लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के सामने गुरुवार (12 अक्टूबर) को मिडवाइफ को पारिश्रमिक के तौर पर मात्र 200 रुपए महीना दिए जाने के एक मामले में डायरेक्टर जनरल, मेटरनिटी व चाइल्ड पेश हुए। कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 01 नवम्बर को होगी।
साथ ही कोर्ट ने डायरेक्टर जनरल, मेटरनिटी व चाइल्ड को संबंधित योजनाओं की जानकारी देने का आदेश दिया है, जिसके तहत मिडवाइफ को इतना कम पारिश्रमिक दिया जा रहा है।
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ये है मामला
यह आदेश जस्टिस एआर मसूदी की बेंच ने सुशीला की एक याचिका पर दिया। उक्त याचिका में कहा गया है, कि याची बतौर मिडवाइफ काम करती है। याची को इसके लिए मात्र 200 रुपए महीने पारिश्रमिक दिया जाता है। पूर्व की सुनवाईयों के दौरान कोर्ट के बार-बार आदेश के बावजूद राज्य सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया। जिसके बाद 4 अक्टूबर को कोर्ट ने डीजी, चिकित्सा व स्वास्थ्य को तलब किया।
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कोर्ट को ये दिया था जवाब
कोर्ट के आदेश के अनुपालन में डीजी, चिकित्सा व स्वास्थ्य के साथ डीजी, मेटरनिटी व चाइल्ड डॉ. सुरेश चंद्रा भी उपस्थित हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया, कि याची को केंद्र सरकार द्वारा तय इंसेंटिव के अनुसार ही भुगतान किया जा रहा है।
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पैरा लीगल वॉलंटियर को भी 250 रुपए रोज मिलता है
इस पर कोर्ट ने कहा, कि इस परिस्थिति में कोर्ट केंद्र सरकार की संबंधित योजनाओं के बारे में जानना चाहेगी। कोर्ट ने कहा कि पैरा लीगल वॉलंटियर जो ग्रामीण इलाकों में काम करते हैं, उन्हें भी 250 रुपए प्रतिदिन का पारिश्रमिक दिया जाता है। मिडवाइफ का कार्य पैरा लीगल वॉलंटियर के कार्य से कम नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने महानिदेशक, परिवार कल्याण को भी अग्रिम सुनवाई पर उपस्थित होकर संबंधित योजनाओं की जानकारी देने का आदेश दिया है।