दलाई लामा ने कहा- शांति फैलाएं, संसार की भलाई के लिए कार्य करें
दलाई लामा सोमवार (16 अक्टूबर) को मेरठ पहुंचे। भारतीय शिक्षा प्रणाली में सार्वभौमिक आचार नैतिकता को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही संस्था आर्युज्ञान न्यास द्वारा बनाए गए पाठ्यक्रम का शुभारंभ दलाई लामा द्वारा सीजेडीएवी पब्लिक स्कूल में किया गया।
मेरठ: दलाई लामा सोमवार (16 अक्टूबर) को मेरठ पहुंचे। भारतीय शिक्षा प्रणाली में सार्वभौमिक आचार नैतिकता को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही संस्था आर्युज्ञान न्यास द्वारा बनाए गए पाठ्यक्रम का शुभारंभ दलाई लामा द्वारा सीजेडीएवी पब्लिक स्कूल में किया गया।
कार्यक्रम के दौरान सर्वप्रथम दलाई लामा का स्वागत विद्यालय के मुख्य द्वार पर 9 संस्थाओं के अधिकारियों स्कूल की प्रधानाचार्या डाॅ. अल्पना शर्मा, आर्युज्ञान न्यास के संस्थापक कुलभूशण बख्शी की पत्नी सुंदर बख्शी ने किया। आर्युज्ञान न्यास सन 2014 में दलाई लामा के मार्गदर्शन में कुलभूशण बख्शी द्वारा स्थापित किया गया। ताकि संपूर्ण भारत के बच्चों में प्राकृतिक रूप से नैतिकता पैदा हो सके।
दलाई लामा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मैंने द्वितीय विश्व युद्ध देखा है, जिसमें करोड़ों लोग मारे गए थे। आज 21वीं सदी में लोगों की सोच बदल रही है। उनका कहना है कि वे शांति चाहते हैं। हमें शांति फैलाने का प्रयास करना चाहिए और अहिंसा के मार्ग पर चलना चाहिए। हथियारों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। संसार में धन और ताकत की तुलना में एकता, प्यार और शांति का अधिक महत्व है। भारत की यह विशेषता है कि वह अपने प्राचीन और आधुनिक ज्ञान को साथ लेकर आगे बढ़ता है।
छात्रों से हुए रूबरू
इस दौरान छात्रों ने परम पावन दलाई लामा से उनके जीवन, आदर्शो और समाजिक परिस्थितियों आदि से संबंधित प्रश्न पूछे। प्रश्नों के उत्तर देते हुए दलाई लामा ने कहा कि उनके रोल माॅडल नागार्जुन और गांधी जी हैं। महात्मा गांधी सदैव शांति के लिए कार्य करते थे। उन्होंने बताया कि अमीर व्यक्तियों की अपेक्षा गरीब अधिक सुखी इसलिए रहता है, क्योंकि गरीब में धन और प्रसिद्धि पाने की लालसा नहीं होती। उन्होंने कहा कि शिक्षा के द्वारा हम शांति, प्यार और एकता की भावना अपने अंदर उत्पन्न कर सकते हैं और संसार की भलाई के लिए कार्य कर सकते हैं। इसमें परिवार और स्कूल दोनों का बहुत योगदान होता है। भारत महान है। इसके अंदर सभी को अपने अंदर समाहित करने की क्षमता एवं गुण है।
लिखी 50 से अधिक पुस्तकें
-दलाई लामा नोबेल पुरस्कार से सम्मानित और आध्यात्मिक गुरु हैं। वे 52 से अधिक देशों का दौरा कर अनेक धर्म के प्रमुखों और वैज्ञानिकों से मिल चुके हैं।
-वह अपने शांति संदेशो में अहिंसा, अंतर धार्मिक मेल-मिलाप, सार्वभौमिक उत्तरदायित्व और करुणा के विचारों को मान्यता देते हैं।
-उन्होंने 50 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। उन्हें अब तक 60 मानद डाॅक्टरेट, पुरस्कार, सम्मान आदि प्राप्त हो चुके हैं।
बताया नैतिकता का महत्व
-आर्युज्ञान न्यास के कार्यक्रम पर प्रकाश डालते हुए एक संक्षिप्त फिल्म का प्रदर्शन हुआ। आर्युज्ञान न्यास के संदेश और प्रगति पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. अविनाश सी. पांडे ने प्रकाश डाला।
-उन्होने सार्वभौमिक नैतिकता के महत्व और उसको बच्चों में विकसित करने की आवश्यकता के बारे में बताया गया कि सार्वभौमिक नैतिक शिक्षा की परिकल्पना धर्मनिरपेक्षता पर आधारित है। बच्चों में संयम, गुण, करुणा, विवेक और सार्वभौमिक उत्तरदायित्व जैसे मानवीय और नैतिक मूल्यों का विकास होना आवश्यक है।
-ये शिक्षा उन्हें स्कूली वातावरण में अधिक आसानी से मिल सकती है। नैतिकता की शिक्षा बच्चों में शैक्षिक विषयों को समझने में भी सहायता करती है।
-दलाई लामा ने देश भर से सार्वभौमिक नैतिक शिक्षा के पाठ्यक्रम प्रयोग के लिए चुने गए। सीजेडीएवी पब्लिक स्कूल, मेरठ सहित 9 स्कूलों के प्रधानाचार्यों को पाठ्यक्रम प्रदान किए।