पूर्व डिप्टी एसपी के खिलाफ कोर्ट ने केस वापस लेने की अर्जी की मंजूर

सीजेएम ने पूर्व डिप्टी एस0पी0 शैलेंद्र सिंह के खिलाफ मुकदमा वापस लेने की राज्य सरकार की अर्जी मंजूर कर ली है। शैलेंद्र सिंह के खिलाफ यह केस 2008 में हजरतगंज थाने पर आईपीसी की धाराअेंा 143,147,353,504 व 506 , पब्लिक प्रापर्टी डैमेज कंट्रोल एक्ट की धारा 2/3 तथा क्रिमिनल ला अमेंडमेंट एक्ट की धारा 7 के तहत दर्ज हुआ था जिसमें विवेचना के बाद अरोपपत्र दाखिल हुआ था।

Update: 2019-01-22 16:48 GMT

लखनऊ: सीजेएम ने पूर्व डिप्टी एस0पी0 शैलेंद्र सिंह के खिलाफ मुकदमा वापस लेने की राज्य सरकार की अर्जी मंजूर कर ली है। शैलेंद्र सिंह के खिलाफ यह केस 2008 में हजरतगंज थाने पर आईपीसी की धाराओं 143,147,353,504 व 506 , पब्लिक प्रापर्टी डैमेज कंट्रोल एक्ट की धारा 2/3 तथा क्रिमिनल ला अमेंडमेंट एक्ट की धारा 7 के तहत दर्ज हुआ था जिसमें विवेचना के बाद अरोपपत्र दाखिल हुआ था। शैलेंद्र ने 2014 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी । योगी सरकार के बनते ही सरकार ने उनके खिलाफ दर्ज इस केस की वापसी के लिए प्रयास प्रारम्भ कर दिये थे।

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सीजेएम आनंद प्रकाश सिंह ने अभियेाजन वापसी के लिए सरकार की अेार से 3 जनवरी 2018 केा दाखिल अर्जी मंजूर करते हुए अपने आदेश में कहा कि लेाक हित मेें केस वापस किया जाना न्यायसंगत प्रतीत होता है लिहाजा केस वापस किया जाता है।

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अभियेाजन ने सीआरपीसी की धारा 321 के तहत केस वापसी की अर्जी डालकर कहा था कि वह केस में नामजद नहीं थे तथा यह भी दलील दी कि शैलेंद्र के खिलाफ केस चलाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। यह भी कहा कि पूरा अभियोजन कथानक संदिग्ध लगता है।

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कोर्ट ने अर्जी पर विचार करने के बाद अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार ने जिलाधिकारी को केस वापसी के लिए पत्र लिखा गया जिसके बाद वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी ने केस वापसी के लिए अर्जी डाली है। यह भी कहा कि शैलेंद्र केस में नामजद नहीं थे तथा लोक सम्पत्ति के क्षति होने के बावत विवेचना नहीं की गयी। कोर्ट ने कहा कि प्रस्तुत केस सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत के तहत वापसी के लिए उचित प्रतीत होता है।

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