थाईलैण्ड के रामलीला प्रशिक्षकों से मिले सीएम योगी, कही ये बड़ी बात

उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम आदर्श जीवन एवं सांस्कृतिक मूल्यों के अधिष्ठाता हैं। मान्यता है कि जिसने भगवान श्रीराम का नाम जपा उसका जन्म और जीवन धन्य हो गया। 

Update: 2019-10-23 14:18 GMT

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को ‘भारतीय भाषाओं में रामकथा’ के विद्वानों, अन्तर्राष्ट्रीय रामायण चित्रकला शिविर के कलाकारों एवं थाईलैण्ड की ‘खोन’ रामलीला के प्रशिक्षकों को सम्मानित किया। यह आयोजन दीपोत्सव-2019 के अवसर पर अयोध्या शोध संस्थान द्वारा किया गया था।

राजधानी स्थित मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित इस कार्यक्रम में साहित्यकारों एवं कलाकारों का स्वागत करते हुए योगी ने कहा कि इन लोगों ने भारत के अतिप्राचीन सांस्कृतिक स्तम्भ को एक नई पहचान देने का कार्य किया है।

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भगवान राम आदर्श जीवन एवं सांस्कृतिक मूल्यों के अधिष्ठाता: सीएम योगी

उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम आदर्श जीवन एवं सांस्कृतिक मूल्यों के अधिष्ठाता हैं। मान्यता है कि जिसने भगवान श्रीराम का नाम जपा उसका जन्म और जीवन धन्य हो गया।

साहित्यकारों ने अपनी लेखनी के माध्यम से मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की गाथा को लाखों लोगों तक पहुंचाकर एक बड़ा शुभ कार्य किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अपनी कला के द्वारा रामायण के प्रसंगों को आमजन तक पहुंचाने वाले कलाकारों एवं सांस्कृतिक कर्मियों का योगदान अभिनन्दनीय है।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अयोध्या शोध संस्थान देश और दुनिया में बिखरी रामायण काल से जुड़ी सभी वस्तुओं का संकलन करने में सफल होगा।

इससे हम भारत की अतिप्राचीन सांस्कृतिक विरासत को देश और दुनिया के समक्ष रखने के साथ-साथ आने वाली पीढ़ी के सामने बहुत बड़ा प्रेरणा केन्द्र प्रस्तुत करने में सफल होंगे। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर चित्रकला एवं पुस्तक प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।

22 भारतीय भाषाओं में रामकथा का प्रकाशन

गौरतलब है कि अयोध्या शोध संस्थान द्वारा 22 भारतीय भाषाओं में रामकथा का प्रकाशन किया गया है। इनमें से 17 भाषाओं के भारतीय विद्वान नेशनल पीजी काॅलेज लखनऊ में आयोजित दो दिवसीय सेमिनार में आमंत्रित थे।

इन विद्वानों में प्रयाग विश्वविद्यालय के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. योगेन्द्र प्रताप सिंह, केन्द्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश के प्रो. हरमहेन्द्र सिंह बेदी, लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित, मलयालम भाषा की विशेषज्ञ एम देवकी तथा सेमिनार संयोजक डाॅ. नीतू सिंह आदि सम्मिलित थे।

प्रो. हरमहेन्द्र सिंह बेदी ने कही ये बात

इस अवसर पर प्रो. हरमहेन्द्र सिंह बेदी ने कहा कि पंजाब का समृद्ध साहित्य रामकथाओं से परिपूर्ण है। श्री गुरुग्रन्थ साहिब के प्रत्येक पृष्ठ में राम शब्द का उल्लेख मिलता है।

लव के नाम से लाहौर तथा कुश के नाम से कसूर का नामकरण हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि तक्षशिला विश्वविद्यालय में जो अध्यापन किया जाता था उसमें आदि रामायण सबसे महत्वपूर्ण हैं।

दीक्षांत के अवसर पर प्रत्येक विद्यार्थी को इस ग्रन्थ के हस्तलिखित पृष्ठ भेंट किये जाते थे। इस प्रकार, दक्षिण-पूर्व एशिया से लेकर सम्पूर्ण विश्व में रामकथा के विस्तार में तक्षशिला विश्वविद्यालय का बहुत बड़ा योगदान है।

कार्यक्रम में प्रदेश के अपर मुख्य सचिव सूचना एवं गृह अवनीश कुमार अवस्थी, प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन जितेन्द्र कुमार तथा निदेशक संस्कृति एवं सूचना शिशिर एवं निदेशक अयोध्या शोध संस्थान डाॅ. वाईपी सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

राजधानी में 18 अक्टूबर से कला शिविर का भी आयोजन हो रहा है। इसमें चार देशों के रामायण विशेषज्ञों द्वारा भगवान श्रीराम, अयोध्या और दीपावली पर आधारित चित्र बनाये जा रहे हैं।

कला शिविर में श्रीलंका के 02, थाईलैण्ड के 06, इण्डोनेशिया से 03 सहित भारत के 10 प्रान्तों के 10 ख्यातिलब्ध चित्रकार सम्मिलित हो रहे हैं।

प्रत्येक चित्रकार द्वारा दो-दो चित्र बनाये जाएंगे। थाईलैण्ड की ‘खोन’ रामलीला के 04 प्रशिक्षक भी भारतेन्दु नाट्य अकादमी में ‘खोन’ रामलीला का प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं।

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