खतरनाक डाक्टर, जिसकी क्लीनिक थी बम फैक्ट्री, यूपी में क्यों आया

उद्धव सरकार की गिरफ्त से भागा कुख्यात डाक्टर जलीस अंसारी योगी सरकार की गिरफ्त में आखिर फंस ही गया। सीबीआई के इस सजायाफ्यता आतंकी की गिरफ्तारी न सिर्फ यूपी की सुरक्षा एजेंसियों बल्कि देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी कामयाबी है।

Update:2020-01-19 21:34 IST

लखनऊ। रामजन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद यूपी में रही शांति और सीएए को लेकर विरोध न होने से डा. जलीस उर्फ डाक्टर बम काफी परेशान था। पेरोल पर रिहा होने के बाद वापस जेल जाने के बजाए वह भाग कर यूपी में किस खतरनाक इरादे से आया था अभी इस पहलू की जांच जारी है।

उद्धव सरकार की गिरफ्त से भागा कुख्यात डाक्टर जलीस अंसारी योगी सरकार की गिरफ्त में आखिर फंस ही गया। सीबीआई के इस सजायाफ्यता आतंकी की गिरफ्तारी न सिर्फ यूपी की सुरक्षा एजेंसियों बल्कि देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी कामयाबी है।

खास बात ये है कि खुद इसके परिवार वालों ने इसके भागने की सूचना पुलिस को दी और सुरक्षा एजेंसियां बिना मौका गंवाए तत्परता से जुट गईं।

डाक्टर बम की प्लानिंग क्या थी ये एक बड़ा सवाल

आखिर सुरक्षित ठिकाने से डाक्टर जलीस क्यों निकला और राम जन्मभूमि फैसले और सीएए के बाद डाक्टर बम की प्लानिंग क्या थी ये एक बड़ा सवाल है। 6 दिसंबर 1993 को बाबरी के बदले कानपुर में बैठ कर इसने एक साथ रची थी दिल्ली से हावड़ा और हावड़ा से दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस में धमाके की साजिश। कुख्यात आतंकी डॉ. जलीश अंसारी मुंबई स्थित अपने क्लीनिक में ही बम बनाता था औऱ नए-नए प्रयोग करता था। उसकी क्लीनिक बम बनाने की प्रयोगशाला थी।

आतंक की दुनिया में उसे डाक्टर बम के नाम से जाना जाता है। बम बनाने की ट्रेनिंग अब्दुल करीम टुंडा से मिली। वह पाकिस्तान, बांग्लादेश भी जा चुका है। डा. जलीश लश्कर, सिमी समेत कई प्रतिबंधित संगठनों के सीधे संपर्क में रहा है। ब्रेन वॉश करने में भी जलीस का कोई सानी नहीं । 93 में बड़े धमाके करने से पहले उसने 100 से अधिक युवाओं का ब्रेन वॉश कर उन्हें अपने मूवमेंट में शामिल कर लिया।

अजमेर जेल में बंद था जलीस

मुंबई सीरियल ब्लास्ट 1993 राजधानी एक्सप्रेस ब्लास्ट पुणे सीरियल ब्लास्ट सहित 90 के दशक में देश भर में 50 से अधिक बम विस्फोटों की साजिश रचने और उसे अंजाम देने वाले सीरियल ब्लास्ट के मास्टरमाइंड जलीस अंसारी को सेंट्रल जेल अजमेर में जुडिशल कस्टडी में रखा गया था।

जलीस 1993 मुंबई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस में कोटा एवं कानपुर में हुए धमाकों के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था 26 दिसंबर 2019 को जलीस को 21 दिन के पैरोल पर अजमेर जेल से छोड़ा गया था। नियमानुसार पैरोल अवधि में उसे प्रतिदिन स्थानीय थाने में हाजिरी देनी थी।

यूपी पुलिस की भूमिका यहां से शुरू हुई

17 जनवरी 2020 को उसे दोबारा जेल पहुंचना था लेकिन 16 जनवरी 2020 की सुबह ही वह अपने मुंबई स्थित घर से अचानक गायब हो गया। एटीएस मुंबई ने 16 जनवरी 2020 की रात में लगभग 11:00 बजे यह सूचना उत्तर प्रदेश से शेयर करते हुए जलीस अंसारी को गिरफ्तार करने में सहयोग मांगा और उसके जनपद संत कबीर नगर जाने की संभावना जताई।

इसके बाद रेड अलर्ट जारी करते हुए पुलिस महानिदेशक के निर्देश पर संत कबीर नगर बस्ती, कानपुर और लखनऊ के पुलिस अधिकारियों की टीम गठित की गई। जलीस के नेपाल भागने की संभावना को देखते हुए एसएसबी के अधिकारियों से भी समन्वय स्थापित किया गया। मुंबई से लखनऊ की ओर आने वाली ट्रेनों में सघन चेकिंग अभियान चलाया गया। तभी जलीस के कानपुर नगर में होने की सटीक सूचना मिली। इस के बाद पुलिस टीम ने कानपुर नगर से जलीस अंसारी को गिरफ्तार कर लिया।

पेशे से डाक्टर

पूछताछ में पता चला कि डॉ जलीस 1992 में बांग्लादेश के रास्ते भारत आया था। इससे पहले पाकिस्तान में रहकर उसने आतंकवाद संबंधी प्रशिक्षण लिया था। वह हूजी संगठन के संपर्क में रहा। भारत में इंडियन मुजाहिदीन संगठन को ट्रेनिंग देने का काम करता था। इसी कारण यह उपनाम डॉक्टर से मशहूर था।

इसे भी पढ़ें

गायब हुआ ये खतरनाक आतंकी: 50 से ज्यादा बम धमाकों का है दोषी

पेशे से चिकित्सक और एक अन्य आतंकवादी अब्दुल करीम टुंडा से यह प्रभावित है। हैदराबाद, मालेगाव, पुणे, अजमेर आदि स्थानों पर हुए विस्फोटों के लिए डाक्टर जलीस जिम्मेदार है। टाइमर बम का यह विशेषज्ञ है।

लंबा चौड़ा है जलीस का परिवार

सिमी, हुजी, इंडियन मुजाहिदीन के साथ मिलकर जलीस ने तमाम बम धमाकों को अंजाम दिया है। डाक्टर जलीस के पिता मुंबई में रहकर कपड़े की दुकान में काम करते थे। जलीस के 6 भाई हैं। जलीस ने 1982 में साइन हॉस्पिटल मुंबई से एमबीबीएस किया था। 1988 में हैदराबाद के आजम गौरी ने अब्दुल करीम टुंडा से उसकी मुलाकात कराई थी, टुंडा बम बनाने में माहिर था इसी से जलीस ने बम बनाने की विधि में महारत हासिल की।

जलीस की मां का नाम मकबूलन है। इसका भाई अनीस प्लास्टिक का सामान बनाने का काम करता है। रईस बिल्डिंग बनाने के ठेके लेता है। लईक बांद्रा में फिजिक्स का प्रोफेसर है। जुल्फीकार सिविल इंजीनियर प्राइवेट सर्विस करता है। फिरोज प्लास्टिक का सामान बनाने का काम करता है। इसके बच्चों में मुरसलीन रईस के साथ कंस्ट्रक्शन का काम करता है। गुलरेज टैक्सी ड्राइवर है। जावेद सिविल इंजीनियरिंग का काम करता है। मुसब जनरल स्टोर चलाता है।

इसे भी पढ़ें

अभी-अभी ये खूंखार आतंकी अरेस्ट, पाकिस्तान में छिपे आकाओं से कर रहा था बात

डॉक्टर जलीस अंसारी का आपराधिक इतिहास

1989 अब्दुल करीम टुंडा ने बम भरना वह बनाना रईस के कमरे में सिखाया। बम बनाते समय इसका मुंह जल गया

1989 गोंडी में दलितों के क्षेत्र में दो बम रखे और अपने सहयोगी रईस के सहयोग से ब्लास्ट किये

1989 चुनाव कार्यालय में एक धमाका कराया जिसमें 2 लोग मरे और 13 घायल हुए

1989 सीआईडी ऑफिस में बम प्लांट किया और पुलिस को आतंकित करने के लिए खुद ही इनफॉर्म किया जिसे बाद में बम डिस्पोजल टीम ने सेफ ब्लास्ट करा दिया

1989 बाइकला पुलिस स्टेशन में एक बम फेंका जो बाद में ब्लास्ट हुआ इसमें एक आदमी मरा

1989 नयागांव पुलिस परेड मैदान में एक बम रखा इसमें एक पुलिसकर्मी मरा

1989 मलाड स्टेशन पर लोकल ट्रेन में ब्लास्ट किया जिसमें चार पांच लोग घायल इसमें जुनैद पकड़ा गया बाद में बरी हो गया

1989 बर्ली ग्राउंड में एक हैंडबैग में बम रखा जो ब्लास्ट हुआ लेकिन कोई मरा नहीं

1989 शिवाजी पार्क में दो बार रैली में धमाके किए लेकिन कोई मरा नहीं

1990 में इलाहाबाद में बम धमाका किया जिसमें 4 लोग पूरा बम मेटेरियल लेकर इलाहाबाद आए थे वहीं रुके, इस बम धमाके को मेला परिसर में किया गया जिसमें 4 व्यक्ति मरे और 14 घायल हुए इस हादसे का कोई खुलासा नहीं हुआ

1992 में पुणे में स्वारगेट बस डिपो में दो बम प्लांट किए इसमें एक व्यक्ति मरा 30-35 घायल हुए।

1992 में माटुंगा लोकल ट्रेन में जलीस निसार ताहिर ने बम रखा इस धमाके में 2 लोग मरे 10 घायल हुए

1992 में आजाद मैदान थाना मुंबई में चार बम रखे बम धमाके में 3 लोग घायल हुए सभी पकड़े गए लेकिन सभी बरी हो गए

1992 में गिरगांव पुलिस थाना में बम रखा कोई मरा नहीं

दिसंबर 93 में भारत की महत्वपूर्ण ट्रेनों में रखे गए जिसमें 2 लोग मरे 30 घायल हुए। इसी मामले में आजीवन कारावास हुआ इसमें निसार तुफैल अभी फरार हैं।

1933 में जवेरी बाजार हवामहल बाजार में रखे तीनों धमाके हुए जिसमें एक दो लोग घायल हुए

Tags:    

Similar News