इस मंदिर में उमड़ा शिव भक्‍तों का सैलाब, महाभारत से जुड़ा है इतिहास

Update:2016-03-07 09:27 IST

बाराबंकी: महाशिवरात्रि का दिन यानि भगवान शिव के भक्तों के लिए उनकी आस्था और जुनून के समर्पण का दिन। चारों ओर भक्तों का जमावड़ा हर कोई अपने इष्टदेव त्रिपुरारी भोले शंकर के शिवलिंग पर जल चढ़ाने और उनके सामने अपनी अटूट श्रद्धा और भक्ति को समर्पित करने को आतुर है शिवभक्तों की ऐसी ही अटूट प्रेम और समर्पण के दर्शन हमें लोधेश्वरमहादेव मंदिर में होते हैं।

महाराज युधिष्ठिर ने कराई थी स्‍थापना

-लोधेश्वर महादेव में स्थापित शिवलिंग महाभारत कालीन इतिहास का साक्षी है।

-कहते हैं अज्ञातवास के दौरान महाराज युधिष्ठिर ने इसकी स्थापना की थी।

-कहा जाता है कि लाक्षागृह से बचकर जब पांडवों को एक साल छिपकर रहना पड़ा था।

-उस दौरान उन्होंने कुछ समय बाराबंकी में भी बिताया था।

-उस समय इसका नाम बारहवन था जो बाद में बाराबंकी हुआ।

-तभी महाराज युधिष्ठिर ने घाघरा नदी के सामने यज्ञ किया और शिवलिंग स्थापित किया था।

श्रद्धा का अनूठा संगम है यहां

शहर के रामनगर तहसील स्थित पौराणिक लोधेश्वर महादेव मंदिर में प्रतिवर्ष सैकड़ों भक्त आते हैं। महाशिवरात्रि के पावन पर्व शिवभक्ति में लीन शिवभक्तों की ऐसी श्रद्धा देखते ही बनती है। भोलेनाथ के इस पावन पौराणिक शिवलिंग के सामने आस्था के वशीभूत होकर सर झुकाते समय यहां जात पात , और अमीरी गरीबी के सारे बंधन स्वयं ही हैं क्योकि भगवान भक्तों के भाव के भूखे होते हैं। उनके धन दौलत और उनके ऐश्वर्य के नहीं भगवान का आशीर्वाद उन सभी भक्तों को समान रूप से प्राप्त होता है जो माया मोह,धन दौलत और स्वार्थ के बंधनों से मुक्त होकर उनकी शरण में आता है

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