लखनऊ : यूपी में एक तरफ जहां खुफिया एजेंसियों के इनपुट के बाद प्रदेश भर में एलर्ट जारी किया गया है। वही पिछले 15 दिनों से खाली पड़ी डीजीपी की कुर्सी पर अब तक किसी की ताजपोशी नहीं हो सकी है। पुलिस मुखिया के बिना पुलिस अफसरों के बीच असमंजस की स्थति बनी हुई है। यूपी सरकार ने डीजी सीआईएसएफ ओम प्रकाश सिंह को वापस यूपी कैडर में भेजने के लिए जो चिठ्ठी लिखी थी। उस पर अब तक कोई निर्णय नहीं हो सका है। जिस की वजह से एक बार फिर नए डीजीपी को लेकर कयासबाज़ियों का दौर शुरू हो गया है। अब डीजीपी की रेस से बाहर हो चुके कई अफसरों को उम्मीद की किरण नजर आने लगी है।
यूपी पुलिस के मुखिया की कुर्सी पिछले 15 दिनों से खाली है। 31 दिसम्बर को सुलखान सिंह के रिटायरमेंट के बाद सरकार ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर डीजी सीआईएसएफ ओम प्रकाश सिंह को वापस यूपी कैडर में भेजने के लिए पत्राचार किया था। जिस पर आज तक निर्णय नहीं हो सका है।
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सूत्रों की माने तो आरएसएस के साथ सीएम व सहयोगी मंत्रियों के साथ हुई मीटिंग के बाद डीजी को लेकर नए सिरे से विचार करने की बात निकल कर सामने आ रही है। दरअसल गेस्ट हाउस काण्ड के समय राजधानी पुलिस के मुखिया रहे ओपी सिंह को लेकर अंदरखाने विरोध शुरू हो गया है। माना जा रहा है की इसी वजह से ओपी सिंह के यूपी में वापसी को लेकर मतभेद हैं।
ओपी सिंह को लेकर सामने आई कंट्रोवर्सी के चलते कई अफसरों ने नए सिरे से अपना जुगाड़ लगाना शुरू कर दिया है। गोरखपुर महोत्सव और मकरसंक्रांति के चलते कई दिनों तक लखनऊ से बाहर रहने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ वापस लखनऊ पहुँचने के बाद आगरा चले गये हैं। उम्मीद की जा रही है कि आगरा वापसी के बाद 26 जनवरी को मद्देनज़र रखते हुए अगले 48 घंटे में यूपी पुलिस के मुखिया को लेकर एलान हो सकता है।
ओपी सिंह के वापस यूपी में नहीं आने की स्थिति में सीएम की पहली पसन्द डीजी इंटेलीजेंस भावेश कुमार सिंह एक बार फिर से डीजी के रेस में सब से आगे होंगे। भावेश सिंह का कार्यकाल जनवरी 2020 तक का है जो शासन की मंशा के हिसाब से उन के पक्ष में भी हैं। हालांकि डीजी की रेस सब से सीनियर डीजी फायर सर्विस प्रवीण सिंह, डीजी होमगार्ड सूर्यकुमार शुक्ला, डीजी ट्रेनिंग गोपाल गुप्ता और डीजी विजिलेंस हितेश चंद्र अवस्थी भी शामिल हैं।
यूपी में पूर्व में भी सीनियर अफसरों के रहते सब से जूनियर अफसर को डीजी की कुर्सी पर बैठाया जा चुका है। मायावती के शासनकाल में बृजलाल को डीजी बनाने के लिए एक महीने तक डीजी की कुर्सी खाली रखी गई थी। तत्कालीन डीजी पीएसी आर के तिवारी को डीजी पुलिस का अतरिक्त चार्ज दिया गया था इस के बाद एडीजी क़ानून व्यवस्था बृजलाल को प्रमोशन देकर डीजी बना दिया गया था। कुछ इसी समाजवादी पार्टी के राज में भी एस जावीद अहमद को एक दर्जन से ज़्यादा अफसरों को सुपरसीड कर डीजी पुलिस बनाया गया था। जिस के बाद मामला हाईकोर्ट तक पहुँच गया था।