सीजेएम के अधिकार पर सवाल उठाने वाले शिकायतकर्ता को नोटिस जारी
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार के आरोप में एफआईआर दर्ज कराने की धारा 156 (3) में दाखिल अर्जी पर सीजेएम महोबा की अधिकारिता पर उठाये गये सवालों पर शिकायतकर्ता प्रभुदयाल द्विवेदी को नोटिस जारी की है और राज्य सरकार सहित विपक्षी से जवाब मांगा है।
प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार के आरोप में एफआईआर दर्ज कराने की धारा 156 (3) में दाखिल अर्जी पर सीजेएम महोबा की अधिकारिता पर उठाये गये सवालों पर शिकायतकर्ता प्रभुदयाल द्विवेदी को नोटिस जारी की है और राज्य सरकार सहित विपक्षी से जवाब मांगा है।
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कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि तक सीजेएम महोबा के 18 फरवरी 19 के आदेश के तहत किसी प्रकार के उत्पीड़नात्मक कार्यवाही पर रोक लगा दी है। प्रभुदयाल ने उपनिरीक्षक अशोक कुमर रीता सिंह के विरुद्ध घूस मांगने की शिकायत के साथ सीजेएम के समक्ष अर्जी दी जिस पर कोर्ट ने थानाध्यक्ष चरखारी को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।
जिसे यह कहते हुए चुनौती दी गयी है कि सीजेएम को भ्रष्टाचार के मामले में सुनवाई का अधिकार नहीं है। केवल विशेष अदालत भ्रष्टाचार निवारण ही अर्जी पर आदेश दे सकती है। कोर्ट ने मुद्दे को विचारणीय माना और नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
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यह आदेश न्यायमूर्ति उमेश चन्द्र त्रिपाठी ने दरोगा अनिल कुमार व अन्य की याचिका पर अधिवक्ता विजय गौतम को सुनकर पारित किया है। याचीगण का कहना है कि सूपा रेलवे क्रासिंग के पास गाड़ियों में टक्कर से शिकायतकर्ता घायल हो गया और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया।
जब रिपोर्ट लिखाने गया तो शिकायतकर्ता प्रभुदयाल द्विवेदी को पुलिस ने समझौता करने को कहा। रीता सिंह इंस्पेक्टर पर आरोप है कि थाने पर बुलाया और कहा पन्द्रह हजार रूपये दो नहीं तो तुम्हारे खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा।
पुलिस अधिकारियों को शिकायत पर सुनवाई नहीं हुई तो प्रभुदयाल ने सीजेएम की अदालत में धारा 156 (3) के तहत अर्जी दी। जिस पर कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। याचिका में सीजेएम की अधिकारिता पर सवाल उठाये गये हैं। याचिका की सुनवाई छह हफ्ते बाद होगी।
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