें लगभग 80 फीसदी सोलर पैनल सिस्टम ठप हो गए। लगभग 20 फीसदी जो चल रहे है, उनसे भी भरपूर जलापूर्ति नहीं हो रही है।

सूत्रों की मानें तो इन सोलर पैनल सिस्टम में लाखों की धनराशि खर्च कर दी गई, पर उसका फायदा पाठा के लोगों को नहीं मिल रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि कार्यदाई संस्थाओं के साथ-साथ जिम्मेदारों से कई बार शिकायतें भी गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

हैंडओवर न होने से जवाबदेही का मामला लटका

सोलर पैनल सिस्टम लगने के बाद आज तक जिम्मेदारी तय न होने के कारण किसी को हैंडओवर नहीं किया जा सका है। जिसकी वजह से बेकार साबित हो रहे इनको चालू करने के लिए कोई भी संस्था जिम्मेदारी लेने से कतरा रही है।

कुछ लोगों का कहना है कि जो भी बोर कराए गए हैं, उनमें अधिकांश में पानी ही नहीं है। जिसकी वजह से ग्राम पंचायत से लेकर अन्य संस्थाएं इनका स्वामित्व स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। जिसके चलते इनकी मरम्मत भी नहीं हो पा रही है।

टैंकरों से पाठा के गांवों में पहुंचा रहे पानी


पाठा के लोगों की पेयजल संकट से जूझते हुए पीढ़ियां बीत चुकी है। यहां की कहावत भी रही कि भौंरा तोरा पानी गजब कर जाए, गगरी न फूटी चाहै खसम मर जाए। अनुसुइया आश्रम के पास मंदाकिनी की भौंरा दहार से पाठा के लोग कोसों दूर से पानी लेने आते थे। यहीं से यह कहावत बनी थी। सरकार ने पाठा में पेयजल संकट दूर करने के लिए अब तक करोडों-अरबों खर्च कर दिए, हजारों हैंडपंप लगे, सैकडों नलकूप स्थापित हुए पर समस्या वही बनी है। मौजूदा समय पर टैंकरों से गांवों में जलापूर्ति हो रही है।

पाइप पेयजल योजनाओं से भी नहीं मिलता पानी

ग्रामीण अंचलों में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए जलनिगम ने पाइप पेयजल योजनाएं संचालित की थी। बाद में 41 पेयजल योजनाएं संचालन के लिए ग्राम पंचायतों को हैंडओवर कर दी गई। शुरुआती दौर में ही इनकी गुणवत्ता सही न होने के कारण योजनाएं जवाब दे बैठी। करोडो-अरबों खर्च होने के बाद भी लोगों को पानी नहीं मिल पाया। कई बार शासन स्तर से जांच हुई। लेकिन कार्रवाई के बजाय मामला फाइलों में ही दफन हो गया। बताते हैं कि इनमें आधा दर्जन योजनाओं के नलकूप ही बेकार हो चुके है। शेष योजनाएं सिर्फ कागजों पर ही चलाई जा रही है।

बोले जिम्मेदार-

सोलर पैनल सिस्टम से जलापूर्ति न होने की जानकारी संज्ञान में आई है। डीएम व सीडीओ को जांच कराकर कार्रवाई के लिए अवगत कराया है। एक पखवारे के भीतर इनको चालू कराने के लिए कहा गया है। बरगढ़ व मऊ पेयजल योजना अधर में लटकी है, इसे शासन को अवगत कराया है। लापरवाह जिम्मेदारों पर कार्रवाई कराकर जल्द ही इन योजनाओं का कार्य पूरा कराया जाएगा।

अविनाशचंद्र द्विवेदी, विधायक मानिकपुर

पेयजल समस्या निदान के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने खुद पाठा क्षेत्र का भ्रमण किया है। लोगों से जानकारी भी ली है। सोलर पैनल सिस्टम के संबंध में शिकायत मिली है, इसकी जांच के लिए टीम बनाई गई है। जांच कर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई होगी। पाठा में टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है। जिला स्तर पर पेयजल समस्या को लेकर कंट्रोल रुम भी संचालित किया गया है।


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