धनतेरस 2020: धार्मिक व्यवासायिक और आर्युवेदिक महत्व, इसलिए मनाते है ये त्यौहार

दीपावली हिन्दुओं का एक ऐसा त्यौहार है जिसका इंतजार पूरे साल रहता है। भव्यता से भरे इस त्यौहार का अपना धार्मिक महत्व है लेकिन व्यावसयिक दृष्टि से देखा जाए तो इसका महत्व और भी बढ जाता है।

Update: 2020-11-09 14:39 GMT
धनतेरस 2020: धार्मिक व्यवासायिक और आर्युवेदिक महत्व, इसलिए मानते है ये त्यौहार

लखनऊ: दीपावली हिन्दुओं का एक ऐसा त्यौहार है जिसका इंतजार पूरे साल रहता है। भव्यता से भरे इस त्यौहार का अपना धार्मिक महत्व है लेकिन व्यावसयिक दृष्टि से देखा जाए तो इसका महत्व और भी बढ जाता है। चार दिन तक चलने वाले इस त्यौहार की शुरूआत धनतेरस से होती है जिसमें बम्पर खरीदारी की जाती है।

भगवान धन्वन्तरि और मां लक्ष्मी का जन्म हुआ

कहा जाता है कि समुद्र मन्थन के दौरान भगवान धन्वन्तरि और मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था, यही वजह है कि धनतेरस को भगवान धनवंतरी और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है । धनतेरस दिवाली के दो दिन पहले मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 13 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन खरीदारी करने का महत्व होता है।

दीपोत्सव का आरंभ

दीपोत्सव का आरंभ धनतेरस से होता है। जैन आगम (जैन साहित्य प्राचीनत) में धनतेरस को धन्य तेरस कहते हैं। यह भी कहा जाता है कि भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग निरोध के लिये चले गये थे। तीन दिन के ध्यान के बाद योग निरोध करते हुये दीपावली के दिन निर्वाण (मोक्ष) को प्राप्त हुए। तभी से यह दिन जैन आगम में धन्य तेरस के नाम से प्रसिद्ध हुआ। धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

खरीदी गई चीजों में कई गुना वृद्धि

मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई चीजों में कई गुना वृद्धि हो जाती है। धनतेरस को धन्वन्तरि देवता की पूजा की जाती है। षास्त्रो के अनुसार धन्वन्तरि देवता जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरि चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए बर्तन खरीदने की परम्परा यहीं से षुरू हो गयी जो अब तक चली आ रही है।

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भगवान धन्वतंरि की पूजा

ऐसा कहा जाता है कि भगवान धन्वतंरि की पूजा से अरोग्यता की प्राप्ति होती है। धन्वन्तरि देवताओं के चिकित्सक हैं और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं, इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इस दिन वस्तुओं की खरीदारी को बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें तेरह गुणा वृद्धि होती है। इसलिए लोग जेवरों आदि के अलावा बर्तन वाहन आदि भी खरीदते हैं।

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झाड़ू खरीदने की भी परंपरा

धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने की भी परंपरा रही है। झाड़ू को सुख-शांति की वृद्धि करने वाली और दुष्ट शक्तियों का सर्वनाश करने वाली बताया है। पौराणिक मान्यता है कि झाड़ू से घर की दरिद्रता मिटती है। विशेष रूप से धनतेरस को घर में नई झाड़ू लगाने से कर्ज से भी मुक्ति मिलती है।

श्रीधर अग्निहोत्री

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