लखनऊ: यूपी में आईएएस और आईपीएस अफसरों के बीच टकराव के हालात पैदा हो गए हैं। मुख्य सचिव राजीव कुमार के 'चिठ्ठी बम' ने जिलों में तैनात आईपीएस और आईएएस अफसरों के बीच खाई पैदा कर दी है। इस चिठ्ठी में मुख्य सचिव ने क़ानून व्यवस्था और क्राइम मीटिंग डीएम की अध्यक्षता में किए जाने का निर्देश जारी किया है। राजीव कुमार के इस आदेश के बाद आईपीएस अधिकारी आहत महसूस कर रहे हैं। फलस्वरूप, आईपीएस खेमा लामबंद हो गया है। आईपीएस एसोसिएशन ने इस संबंध में मंगलवार (12 दिसंबर) को अहम बैठक बुलाई है।
मुख्य सचिव राजीव कुमार ने चिठ्ठी लिखकर प्रदेश भर के प्रशासनिक व पुलिस अफसरों को निर्देश जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि ज़िलों में होने वाली क्राइम मीटिंग और क़ानून व्यवस्था पर होने वाले बैठकों की अध्यक्षता जिलाधिकारी करेंगे और इस मीटिंग में एसएसपी/एसपी को भी मौजूद रहना होगा। यही नहीं, कोतवालों और थानाध्यक्षों की तैनाती भी डीएम की रज़ामंदी से ही हो सकेगी।
चीफ सेक्रेटरी के इस आदेश के बाद आईपीएस अफसर आहत महसूस कर रहे हैं। आईपीएस अफसरों के व्हाट्सएप ग्रुप्स में चीफ सेक्रेटरी के इस आदेश का विरोध हो रहा है। लेकिन कोई भी अफसर इस मामले पर खुलकर बोलने को तैयार नहीं है।
ज़िलों में तैनात कई पुलिस अफसरों ने आईपीएस एसोसिएशन से इस मामले में दखल देने की गुहार लगाई है। इसके बाद आईपीएस एसोसिएशन ने 12 दिसंबर को बैठक बुलाई है। आईपीएस एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीण सिंह ने इस बैठा की पुष्टि की है। कहा, कि कई अहम मुद्दों पर इस बैठक में शामिल किया गया है।
चीफ सेक्रेटरी के ताजा आदेश के बाद भले ही विवाद की स्थति उत्पन्न हो गई हो, लेकिन कानून व्यवस्था की ज़िम्मेदारी और जवाबदेही पहले से ही जिलाधिकारियों की तय होती रही है। यही नहीं प्रत्येक महीने क्राइम मीटिंग की अध्यक्षता करने के निर्देश भी पहले से हैं। लेकिन इस पर अमल नहीं होता था। अब मुख्य सचिव ने इसी पर अमल करने को कहा है।