टूट रहा कोरोना वॉरियर्स का मनोबल, कैसे रुकेगी कोविड की लहर

पीजीआई में 100, स्वास्थ्य महानिदेशालय में 45, केजीएमयू में 250 लोगों का स्टाफ पाजिटिव हो चुका है। पीजीआई में 73 नर्सें पाजिटिव पायी जा चुकी हैं।

Written By :  Ramkrishna Vajpei
Published By :  Monika
Update:2021-04-11 12:30 IST

कोरोना वायरस (फाइल फोटो )

लखनऊ: बड़ी खबर ये है कि पीजीआई में 100, स्वास्थ्य महानिदेशालय में 45, केजीएमयू में 250 लोगों का स्टाफ पाजिटिव हो चुका है। पीजीआई में 73 नर्सें पाजिटिव पायी जा चुकी हैं। इसके अलावा सिविल अस्पताल, बलरामपुर अस्पताल में बड़ी संख्या में स्टाफ संक्रमित हो चुका है। कोरोना के फ्रंट लाइनर योद्धा कैसे एक के बाद एक संक्रमित हो रहे हैं। क्यों टूट रहा है उनका मनोबल। ऐसे में सरकार कैसे रोकेगी कोरोना की दूसरी लहर।

कोरोना वायरस (फाइल फोटो )

कोरोना के इन फ्रंट लाइन वॉरियर्स से जब बात की गई तो चौंकाने वाली बात सामने आई। उन्होंने बताया कि पिछली बार जब कोरोना का संक्रमण शुरू हुआ था उस समय सब तरोताजा थे सरकार ने भी 14 दिन की ड्यूटी पर इन वॉरियर्स के आइसोलेशन की व्यवस्था की थी ताकि अगर इनमें वायरस का लोड फैक्टर बढ़ा हो तो नियंत्रित किया जा सके। लेकिन इस बार ये व्यवस्था नहीं है। इसके पीछे प्रशासनिक तंत्र का यह तर्क था कि टीकाकरण के बाद इनमें प्रतिरोधक क्षमता बन गई है इसलिए अब इसकी जरूरत नहीं है।

लेकिन ऐसा हुआ नहीं। नतीजा बड़ी संख्या में इन फ्रंट लाइन वॉरियर्स में संक्रमण के रूप में सामने आया दरअसल वैक्सीन जल्दबाजी में तैयार की गई है। कंपनी का भी 70 फीसदी तक कारगर होने का दावा है। ऐसे में 30 फीसदी लोगों के संक्रमित होने का खतरा लगातार बना हुआ है।

कोरोना वायरस केस (फाइल फोटो )

फ्रंट लाइन वर्कर्स जब लगातार ड्यूटी करते हैं तो उनमें वायरल लोड बढ़ता चला जाता है। कोविड अस्पतालों में ड्यूटी करने वाला स्टाफ तो तीन मास्क लगाते हैं लेकिन सामान्य ड्यूटी वाले डॉक्टर सिंगल मास्क लगाते हैं। कई बार जाने अंजान संक्रमित चीजों को छू लेते हैं। नतीजा चपेट में आ जाते हैं।

45 से अधिक उम्र के लोग जो टीकाकरण के लिए जा रहे हैं उनमें कौन इंफेक्टेड कौन नहीं इसका पता नहीं है। इंजेक्शन लगवाने वाले और लगाने वाले दोनो में ही संक्रमण का खतरा है।

कोरोना वायरस (फाइल फोटो )

सूबे में 18700 डाक्टरों का सेंक्शन कैडर है। वर्तमान में लगभग 12 हजार डॉक्टर हैं। जो कि मरीजों का दबाव देखते हुए अपर्याप्त हैं। ऐसे में डॉक्टरों की कमी पूरा करने के उपायों पर विचार करने की जरूरत है ताकि डॉक्टरों को दबाव से बाहर निकाला जा सके। उदाहरण के लिए जिस सीएचसी पर एक डॉक्टर है वह आइसोलेट कैसे होगा। डॉक्टरों को कोई छुट्टी नहीं।

इसके अलावा डॉक्टरों पर गोल्डेन कार्ड बनाने की जिम्मेदारी है। मीटिंगों में पूछा जाता है इंस्टीट्यूशनल डिलीवरी कम क्यों हुई, वैक्सीनेशन परसेंटेज क्यो गिर गई, एडवर्स एंट्री दी जाती है। कोरोना वॉरियर्स को दुत्कार मिलती है।

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