बुंदेलखंड को भेदने में जुटी कांग्रेस, बंटवारें में प्रियंका गांधी को मिला इतनी सीटों का प्रभार

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल ने बीते मंगलवार को उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों का बंटवारा प्रदेश के दोनों प्रभारियों के बीच कर दिया। यूपी ईस्ट प्रभारी प्रियंका गांधी को 41 लोकसभा सीटों का प्रभार मिला है और यूपी वेस्ट प्रभारी ज्योतिरादित्या को 39 लोकसभा सीटों का प्रभार मिला है।

Update:2019-02-13 13:05 IST

कानपुर: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल ने बीते मंगलवार को उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों का बंटवारा प्रदेश के दोनों प्रभारियों के बीच कर दिया। यूपी ईस्ट प्रभारी प्रियंका गांधी को 41 लोकसभा सीटों का प्रभार मिला है और यूपी वेस्ट प्रभारी ज्योतिरादित्या को 39 लोकसभा सीटों का प्रभार मिला है। कानपुर बुंदेलखंड में 10 लोकसभा सीटें है। जिसमें से प्रियंका गांधी को 4 लोकसभा सीटों का प्रभार मिला है वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया को 6 लोकसभा सीटों का प्रभार मिला है।

एक वक्त था कि कानपुर बुंदेलखंड कांग्रेस पार्टी का गढ़ हुआ करता था। लेकिन 2014 के लोकसभा के बाद से यह बीजेपी का सबसे मजबूत किला बन गया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए यह कानपुर बुंदेलखंड का किला भेदना चुनौती पूर्ण काम होगा।

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कानपुर बुंदेलखंड की झाँसी ,हमीरपुर,बाँदा,जालौन की लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी प्रियंका गांधी को सौंपी गई है। वहीं ज्योतिरादित्या सिंधिया को कानपुर,अकबरपुर,कन्नौज,फरुखबाद,ईटावा,मिश्रिख लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी सौंपी गई है।कानपुर बुंदेलखंड की इटावा ,कन्नौज,फरुखबाद,कानपुर,झाँसी लोकसभा सीटें हमेशा से वीआईपी सीटों की श्रेणी में रही है।

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यदि 2014 के लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो मोदी लहर में कानपुर बुंदेलखंड की 10 लोकसभा सीटों में से 09 सीटों पर बीजेपी का कमल खिला था। कन्नौज की एक मात्र सीट सपा के हाथ लगी थी जिस पर अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव ने किसी तरह से जीत हासिल कर पाई थी। इसी तरह 2017 के विधानसभा चुनाव में कानपुर बुंदेलखंड की 52 विधानसभा सीटों में से 47 सीटे बीजेपी के पास है। इसी लिए कानपुर बुंदेलखंड को बीजेपी का सबसे मजबूत किला कहा जाता है। बीजेपी ने अपने इस किले की घेराबंदी भी जबर्दस्त तरीके से की है।

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जातीय फैक्टर के आधार पर हुआ सीटों का बंटवारा

कानपुर बुंदेलखंड की हमीरपुर,बाँदा, झाँसी,जालौन लोकसभा सीटे प्रियंका गांधी को मिली है। यह सभी लोकसभा सीटे ऐसी है जहाँ पर ब्राह्मण,मुस्लिम और क्षत्रिय वोटरों के साथ ही साथ ओबीसी वोटरों की संख्या सबसे अधिक है। यदि प्रियंका गांधी ब्राह्मण वोटरों में सेंध लगाने में कामयाब हो गई तो यह सीटें जीतने में कामयाब हो सकती है। रही बात मुस्लिम वोटरों की तो कांग्रेस के खाते में जाना तय मानी जा रही है।

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ज्योतिरादित्या सिंधिया को कानपुर बुंदेलखंड की इटावा,कानपुर, अकबरपुर,कन्नौज,फरुखबाद,मिश्रिख जैसी लोकसभा सीटों का प्रभार है। यह सभी लोकसभा सीट क्षत्रिय बहुल है। कांग्रेस पार्टी ज्योतिरादित्य सिंधिया की मदद से क्षत्रिय वोटरों को अपने पाले में लाने का प्रयास किया जा रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले कानपुर,फर्रुखाबाद,अकबरपुर,झाँसी की लोकसभा सीटें कांग्रेस के खाते में थी।

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2009 की मनमोहन सरकार में कानपुर बुंदेलखंड से तीन केंद्रीय मंत्री थे। झाँसी से आदित्य जैन,फरुखबाद से सलमान खुर्शीद और कानपुर से श्रीप्रकाश जायसवाल।अब देखने वाली बात यह होगी कि कानपुर बुंदेलखंड के वोटर को प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्या सिंधिया कांग्रेस का वोटर बनाने में कामयाब हो पाएंगे या नहीं।

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