deepotsav 2022 ayodhya: अयोध्या में राम के दर्शन से पहले जाना होता है हनुमानगढ़ी में

Ayodhya Hanuman Garhi Mandir: जब लंका में रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान राम अयोध्या लौटे, तो हनुमानजी यहां रहने लगे। इसीलिए इसका नाम हनुमानगढ़ या हनुमान कोट रखा गया।

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2022-10-23 07:57 GMT

Ayodhya Hanuman Garhi Mandir (photo; social media )

Ayodhya Hanuman Garhi Mandir: अयोध्या यानी राम की नगरी। और जहां राम वहां हनुमान। सो, अयोध्या के साथ हनुमानजी का गहरा नाता है और इसीलिए अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर का बहुत विशेष महत्व है। माना जाता है कि हनुमान गढ़ी 10 वीं सदी का मंदिर है। अयोध्या के मध्य में स्थित, 76 सीढ़ियाँ हनुमानगढ़ी तक जाती हैं। एक प्रथा है कि राम मंदिर जाने से पहले सबसे पहले हनुमान मंदिर के दर्शन करने चाहिए। मंदिर में हनुमान की मां अंजनी रहती हैं, जिसमें युवा हनुमान जी उनकी गोद में बैठे हैं। यह मंदिर रामानंदी संप्रदाय के बैरागी महंतों और निर्वाणी अनी अखाड़े के अधीन है।

लंका विजय

जब लंका में रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान राम अयोध्या लौटे, तो हनुमानजी यहां रहने लगे। इसीलिए इसका नाम हनुमानगढ़ या हनुमान कोट रखा गया। यहीं से हनुमानजी रामकोट की रक्षा करते थे। हनुमान गढ़ी के मुख्य मंदिर में पवनसुत माता अंजनी की गोद में बैठते हैं।

मान्यता है कि हनुमान जी का वास यहीं एक गुफा में है। वो यहीं रहकर रामजन्मभूमि और रामकोट की रक्षा किया करते हैं। कहा जाता है कि भगवान राम ने ही हनुमान की भक्ति से प्रसन्न होकर कहा था कि जो भी भक्त उनके (भगवान राम के) दर्शन के लिए अयोध्या आएगा उसे पहले हनुमान का दर्शन और पूजन करना होगा। यहां आज भी छोटी दिवाली के दिन आधी रात को संकटमोचन का जन्म दिवस मनाया जाता है। पवित्र नगरी अयोध्या में सरयू नदी में पाप धोने से पहले लोगों को भगवान हनुमान से आज्ञा लेनी होती है। मंदिर में दक्षिण मुखी हनुमान जी हैं। मान्यनता है कि यहां दर्शन करने और हनुमान जी को लाल चोला चढ़ाने से ग्रह शांत हो जाते हैं, जीवन में सफलता और समृद्धि मिलती है। यह हनुमान जी का सिद्ध पीठ है।

मंदिर की एक खासियत ये भी है कि यहां पर लंका से जीत के बाद लाए गए निशान भी रखे गए हैं। मंदिर में एक खास ष 'हनुमान निशान' है, जो करीब चार मीटर चौड़ा और आठ मीटर लंबा ध्वज है।

यह विशाल मंदिर और इसका आवासीय परिसर 52 बीघा में फैला हुआ है। वृंदावन, नासिक, उज्जैन, जगन्नाथपुरी सहित देश के कई मंदिरों में इस मंदिर की संपत्ति, अखाड़े और बैठकें हैं।

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