लखनऊ: श्रीमान मुख्यमंत्री जी, राजनीति में ये कहा जाता है कि कोई किसी का स्थाई दुश्मन या दोस्त नहीं होता या लोगों की यादाश्त कमजोर होती है ।लेकिन चार साल इतना लंबा वक्त भी नहीं होता कि लोग सबकुछ भूल जाएं। करीब चार साल पहले ही आपने पश्चिमी यूपी के माफिया डी पी यादव को पार्टी में लेने से मना कर दिया था और सपा के बड़े नेताओं को धत्ता बता दिया था।
विधानसभा के चुनाव में जब सपा जीत कर आई और आप सीएम बने तो राज्य के लोगों को आपसे काफी उम्मीदें थी इसलिए कि आप युवा थे और विदेश से शिक्षा लेकर आए थे लेकिन ऐसा नहीं हो सका। लोगों की उम्मीदें पेड़ के सूखे डाल की तरह टूट गईं। अब तो लोग आपके कामकाज पर भी सवाल उठाने लगे हैं।
लोगों के मन में सवाल है कि जिस व्यक्ति ने डीपी यादव को शामिल करने के सवाल पर पार्टी के सीनियर नेताओं की सलाह को भी नकार दिया हो वो माफिया से राजनीतिज्ञ बने और हत्या के जुर्म में जेल में बंद मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल के सपा में विलय के लिए कैसे तैयार हो गया वो भी सिर्फ आने वाले चुनाव में पूर्वी उत्तर प्रदेश में ज्यादा सीट पाने के लिए। कहा जाता है कि शतरंज में एक गलत चाल आपका खेल खत्म कर सकती है।
मुख्यमंत्री जी कोई इस बात पर विश्वास नहीं करेगा कि मुख्तार और उसके भाई अफजाल की पार्टी के सपा में विलय को लेकर आपकी बात को नहीं सुना गया। वो भी तब जब आप पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी आप ही हैं। हाल ही में इलाहाबाद में मंच पर आपने अफजाल को नजदीक आने पर फटकार दिया था।
हो सकता है कि इस विलय से आपको विधानसभा-2017 के चुनाव में आपको जीत मिल जाए लेकिन मुझे लगता है कि ऐसे फैसले आपको भी तकलीफ देते रहेंगे और मुझ जैसे लोगों को भी जो आपमें युवा आईकान की छवि देखते हैं ।
सीएम साहब आप विपक्ष की आलोचना का जवाब अपने विकास के काम से देते रहे हैं। विपक्ष जब कानून व्यवस्था और अपराधीकरण की बात करता है तो आप विकास की बात कर जवाब देते हैं लेकिन अब दो गुंडे भाई की पार्टी का सपा में विलय कर विपक्ष का कैसे सामना करेंगे। लगता है कि आपने तो जान बूझकर विपक्ष को एक मुद्दा दे दिया है।
क्यों आप इस तरह असहाय दिख रहे हैं। ये उन लोगों को सालता है जो सपा को पसंद नहीं करते हुए भी आपको पसंद करते हैं। चुनाव में अभी कुछ महीने का वक्त है और हम जैसे लोग चाहते हैं कि आप विलय की इस गलती को सुधारकर उम्मीदों को टूटने नहीं देंगे।