नोएडा : साइबर क्राइम पर लगाम लगाने के लिए प्रदेश के पहले सेंटर फॉर साइबर क्राइम इंवेस्टिगेशन सेल (सीसीआई) का उद्घाटन सोमवार को नोएडा में हुआ। इस सेंटर का उद्घाटन डीजीपी जावीद अहमद ने किया। इस मौके पर उन्होंने आठ नई चौकियों का भी उद्घाटन किया। इस साइबर सेल का नोडल ऑफिसर एसपी सिटी दिनेश यादव को बनाया गया है।
प्रदेश का पहला हाईटेक साइबर सेल
-यह यूपी का पहला हाईटेक साइबर सेल है, जिसे नोएडा सेक्टर-6 में बनाया है।
-यह सेल नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनी (नॉसकॉम) के साथ मिलकर स्थापित किया गया है।
सवा करोड़ आई लागत
-कम्यूनिटी पुलिसिंग के नए प्रयोग को सवा करोड़ की लागत से तैयार कर सीसीआई को तैयार किया गया है।
-विक्टिम साइबर सेल की वेबसाइट www.ccinoida.org पर शिकायत दर्ज करा सकते है।
साइबर सेल में लगे हैं यह अत्याधुनिक टूल
-सीसीआई नोएडा में ऐसे अत्याधुनिक टूल लगाए गए हैं जिसमें साइबर अपराधियों का पूरा मोबाइल स्कैन हो जाएगा।
-इसके साथ ही अगर कोई डाटा कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल से डिलीट कर दिया गया होगा तो उसे भी आसानी से रिकवर कर लिया जाएगा।
नोएडा में सबसे ज्यादा साइबर क्राइम के मामले
-एसपी सिटी दिनेश यादव ने बताया कि पिछले साल नोएडा में करीब 5 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के मामले साइबर क्राइम के तहत आए थे।
-जिसमें से करीब 47 लाख रूपए ही वापस हो पाए और हमने 40 नकली कॉल सेंटर्स को भी बंद किया था।
-क्रिमिनल्स रिकॉर्ड के अनुसार साल 2015 में सिर्फ नोएडा शहर में ही साइबर क्राइम के करीब 780 मामले दर्ज हुए थे।
पुलिस को हाईटेक बनाने के लिए बनाया रक्षक एप
-यूपी पुलिस को हाईटेक तरीके से काम करवाने के लिए ने एक एप (रक्षक) तैयार किया गया है।
-यह एप पुलिस की वेबसाइट पर अपलोड किया जा रहा है।इसके बाद इसे गूगल प्ले स्टोर से अपलोड किया जा सकेगा।
-इस एप के जरिए महज तीन सेकंड में पुलिस को घटना की लोकेशन के अलावा विक्टिम के बारे में जानकारी मिल सकेगी।
-दरअसल, एप को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसमें दिए गए बटन को महज 3 सेकंड तक दबाना होगा।
-इसके बाद साइबर सेल में लगा अलार्म अपने आप ही बज जाएगा।
-अलार्म बजते ही ट्रैकिंग प्रोसेस के जरिए लोकेशन मिल सकेगी।
-ऐसे में घटना की पूरी डिटेल्स भी साइबर सेल को पहुंच जाएगी।
-इसके बाद घटनास्थल की जानकारी वहां की पुलिस को भेज दी जाएगी।
15 से 20 मिनट पर विजुएल भी करेगा अपडेट
-रक्षक एप पूरी तरह से अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित है।
-आइजी सुजीत पांडे ने बताया कि एप में ऐसे लोकेटर है जिनसे 15 से 20 सेकंड के बाद वह अपने आप ही विजुएल भी भेजने लगेगा।
-ध्यान रखना होगा कि घटना के समय मोबाइल बाहर होना चाहिए।
-एप इमरजेंसी के दौरान एक्टिव रहेगा।
-यदि मोबाइल में लॉक कोड भी है तो उसे यूज किया जा सकेगा।
क्या कहा डीजीपी ने
-डीजीपी जावीद अहमद ने कहा कि ऐसे साइबर क्राइम सेंटर्स से साइबर क्रिमिनल्स को उन्हीं के तरीके से तेजी से जवाब दिया जा सकता हैं।
-इस सेंटर से प्रदेश के अंदर वित्तीय धोखाधड़ी की जानकारी साइबर फ्रॉड, चोरी और सोशल मीडिया पर होने वाले अपराधों को सुलझाने में मदद मिलेगी।
क्या कहते हैं अधिकारी
-नोएडा सिटी एसपी दिनेश यादव ने कहा कि साइबर क्राइम के तहत होने वाले अपराधों में पारंपरिक तरीकों से अपराध को नहीं सुलझाया जा सकता है।
-साइबर क्राइम सेल इस तरह के अपराधों से निपटने में सक्षम होगा।
-उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर महिला उत्पीड़न के बहुत से मामले होते हैं।
-कई मामलों में पुलिस द्वारा संज्ञान भी नहीं लिया जाता है, लेकिन इस सेल में शिकायतकर्ता का नाम और पहचान गोपनीय रखी जाएगी।
-इस साइबर सेल में 10 लोगों की टीम होगी।
10 हजार शिकायत 28 लाख पर भारी
-कार्यक्रम में पहुंचे नेशनल सिक्योरिटी ऑफ इंडिया के कार्यकारी अध्यक्ष नंद कुमार सर्वज्ञय ने कहा कि देश में हर साल करीब 28 लाख एफआईआर दर्ज होती हैं।
-जिसमें 10 हजार मामले साइबर क्राइम से जुड़े होते हैं।
-यह 10 हजार मामले 28 लाख पर भी भारी होते हैं।
-ऐसे में प्रशिक्षित साइबर टीम और टेक्नोलॉजी ही साइबर से जुड़े मामलों को निपटाने में मददगार होगी।