मेरठ हस्तिनापुर के विधायक दिनेश खटीकः मंत्र मानव सेवा ही परम सेवा 

राजनीति के बाद सबसे अधिक समय किस काम में बिताते हैं या बिताना चाहेंगे के सवाल के जवाब में दिनेश खटीक कहते हैं, राजनीति मेरे लिए कोई कारोबार नही है। मैं शुरु में ही कह चुका हूं कि मेरा राजनीति में आने का एक मकसद था मानव सेवा और यही रहेगा। मानव सेवा से मुझे फुरसत मिले तो मैं कोई दूसरा काम करुं।

Update:2020-08-22 14:20 IST
मेरठ हस्तिनापुर के विधायक दिनेश खटीकः मंत्र मानव सेवा ही परम सेवा 

सुशील कुमार

मानव सेवा ही परम सेवा है, इन्ही पंक्तियों को चरितार्थ किया है ने , जिन्होंने राजनीति से ऊपर उठकर जनसेवा को अधिक महत्व दिया है। हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के हस्तिनापुर विधायक दिनेश खटीक की जो कि आम जनता का नेता होने के नाते अपने कर्तव्यों का भली भाँति निर्वहन कर रहे है।

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश राज्य के मेरठ जिले के हस्तिनापुर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक दिनेश खटीक ने लॉकडाउन के दौरान आम जन का मसीहा बन कर अपने निजी खर्च से 7000 परिवारों के लिए जो कि लॉकडाउन के चलते भुखमरी की कगार पर पहुंच गए थे, राहत सामग्री का वितरण करवाया, उनके इस कार्य को स्थानीय लोगों द्वारा खूब सराहा जा रहा है।

इस संवाददाता ने जब उनके इस कार्य की प्रशंसा करनी चाही तो दिनेश खटीक ऐसा करने से मना करते हुए कहा, मैने ऐसा करके किसी पर कोई अहसान नहीं किया था। जन प्रतिनिधि होने के नाते यह मेरा फर्ज था।

वह कहते हैं कि अगर मेरे रहते मेरे क्षेत्र का एक भी व्यक्ति भूख के कारण दम तोड़ देता तो यह मेरे बेहद शर्म की बात होती। दिनेश खटीक यहीं पर नही रुके उन्होंने कहा, मैं राजनीति में आया ही गरीब, दबे-कुचले लोगों की सेवा के लिए था। क्योंकि मेरा शुरू से ही मानना रहा है कि मानव सेवा ही परम सेवा है।

24 घंटे जनता के लिए दरवाजे खुले

दिनेश खटीक के बारे में उनकी ईमानदारी के साथ ही यह भी कहा जाता है कि उनके घर के दरवाजे 24 घंटे सभी धर्म और जाति के लोंगो के लिए खुले रहते हैं। यही वजह रही कि 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बसपा के कद्दावर नेता योगेश वर्मा को पटखनी देकर उन लोगों के मुंह बंद कर दिए जोकि उन्हें चुनाव में बोहद हल्का मान बैठे थे।

मेरठ जिले के अम्बेडकर (फलावदा) कस्बे में अनुसूचित जाति (खटीक) के देवेन्द्र कुमार के घर 11 अगस्त 1977 को जन्मे दिनेश खटीक कक्षा नौ तक पढ़े हैं। इनका विवाह 20 अप्रैल 2006 को आरती के साथ हुआ जिनसे इनके एक पुत्र, एक पुत्री हैं।

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विधायक के तौर पर उपलब्धियों का जिक्र छिड़ने पर दिनेश खटीक कहते हैं, मेरे काम के बारे में आप मेरे इलाके में घूमकर स्थानीय लोगों से मालूम करें तो ज्यादा बेहतर होगा। क्योंकि अगर मैं कहूंगा तो अपने मुँह मियां मिट्ठू वाली बात होगी।

गंगा खादर में बांध बनाने का प्रयास

फिर भी अगर आप पूछ रहे हो तो बता दूं कि गंगा खादर जहां हर साल बाढ़ से स्थानीय लोगों को जूझने के लिए मजबूर होना पड़ता है। यहां पचास साल से बांध बनाने को लेकर कोई काम नही हुआ।

गंगा खादर को बाढ़ से मुक्त करने के लिए दस किमी लंबा बांध बनने के बाद कुंडा के सामने बांध की परियोजना मुख्यमंत्री को भेजी जा चुकी है। जबकि मेरे प्रयासों से जल्द ही स्वीकृति भी मिलने वाली है।

जाहिर है कि बांध बनने के बाद गंगा खादर बाढ़ से मुक्त हो जाएगा। यही नहीं विकास को तरस रहे हस्तिनापुर को देश का पर्यटक स्थल बनवाया जाएगा। इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जा चुका है।

मवाना में सीएचसी को अपग्रेड कराकर सौ बेड के अस्पताल की बहुत जरुरत है। सौ बेड का अस्पताल बनने पर यहां बड़े डॉक्टरों की तैनाती होगी। यही नही बस स्टैंड पर वर्कशॉप बनने पर यहीं से बसों का संचालन होगा।

फिर यहीं से मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, चांदपुर, मेरठ आदि के लिए बसें चलाईं जाएंगी। हस्तिनापुर में ही चेतावना घाट की तर्ज पर किला परीक्षितगढ़ क्षेत्र के लोगों को पावन गंगा में स्नान करने को क्रखाली गंगाघाट का निर्माण कराया जाएगा।

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मुजफ्फरनगर से मेरठ जिले की सीमा पर बसे रामराज में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। इसके लिए रामराज कस्बे के लोंगो को अनेक सुविधाएं दिलाने के लिए नगर पंचायत बनवाया जाएगा।

भाजपा छोड़ किसी दल में लोकतंत्र नहीं

राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र कायम है क्या इस सवाल के जवाब में दिनेश खटीक कहते हैं, भाजपा को छोड़कर किसी भी पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र नही है। और मुझे इस बात का गर्व है कि मैं भाजपा से जुड़ा हूं,जहां आंतरिक लोकतंत्र के चलते छोटे से छोटा कार्यकर्ता पार्टी के बड़े से बड़े पद को पा सकता है।

राजनीति के बाद सबसे अधिक समय किस काम में बिताते हैं या बिताना चाहेंगे के सवाल के जवाब में दिनेश खटीक कहते हैं, राजनीति मेरे लिए कोई कारोबार नही है। मैं शुरु में ही कह चुका हूं कि मेरा राजनीति में आने का एक मकसद था मानव सेवा और यही रहेगा। मानव सेवा से मुझे फुरसत मिले तो मैं कोई दूसरा काम करुं।

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रहा सवाल नौकरशाही का मेरे काम में अड़ंगा लगाने का तो मेरे इरादे हमेशा पक्के और जनहित के रहते हैं। मैं आज तक किसी अधिकारी के पास अपना काम लेकर नहीं गया हूं।

मेरे लिए जनता का काम ही सर्वोप्रिय है और जनता का काम में करके ही दम लेता हूं। जीवनभर करता भी रहूंगा चाहे में विधायक रहूं या ना रहूं।

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