इलेक्ट्रिसिटी बिल 2020 का विरोध करें सभी राज्यों के CM: बिजली फेडरेशन
आल इण्डिया पावर इन्जीनियर्स फेडरेशन ने देश के सभी प्रांतों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य मन्त्रियों को पत्र भेजकर अपील की है कि वे कोविड - 19 महामारी के बीच निजीकरण के लिए लाये गए इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 का विरोध करें।
लखनऊ: आल इण्डिया पावर इन्जीनियर्स फेडरेशन ने देश के सभी प्रांतों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य मन्त्रियों को पत्र भेजकर अपील की है कि वे कोविड - 19 महामारी के बीच निजीकरण के लिए लाये गए इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 का विरोध करें।
फेडरेशन ने मुख्यमंत्रियों को भेजे गए पत्र में मुख्य रूप से यह सवाल उठाया है कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 पारित हो गया तो बिजली के मामले में राज्यों के अधिकार का हनन होगा और टैरिफ तय करने से लेकर बिजली की शिड्यूलिंग तक में केंद्र का दखल होगा।
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बिजली के मामले में राज्यों को केंद्र के समान बराबर का अधिकार
ऑल इण्डिया पावर इन्जीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने रविवार को बताया कि बिजली संविधान की समवर्ती सूची में है जिसका अर्थ यह होता है कि बिजली के मामले में राज्यों को केंद्र के समान बराबर का अधिकार है किन्तु इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के जरिये बिजली के मामले में केंद्र एकाधिकार जमाना चाहता है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा कानून के अनुसार राज्य सरकार के कहने पर राज्य का विद्युत् नियामक आयोग किसानों, गरीबों और कम बिजली उपभोग करने वाले घरेलू उपभोक्ताओं के लिए सब्सिडी को सम्मिलित करते हुए बिजली की तर्कसंगत दरें तय करता है।
उन्होंने बताया कि नए संशोधन बिल में यह प्राविधान किया गया है कि नियामक आयोग बिजली की दरें तय करने में सब्सिडी को सम्मिलित नहीं कर सकता और सभी उपभोक्ताओं को बिजली की पूरी लागत देनी होगी।
इस प्रकार बिजली की दरें तय करने में गरीब उपभोक्ताओं को सब्सिडी देने के राज्य के अधिकार को छीना जा रहा है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार नए बिल के अनुसार इलेक्ट्रिसिटी कॉन्ट्रैक्ट एनफोर्समेन्ट अथॉरिटी का गठन कर रही है।
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इन नियमों का दिया हवाला
यह अथॉरिटी बिजली वितरण कंपनियों और निजी क्षेत्र के बिजली उत्पादन घरों के बीच बिजली खरीद के करार के अनुसार भुगतान को सुनिश्चित करने का कार्य करेगी और इस अथॉरिटी के पास यह अधिकार होगा कि यदि निजी उत्पादन कंपनी का भुगतान सुनिश्चित नहीं किया गया है तो राज्य को केंद्रीय क्षेत्र और पावर एक्सचेंज से एक यूनिट बिजली भी न मिल सकें।
करार का पालन कराने के अधिकार आज भी राज्य के नियामक आयोग के पास हैं लेकिन इस नई अथॉरिटी के बनने के बाद राज्य में बिजली देने (शिड्यूलिंग) का अधिकार अब केंद्र सरकार के पास चला जाएगा।
दुबे ने बताया कि इसके साथ ही नए बिल में यह प्राविधान किया जा रहा है कि राज्य विद्युत् नियामक आयोग के चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति का अधिकार अब केंद्र सरकार के पास चला जायेगा और राज्य के पास नहीं रहेगा। इनके चयन के लिए अब केंद्र सरकार की चयन समिति होगी जिसमे राज्य का कोई प्रतिनिधि भी नहीं होगा।
सोलर पावर खरीदना राज्य के लिए बाध्यकारी होगा
उन्होंने बताया कि नए बिल में एक निश्चित प्रतिशत तक सोलर पावर खरीदना राज्य के लिए बाध्यकारी होगा और ऐसा न करने पर राज्य को भारी पेनाल्टी देनी होगी। बिजली की जरूरत न होने पर भी यह बिजली खरीदनी पड़ेगी।
जिसके लिए राज्य को अपनी बिजली उत्पादन इकाइयों को बंद करना पडेगा जिससे सबसे सस्ती बिजली मिलती है। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर इस संशोधन बिल से केंद्र के अधिकार बढ़ेंगे और राज्य के अधिकारों का हनन होगा।
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