बिसरख धाम में स्थापना से पहले तोड़ी रावण की मूर्ति, मंदिर में उत्पात

Update:2016-08-09 19:01 IST

नोएडा: कुछ संगठनों ने मंगलवार दोपहर बाद बिसरख मंदिर (रावण के मंदिर) में जमकर उत्पात मचाया। स्थापना से दो दिन पहले एक दशक पुरानी रावण की प्रतिमा को खंडित कर दिया। साथ ही मंदिर में लगी दशकों पुरानी प्रचीन मूर्तियों को भी तोड़ दिया।

मंदिर के पुजारी अशोकानंद महाराज ने बताया करीब 30-40 लोग बंदूक और लाठी-डंडे लेकर मंदिर पहुंचे थे। जिन्होंने यहा तोड़फोड़ की। पुजारी का आरोप है कि मंदिर और मूर्ति तोड़ने वालों में बीजेपी कार्यकर्ता, लोक रक्षा दल और गोरक्षा दल के कार्यकर्ता शामिल थे। फिलहाल गांव और मंदिर में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।

राम के साथ लगनी थी रावण की मूर्ति

अशोकानंद महाराज ने बताया कि मंदिर में राम के साथ रावण की मूर्ति की स्थापना 11 अगस्त को होनी थी। इसके अलावा भगवान गणेश और रावण के पिता ऋषि विश्रवा की मूर्ति स्थापित होनी थी। उसके पहले ही कुछ संगठनों और महंतों ने मिलकर रावण के मंदिर में हमला कर मंदिर को नुकसान पहुंचाया और मूर्ति को खंडित कर दिया।

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मंदिर पुनर्निर्माण पर दो करोड़ रुपए खर्च

बिसरख में रावण का मंदिर आस्था का प्रतीक माना जाता है। इसी कारण इसे 'बिसरख धाम' की संज्ञा दी गई थी। अशोकानंद ने बताया कि करीब पांच सालों से मंदिर में रावण की मूर्ति की स्थापना की तैयारी की जा रही थी। इसके लिए मंदिर के पुनर्निर्माण पर करीब दो करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। हमलावरों ने यहां लगी दशकों पुरानी मूर्तियों को भी तोड़ दिया।

जूना अखाड़ा और महंतों ने किया था विरोध

गाजियाबाद के ऐतिहासिक दूधेश्वरनाथ मठ में जूना अखाड़ा के अंतर्राष्ट्रीय मंत्री महंत नारायण गिरी महाराज, कालिका मंदिर, दिल्ली के महंत सुरेन्द्रनाथ अवधूत और प्राचीन देवी मंदिर, डासना के महंत यति बाबा नरसिहानन्द सरस्वती जी महाराज ने सोमवार को प्रेस वार्ता कर स्पष्ट कहा था कि मंदिर में राम के साथ रावण की मूर्ति स्थापित नहीं होने दी जाएगी। महंत नारायण गिरी ने कहा था कि हिन्दू महासभा के तथाकथित अध्यक्ष चक्रपाणि हिंदुओं की सर्वोच्च आस्थाओं पर प्रहार करने के लिए बिसरख गांव में 11 अगस्त को रावण की प्रतिमा स्थापित करवा रहे हैं।

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केंद्रीय मंत्री पर लगाया आरोप

मंदिर के पुजारी अशोकानंद महाराज ने बताया कि इस तोड़फोड़ में महंतों के अलावा बीजेपी के कार्यकर्ता भी शामिल थे। उनका आरोप है कि ये सारा काम केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा के इशारे पर किया गया है। इससे बिसरख के लोगों की अस्था को चोट पहुंची है। लिहाजा बिसरख थाने में इन सबके के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।

रावण के पिता की है तपोस्थली

बिसरख ऋषि विश्रवा की तपोस्थली है। यहीं रावण का जन्म हुआ था। उन्होंने बताया वेद-पुराणों के अनुसार ऋषि विश्रवा की तपोस्थली को 'शिवनगरी' भी कहा जाता है। बिसरख धाम में रावण द्वारा स्थापित अष्टभुजी शिवलिंग भी है। माना जाता है विश्व में ऐसा शिवलिंग कहीं और नहीं है। अशोकानंद महाराज ने बताया लंकापति रावण बचपन से ही शिवभक्त थे। उन्होंने शिव की घोर उपासना की और शिव मंत्रावली की रचना की।

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रावण दहन पर शोक मानते हैं गांव वाले

गाथाओं के मुताबिक बिसरख रावण का पैतृक गांव है। यहां रावण मंदिर के साथ प्राचीन शिव मंदिर भी है। वहां के महंत रामदास बताते हैं, कि रावण के पिता विश्रव ब्राह्मण थे। उन्होंने राक्षसी राजकुमारी कैकसी की। जब पूरा देश अच्छाई की बुराई पर जीत के रूप में रावण के पुतले का दहन करता है, तब इस गांव में खुशी का माहौल नहीं होता है। बिसरख गांव के लोग न रामलीला आयोजित करते हैं और न कभी रावण का दहन करते हैं। बल्कि दशहरा पर यहां शोक मनाया जाता है।

10 साल से नहीं हो सकी मूर्ति स्थापित

यहां एक प्राचीन शिव मंदिर है। उसके सामने नया मंदिर है। नए मंदिर के परिसर में रावण की मूर्ति भी रखी है। दो मंदिरों के पुजारियों की आपसी गुटबाजी के चलते पिछले 10 सालों से रावण की मूर्ति स्थापित नहीं हो सकी। गांव वाले इस मूर्ति की पूजा भी करते हैं। यहां के निवासी शिव मंदिर को ही रावण का मंदिर कहकर पूजा करते हैं। यहां की दीवारों पर रावण के पिता की आकृति भी बनी है।

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