कोरोना का खेल: चिकित्सा उपकरणों में घोटाला, बिल देखकर लोग हैरान
सूत्रों का कहना है कि करीब 80 लाख का गोलमाल होने की संभावना है। सूत्रों का कहना है कि सभी सामान की खरीद दिल्ली की जिस फर्म से हुआ है।
झाँसी: कोरोना संक्रमण से जहां आम जनजीवन बुरी तरह त्रस्त है। व्यापार कारोबार ठप्प हैं। वहीं, दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के लिए कोविड-19 वरदान साबित हो रहा है। कोरोना वायरस के संक्रमण काल में जनता को हर चिकित्सका मुहैया कराने के लिए सरकार ने खजाने का मुंह खोल दिया है। भारी-भरकम बजट इस पर तुरंत-फुरत आवंटित और स्वीकृत किया जा रहा है। इसी मौके का लाभ उठाने में कुछ अफसर जुट गए हैं।
कोरोना उपकरणों में कालाबाजारी
सरकार की आंखों में धूल झोंकते हुए उपकरणों की खरीद में कई गुना अधिक दिखाकर कमीशन खाना शुरु कर दिया। झाँसी में मैसर्स ईसीओ पॉलीपैक प्राइवेट लिमिटेड बी-162, ओखला इंडस्ट्रीज एरिया फेस-1 नईदिल्ली 20 को कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण से बचाव हेतु चिकित्सा उपकरण आपूर्ति किए जाने का ठेका मिला है। प्रशासनिक अफसर ने इसकी जिम्मेदारी प्रभारी सहायक विकास अधिकारी को सौंपी है।
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जिम्मेदारी मिलते ही प्रभारी सहायक विकास अधिकारी ने आनन-फानन में ग्राम पंचायत अधिकारियों की बैठक कर उक्त उपकरण की प्रत्येक गांव में आपूर्ति करने की जिम्मेदारी दी थी। झाँसी में 496 ग्राम पंचायत है। प्रत्येक ग्राम पंचायत में उक्त उपकरणों की आपूर्ति की गई है। तत्काल बिल भी बनाए गए हैं। मगर जो आपूर्ति ग्राम पंचायत पर वितरित की गई हैं, वह सामग्री बिल्कुल रद्द दी थी। बताते हैं कि मास्क के जो बिल बनाए गए हैं, उन मास्कों की बाजार में कीमत सौ रुपया है। मगर इसका बिल दुगुना बनाया गया। इसको लेकर प्रशासनिक अफसरों में मतभेद शुरु हो गए हैं। इसी तारतम्य में जांच भी शुरु हो गई हैं।
80 लाख के गोलमाल की संभावना
बताते हैं कि थर्मल स्कीन व मास्क की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे हैं। लेकिन बाद में पूरे मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। क्योंकि उक्त उपकरणों का आपूर्ति एक आईएएस अफसर के मौखिक आदेश पर की गई हैं। हालांकि उक्त मामले में एसआईटी ने जांच शुरु कर दी है। इस जांच में प्रभारी सहायक विकास अधिकारी से लेकर ग्राम पंचायत अधिकारी फंसते नजर आ रहे हैं। हालांकि उक्त मामले में डीपीआरओ और एडीओ का कोई लेना देना नहीं है।
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इन लोगों ने बड़े अफसरों के कहने पर ही उपकरणों आपूर्ति की है। उपकरणों का आपूर्ति करने के पहले ही बड़े अफसरों को देखना चाहिए था कि यह उपकरण ठीक है या नहीं?। सूत्रों का कहना है कि करीब 80 लाख का गोलमाल होने की संभावना है। सूत्रों का कहना है कि सभी सामान की खरीद दिल्ली की जिस फर्म से हुआ है। उस फर्म संचालक की एक दर्जन फर्म अलग- अलग नामों से रजिस्टर्ड है। जिनके द्वारा ही कुटेशन दाखिल कर टेंडर हासिल किए जाते हैं।
रिपोर्ट- बी के कुशवाहा