नोटबंदी के बाद बंदी की तरफ हथकरघा उद्योग, आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं बुनकर

नोटबंदी के बाद इस छोटी सी रकम पर भी संकट आ गया। अचानक उद्योग मंदा हो गया और गोदाम खाली रहने लगे। बुनकरों ने बाजार से काम लेना भी बंद कर दिया है, क्योंकि बड़े व्यापारी उन्हें पूरे पैसे नहीं दे रहे हैं। पैसों के संकट के कारण बुनकर रॉ मटीरियल भी नहीं खरीद पा रहे हैं। -बुनकरों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि उनके पास बाज़ार नहीं है।

Update: 2016-12-08 08:40 GMT

गोरखपुर: नोटबंदी के बाद से गोरखपुर में हथकरघा उद्योग पर संकट के बादल छाए हुए हैं। सरकार ने किसानों को बैंकों से रुपए निकालने में जिस तरह की राहत दी है, बुनकर भी उसी राहत की मांग कर रहे हैं। बुनकरों की मांग है कि पैसे निकासी के साथ उन्हें बुनियादी सुविधाएं दी जाएं। फिलहाल, नोटबंदी के बाद बुनकर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।

हथकरघा पर चोट

-गोरखपुर के अंधियारीबाग, रसूलपुर, डोमिनगढ़ सहित कई इलाके हथकरघा उद्योग पर ही जीते हैं।

-करीब 10 किलोमीटर के दायरे में हथकरघा की खट-खट के बीच बुनकर दिन-रात हाड़तोड़ मेहनत से परिवार को पालते हैं।

-इसके बाद भी, बुनकरों को 16 से 18 घंटे की मेहनत के बाद बमुश्किल 200 से 250 रुपये ही हाथ में आते हैं।

-पहले यहां के हथकरघा की देश-विदेश तक धूम और मांग थी। बड़े शहरों और नेपाल तक उनका बाज़ार था।

-पॉवरलूम आने और इस उद्योग पर बड़े कारोबारियों का कब्जा होने के बाद हथकरघा पहले ही संकट में चल रहा था।

-इसलिए नोटबंदी का छोटा सा झटका भी हथकरघा के लिए बड़ी चोट साबित हो रहा है और हथकरघा बिखरने लगा है।

घर चलाना मुश्किल

-नोटबंदी के बाद 200-250 की कमाई पर भी संकट आ गया। अचानक उद्योग मंदा हो गया। गोदाम या तो खाली हैं, या फिर माल डंप है, लेकिन काम नहीं है।

-बुनकरों ने बाजार से काम लेना भी बंद कर दिया है, क्योंकि बड़े व्यापारी उन्हें पूरे पैसे नहीं दे रहे हैं।

-पैसों के संकट के कारण बुनकर रॉ मटीरियल भी नहीं खरीद पा रहे हैं।

-बुनकरों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि उनके पास बाज़ार नहीं है और वे बड़े व्यापारियों पर ही निर्भर हैं।

-इसलिए बुनकर अब सरकार से छोटे उद्योगों पर विशेष ध्यान देने की अपील कर रहे हैं।

-बुनकरों का कहना है की नोटबंदी की वजह से घर का खर्च चलना मुश्किल हो रहा है।

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