अयोध्या में आज से राम मंदिर का निर्माण शुरू, 28 साल बाद इन्हें मिला दर्शन का मौका

लॉकडाउन के बीच अयोध्या से एक अच्छी खबर आ रही है। सोमवार से यहां राम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो गया है।  श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने आज 28 साल बाद रामलला के दर्शन किए।

Update:2020-05-25 14:39 IST

अयोध्या: लॉकडाउन के बीच अयोध्या से एक अच्छी खबर आ रही है। सोमवार से यहां राम मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो गया है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने आज 28 साल बाद रामलला के दर्शन किए।

उसके बाद पत्रकारों से बातचीत की। इस दौरान मंदिर निर्माण कार्य आज से शुरू होने के बारें में सभी को जानकारी दी। नृत्य गोपाल दास ने कहा कि अब यहां मशीनें आती रहेंगी मंदिर का निर्माण कार्य चलता रहेगा।

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उन्होंने बताया कि आज रामलला को टेंट से बाहर निकालकर अस्थाई मंदिर में विराजमान होने के बाद पहली बार मैंने रामलला के दर्शन किये हैं। ये पल मेरे बेहद ही भाव विभोर करने वाला था। आज बहुत ही पवित्र दिन है। जहां राम लला विराजमान है उनके दर्शन के लिए हम लोग आए हैं। बहुत ही अच्छे से दर्शन हुए और सभी लोगों से बातचीत भी हुई।

जहां रामलला प्रकट हुए हैं वहां पर सभी लोगों को आना चाहिए, दर्शन करना चाहिए। मंदिर निर्माण कार्य पर उन्होंने कहा कि जो शिला है वह तैयार हो चुकी है। जल्द ही मन्दिर निर्माण का कार्य पूरा हो जाएगा।

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बोकारो में हैं श्रीराम के पदचिन्ह

धार्मिक मान्यता है कि झारखंड के बोकारो और हजारीबाग में भगवान राम आए थे। इसके अलावा भी यहां के कई जगह है जहां उनके आने का साक्ष्य मिला है। चास-धनबाद मुख्य पथ करीब 10 किमी दूर पूरब दिशा में स्थित कुम्हरी पंचायत में दामोदर नदी पर बारनी घाट है।

वहां वनवास के दौरान भगवान राम, पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ यहां से होकर गुजरे थे। वह वनवास का 12वां साल और चैत माह की 13वीं तिथि थी। रात्रि विश्राम के बाद सुबह बारनी घाट में स्नान किया था।

इसे पकाहा दह के नाम से भी जाना जाता है।यहां पर पौराणिक पत्थर और उनकी चरण पादुका भी हैं। कसमार प्रखंड के डुमरकुदर गांव के पास श्रीराम के आने का प्रसंग है। कहा जाता है कि माता जानकी की जिद्द पर स्वर्ण मृग की तलाश में भगवान राम आए थे।

यहां कि पहाड़ी पर जिस जगह तीर चलाए थे, वहां से दूध की धारा निकल पड़ी थी, लेकिन एक चरवाहा की शरारत के कारण दूध की धारा पानी में तब्दील हो गई। यहां दो जगहों पर उनके पदचिह्न हैं।

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