शर्मनाक: कोल और दलित समुदाय शिक्षा से कोसो दूर, कैसे बनेगा भारत विश्वगुरु!
धर्मनगरी चित्रकूट देश के सौ आकांक्षी जिलो में से एक है । ऐसे में यहां शिक्षा के सुधार हेतु कई टीमें विशेष रूप से कार्य कर रहीं हैं । ऐसे में लगातार जिले के शैक्षिक ढांचे को मजबूत करने का काम किया जा रहा है ।
अनुज हनुमत
चित्रकूट। धर्मनगरी चित्रकूट देश के सौ आकांक्षी जिलो में से एक है । ऐसे में यहां शिक्षा के सुधार हेतु कई टीमें विशेष रूप से कार्य कर रहीं हैं । ऐसे में लगातार जिले के शैक्षिक ढांचे को मजबूत करने का काम किया जा रहा है । जिलाधिकारी शेषमणि पांडेय के निर्देशन में बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रकाश सिंह खुद मोर्चा सम्भाले हुए हैं । लेकिन सभी का ध्यान उन आदिवासी परिवारों तरफ नही जा रहा है जिन्हें वाकई में शिक्षा की महती आवश्यकता है ।
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प्राथमिकता नही माना जाता बल्कि भरणपोषण
ऐसे में शिक्षा विभाग को कोल समुदाय की शैक्षिक स्थिति को मजबूत करने हेतु एक विशेष अभियान चलाने की जरूरत है । आदिवासी समुदाय का सबसे बड़ा हिस्सा चित्रकूट जिले में पाठा इलाके में आता है । जहां शिक्षा का ढांचा तो है लेकिन जागरूकता नही है ।
इन परिवारों में शिक्षा को पहली प्राथमिकता नही माना जाता बल्कि भरणपोषण को प्राथमिकता है । अगर इस समुदाय की महिलाओं की बात करें तो शैक्षिक स्तर महज 2-3% ही होगा जो कि उच्च शिक्षा में घटकर शून्य हो जाता है ।
ऐसे में पाठा की इस चरमराई शिक्षा व्यवस्था के मुद्दे को आगे लेकर आये हैं कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष पंकज मिश्र ,उन्होंने एक बार फिर सरकार व शिक्षा विभाग पर हमला बोला है ।
मीडिया से बातचीत में उनके द्वारा बताया गया कि मुख्यमंत्री,शिक्षा विभाग व जिलाधिकारी चित्रकूट को भेजे पत्र में उन्होंने पाठा क्षेत्र में शिक्षा के सुधार की मांग की है और साथ ही जहाँ स्कूलों की आवश्यकता है वहां स्कूल खोले जाने की भी मांग की है। साथ ही सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले अध्यापकों पर भी करारा प्रहार किया है,उनको नियमित रूप से स्कूल भेजने तथा बच्चों को पढ़ाने की बात भी कही है ।
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जन समस्याओं के निस्तारण को लेकर उनका संघर्ष जारी
गौरतलब हो कि इस बीच उन्होंने पाठा क्षेत्र के अधिकांश गांवों का दौरा किया तथा स्कूली छात्र/छात्राओं से मिलकर उनकी समस्याएं जानीं। इस आशय का उन्होंने एक छात्राओं से बातचीत का वीडियो भी सोशल मीडिया पर जारी किया है जिस पर स्पष्ट रूप से छात्राएँ पढ़ न पाने का मलाल व्यक्त कर रही हैं।
पूर्व जिलाध्यक्ष पंकज मिश्र ने कहा कि जन समस्याओं के निस्तारण को लेकर उनका संघर्ष जारी है।इसी कड़ी में वह पिछले काफी दिनों से पाठा क्षेत्र के बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता की तह तक जाने का काम कर रहे थे,उन्होंने सरकार व सरकारी प्रणाली पर गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह कितना शर्मनाक है कि अनुसूचित जाति के अन्तर्गत आने वाली कोल बिरादरी महज 2-3 % शिक्षित है।आज भी उन अभागे बच्चों से साधारणतया शिक्षा कोसों दूर है।
सरकारी शिक्षा उनकी पहुँच से बहुत दूर है,उनकी पढ़ाई के नाम पर जिम्मेदार सिर्फ़ खानापूरी कर रहे हैं।वहीं अन्य दलित समुदाय के बच्चों की शिक्षा का प्रतिशत भी बहुत कम या यूं कहें कि न के बराबर है।
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प्रशासन और विभाग को गहरा मंथन करना चाहिए
उन्होंने बताया कि बच्चों से हुई जानकारी के आधार पर यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि पाठा क्षेत्र में शिक्षा के नाम पर विभागीय भ्रष्टाचार के साथ ही नैतिक भ्रष्टाचार भी है।एक बहुत बड़ा तबका शिक्षा से वंचित है।
गोइया गांव में पूर्व जिलाध्यक्ष पंकज मिश्र ने गांववासियों के बीच चौपाल लगाई,व शिक्षा के दर-दर भटक रही कई छात्र/छात्राओं से उनकी परेशानी सुनीं तथा समस्याओं के निस्तारण हेतु संघर्ष करने का भरोसा दिया।
बहरहाल कुछ भी हो लेकिन सियासत से दूर इस विषय पर प्रशासन और विभाग को गहरा मंथन करना चाहिए । गढ़चपा ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले बड़ेहार का पुरवा में रहने वाले सैकड़ो कोल समुदाय के लोगो को आज भी शिक्षा के मंदिर की तलाश है ।
आजादी के बाद से अब तक चौथी पीढ़ी वहां स्कूल नही गई । ऐसे सभी गांवो में रह रहे कोल समुदाय और दलित जाति से आने वाले बच्चो की शिक्षा पर ध्यान देने हेतु एक विशेष मॉडल बनाने की जरूरत है ।
ऐसे गांवो को चिन्हित करके युद्ध स्तर पर कार्य शुरू होना चाहिए । फिलहाल जब तक इस तबके के अंतिम पंक्ति पर बैठे बच्चे तक शिक्षा का अधिकार नही पहुचेगा तब तक हमारा समाज श्रेस्ठ नही बनेगा और न ही विश्वगुरु ।
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