जीवन को सुखी, समृद्ध और संतुलित बनाए रखने के लिए पौधारोपण जरूरी: डॉ. उषा बालचांदनी

कोरोना महामारी ने हमें न सिर्फ पर्यावरण के प्रति जागरूक किया है अपितु पर्यावरण के करीब भी लाया है।

Reporter :  Kapil Dev Maurya
Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update: 2021-06-03 15:46 GMT

श्री अग्रसेन कन्या पीजी कॉलेज, वाराणसी की प्रवक्ता डॉ. उषा बालचंदानी (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

Jaunpur News: कोरोना महामारी ने हमें न सिर्फ पर्यावरण के प्रति जागरूक किया है अपितु पर्यावरण के करीब भी लाया है। पर्यावरण दिवस पर हमें सोचने और समझने को मजबूर किया है कि बिना पर्यावरण के हमारा अस्तित्व नहीं है। इसी संदर्भ में पर्यावरण के महत्व को रेखांकित करते हुए श्री अग्रसेन कन्या पीजी कॉलेज, वाराणसी की प्रवक्ता डॉ. उषा बालचंदानी द्वारा पर्यावरण दिवस पर अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया गया कि मानव जीवन को सुखी, समृद्ध व संतुलित बनाए रखने के लिए पौधारोपण का अपना विशेष महत्व है। मानव सभ्यता का उदय और आरम्भ में प्रकृति अर्थात वृक्ष का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

मानव को प्रारंभ से प्रकृति द्वारा जो कुछ प्राप्त होता रहा है उसे निरंतर प्राप्त करते रहने के लिए पौधारोपण करना अति आवश्यक है। वन ही प्रकृति का श्रृंगार है। वनों के द्वारा प्रकृति का जो रूप खिलता है, वह मनुष्य को प्रेरित करता है और वन ही मनुष्य, पशु-पक्षी, जीव-जंतु आदि के जीवन का आधार हैं। वन के द्वारा ही सबके स्वास्थ्य की रक्षा होती है। शुद्ध हवा हमें वृक्षों द्वारा ही प्राप्त होता है। वृक्षों के बिना मानव जीवन का धरती पर कोई अस्तित्व न है और न ही हो सकता है।

अगर हमें अपने आप को बचाना है, तो पर्यावरण को बचाना होगा। इसके लिए अधिक से अधिक पौधारोपण करना होगा। जिस प्रकार व्यक्ति अपने बच्चों का पालन-पोषण करता है, उसी प्रकार वृक्ष का भी करना चाहिए। हमारे बच्चे हमसे एक पल के लिए अलग हो सकते हैं, परन्तु एक वृक्ष जीवन भर हमारा साथ निभाता है।

कहते हैं एक वृक्ष दस पुत्रों के समान होता है, जो थोड़ा पोषण मांगता, फिर अपनी पूरी उम्र अपना सब कुछ नि:स्वार्थ देता है। मानव को जीते जी लकड़ी की आवश्कता तो होती ही है, मरने के पश्चात भी लकड़ी की आवश्यकता होती है। एक कहावत प्रचलित है - जीते लकड़ी, मरते लकड़ी, देख तमाशा लकड़ी का...

पेड़ों की छांव वो ठंडक है जो जीवन की उदासी को दुर करती, मानव जीवन को हरा-भरा करती है। पीपल, बरगद, नीम, तुलसी ऐसे पेड़ हैं जो ऑक्सीजन से भरे पड़े हैं, यह प्राणदायनी है, धरती का सौन्दर्य है। वर्तमान की आवश्यकता और भविष्य की मांग है। आइए इस पर्यावरण दिवस पर मिलकर एक वृक्ष लगाने का संकल्प करें व इन वृक्षों से अपनी धरती मां का श्रृंगार करे। चलो इस धरती को रहने योग्य बनाएं। सभी मिलकर विश्व पर्यावरण दिवस मनाए।

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