HC ने कहा- BSP के खाते में जमा 104 करोड़ रुपए के मामले में EC तीन महीने में ले निर्णय

हाई कोर्ट ने बसपा द्वारा दिल्ली के करेाल बाग स्थित यूनियन बैंक की ब्रांच में अपने पार्टी अकांउट में 2 दिसंबर, 2016 से 9 दिसंबर, 2016 के बीच 104 करोड़ रुपए के पुराने नोट जमा कराए जाने को नियमों की अनदेखी बताते हुए बसपा के खिलाफ कार्यवाही की मांग वाली पीआईएल पर केंद्रीय चुनाव आयेाग को तीन महीने में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। यह आदेश जस्टिस ए पी साही और जस्टिस संजय हरकौली की बेंच ने प्रताप चंद्र की ओर से दायर एक याचिका पर पारित किया है।

Update: 2017-01-18 15:12 GMT

लखनऊ: हाई कोर्ट ने बसपा द्वारा दिल्ली के करेाल बाग स्थित यूनियन बैंक की ब्रांच में अपने पार्टी अकांउट में 2 दिसंबर, 2016 से 9 दिसंबर, 2016 के बीच 104 करोड़ रुपए के पुराने नोट जमा कराए जाने को नियमों की अनदेखी बताते हुए बसपा के खिलाफ कार्यवाही की मांग वाली पीआईएल पर केंद्रीय चुनाव आयेाग को तीन महीने में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। यह आदेश जस्टिस ए पी साही और जस्टिस संजय हरकौली की बेंच ने प्रताप चंद्र की ओर से दायर एक याचिका पर पारित किया है।

याचिका में क्या मांग की गई थी ?

याचिका में चंदे की उक्त रकम निर्धारित समय के भीतर बैंक में न जमा करने के कारण बसपा के खिलाफ निर्वाचन चिन्ह (आरक्षण एवं बटाई) ऑर्डर 1968 के तहत पार्टी की मान्यता रद करने की मांग की गई थी।

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याचिका में क्या कहा गया है ?

-याचिका में कहा गया था कि निर्वाचन आयेाग ने 29 अगस्त, 2014 द्वारा वित्तीय पारदर्शिता संबधी कई निर्देश पारित किए

-जिन्हें आयेाग ने अपने 19 नवंबर 2014 के आदेश से और अधिक स्पष्ट किया।

-इन निर्देशों में कहा गया है कि कोई भी पॉलिटिकल पार्टी चंदे में प्राप्त नकद धनराशि को 10 कार्यकारी दिवस के अंदर पार्टी के बैंक अकाउंट में अवश्य ही जमा करा देगी।

-इन निर्देशेां में कहा गया है कि यदि किसी पार्टी ने इन निर्देशेां का उल्लंघन किया तो उसके खिलाफ निर्वाचन चिन्ह (आरक्षण एवं बटाई) ऑर्डर 1968 के तहत कार्यवाही की जा सकती है।

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याचिका में क्या तर्क दिया गया है ?

-याचिका में तर्क दिया गया कि नोटबंदी का आदेश 8 नवंबर को आया

-इस कारण उपरेाक्त निर्देशों के तहत अधिकतम 20 नवंबर तक नकद धनराशि बैंक के खाते में जमा कर देना चाहिए था

-लेकिन बसपा ने 2 दिसंबर के बाद 104 करोड़ रुपए जमा कराए

-जो सीधे-सीधे इन निर्देशेां का उल्लंघन है।

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कोर्ट ने चुनाव आयोग को दिया तीन महीने का समय

-याचिका पर सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के वकील ने कोर्ट को बताया कि याची की शिकायत उन्हें मिल गई है।

-चुनावों की व्यवस्था के कारण इस विषय में निर्णय लेने के लिए कुछ समय चाहिए।

-इस पर कोर्ट ने आयेाग को तीन महीने में याची की शिकायत पर निर्णय लेने का आदेश दिया हैं ।

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