लखनऊ। सपा और बसपा सरकार के दौरान नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे अथारिटी में जमकर गड़बड़िया हुईं। पर इन प्राधिकरणों की कैग से आडिट कराने का जोखिम नहीं उठाया गया। पूर्व की प्रदेश सरकार ने कैग के आडिट करने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया।
अब योगी सरकार ने इन अथारिटीयों की जांच कैग (भारत के नियंत्रक व महालेखा परीक्षक) से कराने का निर्णय लिया है। जानकारों के मुताबिक इसमें अरबों के घोटाले खुलेंगे। प्रदेश के औदयोगिक विकास विभाग ने इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिया है।
इसके पहले कैग ने सन 2012 में यूपी सरकार से इन तीनों अथॉरिटी का आडिट खुद किये जाने की अनुमति मांगी थी। जिसे अखिलेश सरकार में मंजूरी नहीं दी गई थी। तर्क दिया गया कि किसी संस्था को अपनी पसंद के मुताबिक किसी अन्य संस्था की जांच का अधिकार नहीं है।
यूपी सरकार अदालत तक में कह चुकी है कि इन तीनों अथारिटियों का इंटरनल आडिट कराया जाता है, ऐसे में कैग से आडिट कराने का कोई मतलब नहीं है। इसके उलट वर्षों से इन तीनों ही अथारिटीयों पर आरोप लगता रहा है कि यहां के कामों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां होती हैं।
पिछली सपा और बसपा सरकार में इन प्राधिकरणों पर कई बार भ्रष्टाचार के आरोप भी लगते रहे। प्लाटों के बड़े पैमाने पर आवंटन के काम के बावजूद यहां सिर्फ आंतरिक आडिट ही होता रहा है। इस पर कभी आपत्ति भी नहीं हो सकी। आम जनता को इस आडिट के बारे में जानकारी भी नहीं हो पाती थी। पर कैग की जांच के बाद दूध और पानी अलग—अलग होने की गुंजाइश है।
यादव सिंह सरीखे कई भ्रष्टाचारियों की खुलेगी पोल
जानकारों के मुताबिक नोएडा और ग्रेटर नोएडा के चीफ इंजीनियर रहे यादव सिंह के कारनामों की लिस्ट तो सिर्फ बानगी भर है। कैग की जांच की आंच में ऐसे भ्रष्टाचारियों की पोल खुलने की उम्मीद है। जिन्होंने इन प्राधिकरणों में वर्षों तक मनमाने तरीके से काम किया।