कोर्ट ने राज्य सरकार से किया सवाल, कैसे वापस आएगी गबन में गई रकम ?

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार से समाज कल्याण विभाग में गबन में गए करोड़ों रुपए वापस लाने की मांग पर उससे सवाल किया है कि आखिर सरकार यह रकम कैसे वापस लाएगी?

Update:2017-05-03 01:10 IST
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लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार से समाज कल्याण विभाग में गबन में गए करोड़ों रुपए वापस लाने की मांग पर उससे सवाल किया है कि आखिर सरकार यह रकम कैसे वापस लाएगी? कोर्ट ने मुजफ्फरनगर के समाज कल्याण विभाग में हुए इस घोटाले के संबंध में विजिलेंस कमेटी द्वारा की गई बैठक के चार साल बाद भी कोई संतोषजनक कार्रवाई न होने पर सरकार को फटकार भी लगाई है। कोर्ट ने कहा कि यह मामले को ढंकने के प्रयास जैसा है। जस्टिस वी के शुक्ला और जस्टिस डी के उपाध्याय की खंडपीठ ने यह आदेश 'वी द पीपल' संस्था की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर दिया।

याची के वकील प्रिंस लेनिन के मुताबिक, छात्रवृत्ति, शुल्क प्रतिपूर्ति, नेशनल फैमिली पेंशन स्कीम और वृद्धावस्था पेंशन स्कीम के तहत समाज कल्याण विभाग, मुजफ्फरनगर में करोड़ों का गबन किया गया है। इस मुद्दे को एक अधिकारी रिंकु सिंह राही ने उठाया था। जिसके बाद उन पर कातिलाना हमला भी हुआ। हमले में कई गोलियां लगने के बावजूद वह बच गए थे। बाद में उन्होंने साल 2012 में जीपीओ पर धरना भी दिया, लेकिन वहां से उन्हें जबरन हटा दिया गया था।

जिसके बाद याची ने यह याचिका दाखिल करते हुए पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की। इस मामले में प्रमुख सचिव, समाज कल्याण मनोज सिंह ने हलफनामा दाखिल करते हुए 40 करोड़ 33 लाख 78 हजार 984 रुपए का गबन साल 2004-05 और 2008-09 के बीच होने की बात स्वीकार की।

कोर्ट ने पाया कि मामले में आपराधिक मुकदमा तो दर्ज हुआ है और गबन के रकम के संबंध में मामले को राज्य सरकार विजिलेंस कमेटी को भी भेजा गया है। विजिलेंस कमेटी ने इस संबंध में 11 अप्रैल 2013 को एक बैठक की। इसके आगे क्या हुआ, कुछ स्पष्ट नहीं है। कोर्ट ने कहा कि यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह देखे कि गबन की रकम को वापस कैसे लाया जाए। कोर्ट ने संबंधित अधिकारी का व्यक्तिगत हलफनामा तलब करते हुए मामले की अग्रिम सुनवाई 3 जुलाई को करने का निर्देश दिया है।

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