झूठे दस्तावेज के सहारे जमानत पर रिहाई की कोशिश करने वालों पर अवमानना नोटिस जारी

हाईकोर्ट में आवेदक की तरफ से दाखिल जमानत अर्जी के समर्थन में हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताया गया कि सलोनी ने घर से भागकर अशोक कुमार से शादी कर ली है। दोनों साथ है। हाईकोर्ट से संरक्षण मिला हुआ है।

Update: 2019-06-04 13:46 GMT

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने झूठे दस्तावेज के सहारे अपहरण के आरोप में जमानत पर रिहाई की कोशिश करने को कोर्ट की अवमानना करार दिया है और कहा है कि आवेदक व शपथकर्ता दोनों पर अवमानना कार्यवाही की जायेगी।

कोर्ट ने याची के अधिवक्ता व शपथकर्ता से 5 जुलाई तक व्यक्तिगत हलफनामा माँगा है साथ ही सरकारी अधिवक्ता को याची द्वारा कोर्ट को गुमराह कर जमानत पर रिहाई की कोशिश का जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज करते हुए आपराधिक अवमानना नोटिस जारी की है।

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यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चैहान ने तिर्वा कन्नौज के शिवम की जमानत अर्जी पर दिया है। मालूम हो कि महेश चंद्र ने 2 फरवरी 19 को तिर्वा थाने में एफआईआर दर्ज कराई। जिसमें आरोप लगाया गया कि 29 जनवरी 19 को उसकी बेटी सलोनी एस.पी. महिला महाविद्यालय तिर्वा में पढ़ने गयी थी तभी से लापता है। याची शिवम व विष्णु पर बेटी के अपहरण का आरोप लगाया। पुलिस ने रिपोर्ट दी कि लड़की की बरामदगी नहीं हो सकी है।

हाईकोर्ट में आवेदक की तरफ से दाखिल जमानत अर्जी के समर्थन में हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताया गया कि सलोनी ने घर से भागकर अशोक कुमार से शादी कर ली है। दोनों साथ है। हाईकोर्ट से संरक्षण मिला हुआ है। उन्हें झूठा फंसाया गया है। एजीए ने कोर्ट को बताया कि याची कोर्ट को झूठी जानकारी देकर गुमराह कर जमानत पाना चाहते है।

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याची जिस सलोनी की बात कर रहा है 9 जुलाई 1997 में जन्मी है और कानपूर देहात के निवासी उदय नारायण की पुत्री है। जिस सलोनी के अपहरण का आरोप है वह 25 अक्टूबर 2001 में जन्मी है और तिर्वा कन्नौज के महेश चंद्र गुप्ता की बेटी है। दोनों में काफी अंतर है। कोर्ट को गुमराह कर जमानत पर रिहाई की कोशिश है। जो कोर्ट की आपराधिक अवमानना है जिस पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है।

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