पिता की मौत के दो दिन बाद मिला बेड, अब बाकी घरवालों को है बचाना

पिता को लेकर मनीष लखनऊ तक गए लेकिन कोविड की रिपोर्ट नहीं थी तो कहीं एडमिट नहीं किया गया। रिपोर्ट आई तो बेड ही नहीं मिला।

Published By :  Shreya
Update: 2021-04-14 15:56 GMT

कोरोना मरीज (सांकेतिक फोटो- सोशल मीडिया)

लखनऊ: राजधानी लखनऊ में एक ऐसा वाकया हुआ है जिसने बिना कुछ कहे ही कोरोना के हालातों की हकीकत को बयां कर दिया है। यहां के इंटौजा में रहने वाले मनीष मिश्रा अपनी मां के लिए अस्पताल की मदद चाहते थे। मनीष अपने पिता के जाने के बाद अब घर के सभी लोगों को सही सलामत बचाने के लिए उनका कोविड टेस्ट कराना चाहते हैं। कुछ रोज पहले ही उन्होंने अपने पिता को खो दिया। 

हालातों से जूझ रहे मनीष के पिताजी तीन चार रोज से बीमार थे, कमजोरी थी। जिसके चलते आसपास के अस्पतालों में शुरुआती इलाज कराया, तो तबियत सुधर गई। लेकिन एक रात तबीयत फिर से बिगड़ गई।

किसी अस्पताल में भर्ती नहीं किया 

फिर अगली सुबह तक उनके पिता का सीना जकड़ गया। तुरंत ही पिता को लेकर मनीष लखनऊ तक गए, लेकिन कोविड की रिपोर्ट नहीं थी तो उन्हें किसी अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया। फिर कुछ देर बाद लखनऊ के एक प्राइवेट अस्पताल में मनीष पहुंचे, तो वहां गेट पर ही पिताजी का कोविड टेस्ट हुआ।

नहीं मिला अस्पतालों में बेड...

मनीष बताते हैं कि ये टेस्ट पहली बार हुआ था। ऐंटीजन जांच में उनके पिता की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद इस अस्पताल ने भर्ती करने से इनकार कर दिया, तो फौरन वो पिताजी को लेकर लखनऊ के आरएसएम अस्पताल पहुंचे, नंबर लगाया लेकिन जब कई घंटे तक भर्ती ना करा सके तो पिताजी को लेकर घर लौट आए।

घर पर इस शाम पिताजी का निधन हो गया। मनीष अपनी बात कहते-कहते रह गए लेकिन कहीं ऑक्सीजन नहीं मिल पाया। अगर ऑक्सीजन मिल जाता, तो पिताजी शायद बच जाते।

उनके पिता के देहांत के दो दिन बाद उन्हें फोन आया, आज बेड खाली है, आइए अपने मरीज को लेकर। तब मनीष ने जवाब दिया- पिताजी का देहांत दो रोज पहले हो चुका है। इसके बाद मनीष कहते रहे कि वो चाहते हैं घर वालों का टेस्ट हो जाए, ताकि मां की नेगेटिव रिपोर्ट दिखाकर अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया जा सके।

तेजी से कोरोना संक्रमण के फैलते लखनऊ में रहने वाले मनीष ही अकेले बेबस इंसान नहीं हैं। ऐसे कई आम आदमी है जो अपनी आंखों के सामने अपने घरवालों को खो रहे हैं। लखनऊ के तमाम अस्पतालों में हालत यहीं है। अब इसमें क्या प्राइवेट, क्या सरकारी और क्या कोई और।

राजधानी में संक्रमित मरीजों की लंबी लाइनों में लगे आम रोगों के रोगी कोविड रिपोर्ट दिखाए बिना भर्ती नहीं हो पा रहे। ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी पड़ने से लोगों को दर-दर भटकना पड़ रहा है। इस पर सीएमओ से लेकर तमाम अफसरों के फोन पर दिन भर सिफारिशें आ रही हैं पर सबका कहना यही है कि संसाधन सीमित हैं और मांग बहुत ज्यादा है।

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