Sonbhadra News: छह वर्ष पूर्व कक्षा सात की छात्रा का किया था अपहरण, अदालत ने दी 10 साल कारावास की सजा

Sonbhadra News: राबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र के एक गांव निवासी कक्षा सात की छात्रा का 6 वर्ष पूर्व अपहरण किए जाने के मामले में दोषी को 10 वर्ष कारावास की सजा सुनाई गई है।

Update: 2022-05-23 13:27 GMT

प्रतीकात्मक फोटो 

Sonbhadra News: राबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र (Robertsganj Kotwali Area) के एक गांव निवासी कक्षा सात की छात्रा का 6 वर्ष पूर्व अपहरण (kidnapping) किए जाने के मामले में दोषी को 10 वर्ष कारावास की सजा सुनाई गई है। सोमवार को सुनवाई के दौरान अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश पॉक्सो सोनभद्र की अदालत ने यह फैसला सुनाया। मामले में दोषसिद्ध पाकर दोषी संतोष उर्फ बच्चा को 10 वर्ष की कैद और 65 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई। अर्थदंड अदा न करने पर एक वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतने के लिए कहा गया। अर्थदंड जमा होने के बाद नियमानुसार पूरी धनराशि पीड़िता को प्रधान कर दी जाएगी।

दूसरी बार लेकर गायब होने की कोशिश के दौरान आया था पकड़ में

अभियोजन कथानक के मुताबिक राबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र के एक गांव निवासी व्यक्ति ने राबर्ट्सगंज कोतवाली में आकर तहरीर दी। इसके जरिए अवगत कराया कि उसकी 13 वर्षीय बेटी जो कक्षा सात की छात्रा है। 27 मई 2016 को रात्रि में राबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र के निपराज गांव निवासी संतोष उर्फ बच्चा पुत्र भुनेश्वर उर्फ सुंदर उसे बहला-फुसलाकर भगा ले गया था। करीब एक सप्ताह बाद उसकी नानी के घर छोड़ दिया था। पुनः 13 जुलाई 2016 को बहला-फुसलाकर उसे ले जा रहा था तभी चोपन में जीआरपी पुलिस (GRP Police) ने पकड़ लिया। पूछताछ के बाद उसे बुलाया गया और उसकी बेटी को उसे सुपुर्द कर दिया गया। तहरीर के आधार पर पुलिस ने अपहरण और पॉक्सो एक्ट में मामला दर्ज कर छानबीन शुरू की। पर्याप्त सबूत मिलने पर संतोष उर्फ बच्चा के विरुद्ध न्यायालय में चार्जशीट दाखिल कर दी गई।

पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों और सुनवाई के दौरान सामने आए तथ्यों के आधार पर पाया गया दोषी

वहां मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों, गवाहों के बयान और पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर संतोष को नाबालिग के अपहरण का दोषी पाया। सुनवाई के दौरान सामने आए तथ्यों के आधार पर दोषसिद्ध पाए गए दोषी संतोष उर्फ बच्चा को 10 वर्ष की कैद और 65 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई।

अर्थदंड अदा न करने की दशा में एक वर्ष की अतिरिक्त कैद भुगतने के लिए भी आदेश पारित किया गया। जो सजा दी गई उसमें जेल में बितायी गई अवधि की सजा समाहित की जाएगी। अर्थदंड जमा होने के बाद पूरी धनराशि पीड़िता को प्रदान की जाएगी। अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी वकील दिनेश अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी और नीरज कुमार सिंह एडवोकेट ने मामले की पैरवी की।

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