Congress: कुछ इस तरह धीरे धीरे बिखरती गयी टीम राहुल, कांग्रेस का भविष्य माने जाने वाले ये चेहरे हुए पराए
कभी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी रहे युवा नेता आज या तो पार्टी छोड़ चुके हैं या पार्टी में अलग थलग महसूस कर रहे हैं। टीम राहुल कहे जाने वाले ये युवा नेता आज विपक्षी पार्टियों की शोभा बढ़ा रहे हैं।
UP Election 2022: कभी देश के अधिकांश सूबों में अपनी हुकूमत चलाने वाली कांग्रेस आज देश के सियासी नक्शे से विल्पुत होते जा रही है। देश में अपना सियासी आधार तेजी से गंवाती जा रही कांग्रेस में पलायन का दौर जारी है। 2014 में केंद्र की सत्ता से रवानगी के बाद से कांग्रेस में कई बार सेंध लग चुकी है।
कभी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी रहे युवा नेता आज या तो पार्टी छोड़ चुके हैं या पार्टी में अलग थलग महसूस कर रहे हैं। टीम राहुल कहे जाने वाले ये युवा नेता आज विपक्षी पार्टियों की शोभा बढ़ा रहे हैं। इनमे केंद्रीय उड्डय़न मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री जितिन प्रसाद, राज्यसभा सांसद सुष्मिता देवा और नये नवेले भाजपाई बने आरपीएन सिंह शामिल हैं।
इसके अलावा असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी हैं। वहीं सचिन पायलट औऱ मिलिंद देवड़ा समय समय पर पार्टी को आंख दिखाते रहते हैं। तो आइए इन नेताओं के कांग्रेस से रूखसती होने के कारणों पर एक नजर डालते हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया
टीम राहुल में सबसे कद्दावर चेहरे के तौर पर देखे जाने वाले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया राहुल गांधी के बेहद करीबी माने जाते थे। दोनों को संसद में अक्सर साथ देखा जाता था। मध्य प्रदेश की सियासत में मजबूत पकड़ रखऩे वाले सिंधिया 2019 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद पार्टी में अलग थलग महसूस करने लगे। 2018 के एमपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उनका चेहरा आगे कर जीत हासिल की थी। लेकिन जब कुर्सी मिलने की बारी आई तो कमलनाथ बाजी मार गए।
दिग्विजय सिंह औऱ कमलनाथ के द्वारा राज्य में उन्हें अलग थलग की कोशिश करने औऱ केंद्रीय नेतृत्व द्वारा ढुलमुल रवैया अपनाने से अजिज आकर उन्होंने पार्टी छोड़ दी। उनके जाने उनके समर्थक विधायकों के बगावत ने राज्य में पुनः बीजेपी के शासन का मार्ग प्रशस्त कर दिया।
जीतिन प्रसाद
उत्तर प्रदेश से आने वाले जितिन प्रसाद भी टीम राहुल के ही चेहरों में से एक थे। उत्तर प्रदेश में पार्टी के युवा ब्राह्मण चेहरे के तौर पर देखे जाने वाले प्रसाद मनमोहन सरकार में मंत्री रह चुके हैं। कांग्रेस में अपने सियासी भविष्य को डुबता देख उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया। पार्टी ने भी उन्हें रोकने की कोशिश नहीं की। आज वो योगी सरकार में मंत्री हैं।
सचिन पायलट
ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद सचिन पायलट टीम राहुल के सबसे कद्दावर नेताओं में शुमार थे। राजस्थान से आने वाले पायलट के साथ भी वही हुआ जो उनके दोस्त सिंधिया के साथ एमपी में हुआ। पांच साल तक राज्य में भाजपा सरकार के खिलाफ लड़ने सचिन पायलट चुनाव जीतने के बाद सीएम कुर्सी से दूर ही रखे गए। एकबार राज्य की कमान अशोक गहलोत के हाथ में आई। काफी समझाने बुझाने के बाद वो डिप्टी सीएम पर राजी हुए। हालांकि 2020 में उन्होंने भी सिंधिया की ही तरह बगावत करने की कोशिश लेकिन नाकामयाब रहे। फिलहाल वो कांग्रेस पार्टी में ही रहकर अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं।
आरपीएन सिंह
उत्तर प्रदेश से आने वाले टीम राहुल के एक औऱ नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह थे। पहली बार में सांसदी का चुनाव जीतकर केंद्रीय कैबिनेट में शामिल हुए आरपीएन राहुल गांधी के करीबियों में शुमार थे। नए नवेले भाजपाई बने आरपीएन सिंह भी अपने सियासी भविष्य को बचाने के लिए हाथ का साथ छोड़ कमल का दामन थामा।
हिमंता बिस्वा सरमा
हिमंता बिस्वा सरमा कभी राहुल गांधी के केंद्रीय किचन कैबिनेट का हिस्सा नहीं रहे। लेकिन वो असम में कांग्रेस के सबसे मजबूत औऱ युवा नेताओं में शुमार थे। मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज सरमा ने कांग्रेस छोड़ भाजपा ज्वाइन कर ली। राहुल गांधी की बेरूखी से नाराज सरमा ने उनपर कई आरोप लगाए। आज सरमा पूर्वातर में बीजेपी के चाणक्य माने जाते हैं।
हालिया संपन्न हुए असम चुनाव में विपक्ष के एक होने के बावजूद वो बीजेपी को चुनाव जीताने में कामयाब रहे। ये सरमा का ही एक्शन प्लान है कि कभी पूर्वोतर में दूर दूर तक नजर नहीं आने वाली बीजेपी आज वहां के अधिकतर राज्यों में या तो सरकार चला रही है या सरकार में है।
सुष्मिता देव
कांग्रेस की दिग्गज युवा नेत्री मानी जानी वाली सुष्मिता देव असम में पार्टी का उभरता हुआ चेहरा थीं। लेकिन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लचर प्रदर्शन और पार्टी के कामकाज से असंतुष्ट होकर सुष्मिता देव टीएमसी में शामिल हों गई। बंगाली मूल की सुष्मिता देव अब टीएमसी की राज्यसभा सांसद हैं। टीएमसी उन्हें पड़ोसी राज्य त्रिपुरा में अपना चेहरा बना सकती है।
मुरली देवड़ा
महाराष्ट्र से आने वाले मिलिंद देवड़ा भी टीम राहुल के अहम सदस्य थे। पिता मुरली देवड़ा से विरासत में राजनीति हासिल करने वाले मिलिंद फिलहाल पार्टी में अलग थलग पड़े हुए हैं। महाराष्ट्र कांग्रेस की कार्य़शैली पर वो कई बार सवाल उठा चुके हैं।
दरअसल 2019 लोकसभा चुनाव में हार के बाद राहुल गांधी की निष्क्रियता ने पार्टी में उनके सहयोगी नेताओं की पोजिशन कमजोर कर दी। लिहाजा सुरक्षित भविष्य की तलाश में कई दिग्गज चेहरे उनका साथ छोड़ गए।