डेंगू को लेकर हाईकोर्ट सख्त, सरकार को फटकारते हुए अधिकारियों को किया तलब

कोर्ट ने दोनों प्रमुख सचिवों को निर्देश दिया था कि हालात पर काबू के लिए निदेशक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के नेतृत्व में एक ज्वाइंट एक्शन कमेटी बनायी जाए जो सरकार व नगर निगम को जरूरी सुझाव दे। कोर्ट ने कमिश्नर व सीएमओ से उनका व्यक्तिगत हलफनामा मांगा कि क्या कार्यवाही की गई और अब तक कितनी जानें गई हैं।

Update: 2016-09-28 15:49 GMT

लखनऊ: हाईकोर्ट ने शहर में मच्छरों से होने वाली बीमारियों डेंगू और चिकनगुनिया से हो रही लगातार मौतों पर राज्य सरकार और नगर निगम को आड़े हाथों लिया है। कोर्ट ने पूर्व आदेश के अनुपालन में जिम्मेदार अफसरों की ज्वाइंट एक्शन कमेटी न बनाने पर भी सरकार को खरी खरी सुनाई। कोर्ट ने प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तथा प्रमुख सचिव नगर विकास को 4 अक्टूबर को कोर्ट में तलब किया है।

तलब किए गए अधिकारी

-सरकारी मशीनरी के रवैये से नाराज जस्टिस एपी साही व जस्टिस विजयलक्ष्मी की बेंच ने तलब किए गए अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होकर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है।

-इससे पहले सरकारी वकील शास्त्री प्रसाद त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि सरकारी अफसरों से कोर्ट के आदेश के अनुपालन की रिपेार्ट मांगी गई थी, परंतु उनकी ओर से कोई रिपोर्ट प्राप्त नही हुई।

-एक स्थानीय वकील की ओर से गंदगी के कारण शहर में डेंगू और चिकनगुनिया के कारण हो रही मौतों पर पीआईएल दायर की गई थी।

-पीआईएल में कहा गया था कि सरकारी अफसर सफाई में हीलाहवाली कर रहे हैं और अस्पतालों में मरीजों को दिक्कतें हो रही हैं।

सरकारी लापरवाही

-पीआईएल की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 19 सितंबर को सरकारी अधिकारियों को तत्काल प्रभावी कदम उठाने का आदेश दिया था।

-कोर्ट ने दोनों प्रमुख सचिवों को विशेष रूप से ताकीद की थी, कि सारे मामले पर निगरानी रखी जाए और कोर्ट को रिपोर्ट दी जाए।

-बेंच ने कहा था कि, हालात प्रथम दृष्टया बदतर हैं। और ये हर साल दोहराए जाते हैं। सरकारी अस्पतालों में इलाज में लापरवाही और प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों से मनमानी फीस वसूलने पर कोर्ट ने लगाम लगाने की जिम्मेदारी अफसरों को सौंपी थी।

पेश होंगे अधिकारी

-कोर्ट ने दोनों प्रमुख सचिवों को निर्देश दिया था कि सारे हालात पर काबू करने के लिए निदेशक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के नेतृत्व में एक ज्वाइंट एक्शन कमेटी बनायी जाए जो सरकार व नगर निगम को जरूरी सुझाव दे।

-कोर्ट ने कमिश्नर व सीएमओ से उनका व्यक्तिगत हलफनामा मांगा कि डेंगू रोकने के लिए क्या प्रभावी कार्यवाही की गई और इन बीमारियों से अब तक कितनी जानें गई हैं।

-बुधवार को सरकारी वकील ने कोर्ट में बताया कि उन्हें सरकार की तरफ से कोई निर्देश नही मिला है।

कमलेश तिवारी मामले पर फैसला सुरक्षित

-एक अन्य मामले में हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। यह मामला पैगंबर मोहम्मद साहब के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत जेल में बंद कमलेश तिवारी के सिलसिले में है।

-मामले में सुनवाई के बाद बुधवार को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया।

-कमलेश तिवारी की पत्नी किरण तिवारी ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल करते हुए उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी है।

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