बिजली विभाग में भ्रष्टाचार: उपभोक्ता हो रहे साजिश का शिकार, उर्जा मंत्री से की शिकायत
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन ने अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए उपभोक्ताओं की जेब पर डाका डालना ही अपना धर्म मान लिया है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन ने अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए उपभोक्ताओं की जेब पर डाका डालना ही अपना धर्म मान लिया है। घाटे का हवाला देकर बिजली दरों में इजाफा करने की नीति पर अमल करते हुए अब कारपोरेशन ने चोर दरवाजे से भी उपभोक्ताओं की जेब काटने का इंतजाम कर लिया है। बिजली दरों के मौजूदा स्लैब में बदलाव कर कारपोरेशन अपनी कमाई बढ़ाने की तैयारी में है। कारपोरेशन की शातिरराना चाल का विरोध हो रहा है, गेंद अब ऊर्जा मंत्री के पाले में है। देखना है कि सरकार उपभोक्ताओं का बचाव करेगी या उन्हें कारपोरेशन के भूखे जबड़े में धकेल देगी।
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केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन को बिजली चोरी में पूरे देश में अव्वल होने पर लताड़ लगाई थी
केंद्र सरकार ने 2 साल पहले उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन को बिजली चोरी के मामले में पूरे देश में अव्वल होने पर लताड़ लगाई थी। 40 प्रतिशत से ज्यादा लाइन हानि यानी बिजली चोरी की स्थिति को बदलने के लिए केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार से विशेष निगरानी व्यवस्था लागू करने को भी कहा था। तब उत्तर प्रदेश के 51 विद्युत वितरण खंड को सर्वाधिक बिजली चोरी वाले इलाकों के तौर पर चिन्हित किया गया था जबकि इस तरह के 40% से ज्यादा लाइन हानि वाले कुल विद्युत वितरण खंड पूरे देश में 145 थे।
बिजली चोरी रोकने में नाकाम कारपोरेशन ने पिछले 3 साल के दौरान बिजली के दाम में 27% से ज्यादा की बढ़ोतरी की है। उत्तर प्रदेश ऐसा राज्य है जो अपने पड़ोसी राज्यों हरियाणा दिल्ली के मुकाबले उपभोक्ताओं को महंगी दर पर बिजली बेच रहा है। इसके बावजूद कारपोरेशन का अंकगणित हमेशा गड़बड़ा जाता है। अपना मुनाफा बढ़ाने के लिए कारपोरेशन ने पिछले दिनों ही बिजली दरों में इजाफा किया और अब साल भर के अंदर ही स्लैब दरों में बदलाव कर मोटी कमाई का नया प्रस्ताव तैयार कर लिया है।
स्लैब बदलाव से क्या होगा
पावर कारपोरेशन ने बिजली कंपनियों की कमाई बढ़ाने के लिए विद्युत नियामक आयोग में बिजली दर की मौजूदा 80 स्लैब में बदलाव का ऐसा प्रस्ताव तैयार किया है जिससे उपभोक्ताओं का बिजली बिल अपने आप बढ़ जाएगा। खास बात यह है कि कारपोरेशन की इस कवायद से बिजली उपभोक्ता दर में कोई छेड़छाड़ नहीं होगी लेकिन वास्तविक आय कई गुना बढ़ जाएगी। मिली जानकारी के अनुसार पावर कारपोरेशन ने विद्युत नियामक आयोग को जो प्रस्ताव दिया है उसमें 80 के बजाय विद्युत उपभोग के 53 स्लैब रखे गए हैं। नए स्लैब से उपभोक्ताओं को कम खपत होने पर भी अधिक बिजली मूल्य चुकाना पड़ेगा।
इसको ऐसे समझा जा सकता है कि घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं के अब तक चार स्लैब निर्धारित हैं इन स्लैब के आधार पर उपभोक्ताओं को विद्युत मूल्य का भुगतान करना होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में अनमीटर्ड उपभोक्ताओं का फ्लैट भी खत्म करने की तैयारी है वहां एक स्लैब 4 किलो वाट तक के लिए और दूसरा उससे ऊपर का प्रस्तावित किया गया है। इसी तरह लघु एवं मध्यम उद्योग के लिए दो स्लैब निर्धारित किए गए हैं जिनमें एक 20 किलो वाट तक और दूसरा उससे ऊपर का होगा। इस बदलाव का असर उपभोक्ताओं के विद्युत मूल्य भुगतान पर पड़ेगा। अभी तक बिजली उपभोग के अलग-अलग स्तर पर उसे अलग मूल्य वसूला जाता था लेकिन जब दो या तीन स्लैब ही होंगे तो उपभोक्ताओं को कम खर्च करने पर भी अधिक विद्युत मूल्य दर का भुगतान करना होगा।
स्लैब बदलाव का असली खेल
अभी तक घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं को 150 यूनिट बिजली प्रतिमाह खपत करने पर पहले स्लैब के अनुसार भुगतान करना होता है। पहले स्लैब की व्यवस्था निम्न और अल्प आय वर्ग के उपभोक्ताओं को ध्यान में रखकर की गई है। इसके तहत उपभोक्ताओं से 5.5 रुपए प्रति यूनिट की दर से विद्युत मूल्य वसूला जाता है। 150 यूनिट से अधिक खपत होने पर 300 यूनिट तक 6 रूपया की दर लागू होती है। अर्थात 150 यूनिट तक 5.5 रूपया और शेष 150 यूनिट पर ₹6 प्रति यूनिट का बिल तैयार होता है।
इसी तरह 300 से 500 यूनिटेक 6.5 रुपया और 500 यूनिट से ऊपर ₹7 प्रति यूनिट का चौथा तलब लगाया गया है। लेकिन पावर कारपोरेशन ने 4 स्लैब को बदलकर तीन स्लैब का प्रस्ताव तैयार किया है। नए प्रस्ताव के अनुसार पहला स्लैब 100 यूनिट तक दूसरा स्लैब 101 से 300 यूनिट तक और तीसरा स्लैब 300 यूनिट से ऊपर लागू होगा। अगर यह प्रस्ताव पारित होता है तो कारपोरेशन को मौजूदा बिजली मूल्य दर पर ही लगभग 50% का मुनाफा होगा।
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कारपोरेशन के प्रस्ताव का विरोध जारी
पावर कारपोरेशन की साजिश का विरोध हर स्तर से किया जा रहा है उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कारपोरेशन के प्रस्ताव का विरोध नियामक आयोग के समक्ष किया है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है एक कारपोरेशन का प्रस्ताव घरेलू उपभोक्ताओं के साथ ही लघु उद्यमियों को भी मुश्किल में डालने वाला है। उन्होंने बताया कि इस बारे में उन्होंने ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से भी शिकायत की है। उम्मीद है कि शासन स्तर से मामले में उचित फैसला लिया जाएगा।
अखिलेश तिवारी
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