सरकारी संपत्ति बेचकर देश को खोखला बनाने वाला बजट: अजय लल्लू
प्रधानमंत्री किसान सम्मान का जोर-शोर से ढिंढोरा पीटने वाली मोदी सरकार ने 13 प्रतिशत बजट में कटौती कर दी है। न काला कानून खत्म हुआ और न ही खेती पर जीएसटी खत्म हुई, न डीजल की कीमतें कम हुईं। यह किसानों के साथ घोर अन्याय है।
लखनऊ: कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने केंद्र सरकार के बजट को देश को आर्थिक तौर पर खोखला करने वाला बताया है। उन्होंने कहा कि बजट में केवल सरकारी संपत्तियों को बेचने का प्रस्ताव लाया गया है। सरकार के पास देश की उन्नति का कोई अपना मॉडल नहीं है। वह देश की सार्वजनिक संपत्ति को बेचने में मास्टर बन गई है।
सम्मान व स्वाभिमान के साथ खिलवाड़
प्रदेश कांग्रेस अजय कुमार लल्लू ने केंद्र सरकार के बजट प्रस्तावों को देश के सम्मान व स्वाभिमान के साथ खिलवाड़ बताया है। उन्होंने कहा कि जिन सार्वजनिक सम्पत्तियों को आजादी के बाद लम्बे संघर्ष दौर के बाद स्थापित किया गया उन्हें फायदे में रहने के बावजूद अपने चहेते उद्योगपति मित्रों के हवाले किया जा रहा है। कोरोना महामारी के बाद जहां उम्मीद की जा रही थी कि एमएसएमई, बंद चीनी मिलें, कानपुर का चमड़ा उद्योग, बुनकर, कार्पेट उद्योग, फिरोजाबाद के चूड़ी उद्योग, मुरादाबाद का पीतल उद्योग, सहारनपुर के लकड़ी उद्योग, मेरठ के स्पोर्ट्स से जुड़े कारोबार, कृषि क्षेत्र को आर्थिक पैकेज दिये जायेंगे वहीं सरकार ने इन क्षेत्रों का ख्याल रखने के बजाय ऋण की व्यवस्था का प्रस्ताव दिया है जो जले पर नमक छिड़कने जैसा है।
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रोजगार उपलब्ध कराने में मनरेगा का बड़ा योगदान
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों एवं आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने में मनरेगा का बड़ा योगदान रहा। बजट में 42 प्रतिशत की कटौती से गरीब मजदूर, दलित, आदिवासी, पिछड़ों पर भाजपा सरकार का बड़ा प्रहार है। इतना ही नहीं कृषि का बजट 6 प्रतिशत घटाया जो किसानों के साथ धोखा है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान का जोर-शोर से ढिंढोरा पीटने वाली मोदी सरकार ने 13 प्रतिशत बजट में कटौती कर दी है। न काला कानून खत्म हुआ और न ही खेती पर जीएसटी खत्म हुई, न डीजल की कीमतें कम हुईं। यह किसानों के साथ घोर अन्याय है।
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एयरपोर्ट, रेल, गोदाम, बंदरगाह
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि केन्द्रीय बजट के माध्यम से एयरपोर्ट, रेल, गोदाम, बंदरगाह, सड़क, बिजली ट्रान्समिशन लाइन, भेल आदि सार्वजनिक उपक्रमों को बेंचने या निजीकरण करने की केन्द्र सरकार की तैयारी निश्चित रूप से दुर्भाग्यपूर्ण है और देश को गर्त में ढकेलने वाला कदम है। पेट्रोल और डीजल की कीमतें पहले से ही ऐतिहासिक उच्च स्तर पर हैं जिससे मंहगाई बेलगाम है और आम आदमी की कमर तोड़ने वाली साबित हो रही थी इस बजट में उसे राहत देने के बजाए पेट्रोल और डीजल पर क्रमश: 2.50रूपये और 4 रूपये का सेस लगाया गया है जो आने वाले समय में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आम जनता पर ही बोझ डालने वाला है। इस आम बजट से सरकारी कर्मचारियों एवं मध्यमवर्गीय प्रत्यक्ष करदाताओं को जहां टैक्स में छूट मिलने की उम्मीद थी वह धूलधूसरित हो गयी।
अखिलेश तिवारी