सहारनपुर : महिलाओं द्वारा बाजारों में जाकर नामहरम (जिन से खून का रिश्ता न हो) मर्दों से चूड़ियां पहनने को दारुल उलूम देवबंद से जारी हुए ताजे फतवे में नाजायज और सख्त गुनाह करार दिया गया है।
देवबंद के ही मोहल्ला बड़जियाउलहक निवासी एक व्यक्ति ने दारुल उलूम के इफ्ता विभाग से लिखित सवाल में पूछा था कि आम तौर पर चूडियां बेचने व पहनाने का काम मनीहार बिरादरी से संबंध रखने वाले लोग करते हैं। औरतों को चूडियां पहनने के लिए घर से निकलना पड़ता है और अपने हाथ गैर मर्दों के हाथों मे देने पड़ते हैं। क्या इस तरह घर से निकलकर या घर में रहकर औरतों का गैर मर्दों से चूड़ी पहनना जायज है।
दारुल उलूम देवबंद के मुफ्तियों की खंडपीठ ने जवाब संख्या 473/द में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा है कि नामहरम मर्द का अजनबी औरतों को चूड़ी पहनाना नाजायज और गुनाह है। औरतों का नामहरम मर्दों से चूड़ी पहनने के लिए बाहर निकलना भी मना है।
नामहरम मर्दों से चूड़ियां पहनना नाजायज व सख्त गुनाह है। ऐसे गुनाह से बचना और तौबा करना वाजिब है। तंजीम अब्नाए दारुल उलूम के अध्यक्ष मुफ्ती यादे इलाही कासमी ने दारुल उलूम द्वारा जारी फतवे को पूरी तरह सही बताते हुए कहा है कि इस्लाम ने औरतों को गैर मर्दों से पर्दा करने का हुक्म दिया है। इसलिए मुसलमान औरतों को चाहिए कि या तो वह चूड़ियां किसी औरत के हाथ से ही पहने या फिर अपने हाथों से चूड़ियां पहनने की आदत डालें।