Raebareli News: नकली खाद की मिली शिकायत, जिला कृषि अधिकारी ने जांच के लिए भेजे नमूने, डीएपी की कमी से किसान परेशान

Fake Fertilizer:रायबरेली में डीएपी की मारामारी के बीच नकली खाद का संकट भी गहरा गया है। कुछ मुनाफाखोर बाज़ार में डीएपी की कमी का लाभ उठाते हुए नकली खाद की सप्लाई भी कर रहे हैं।

Report :  Bodhayan Sharma
Update:2022-12-03 14:15 IST

रायबरेली: नकली खाद की शिकायत पर जिला कृषि अधिकारी ने जांच के लिए भेजे नमूने

Fake Fertilizer: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) की किसानों को ले कर योजनाओं से आस लगाए बैठे किसानों की समस्याओं का हल होता दिखाई नहीं दे रहा है। मुख्यमंत्री ने भले ही किसानों की आय दोगुनी करने के लिए तरह-तरह की योजनाएं चलाई हों पर रायबरेली में जिम्मेदारों तक योजनाएं पहुँच कर दम तोड़ देती है। एक बार फिर जिम्मेदारों ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई और किसान को सही समय पर यानी खेती बुवाई के समय पर बीज और खाद उपलब्ध नहीं करवाई गयी। ना सिर्फ योजानाओं से बल्कि किसान अब सरकारी कार्यप्रणाली से भी निराश है।

किसानों को करना पड़ रहा है डीएपी की कमी से सामना

रायबरेली में डीएपी की मारामारी के बीच नकली खाद का संकट भी गहरा गया है। बाजार में कुछ मुनाफाखोर बाज़ार में डीएपी की कमी का लाभ उठाते हुए नकली खाद की सप्लाई भी कर रहे हैं। इसी की बानगी नज़र आई यहां के नीमटीकर में जहां खेतों में डालने के लिए किसानों ने जो डीएपी मंगवाई वह प्रथम दृश्या नकली दिखाई दी। किसानों ने शंका होने पर अधिकारियों को सूचना दी, सूचना पाकर आनन-फानन में मौके पर पहुंचे जिला कृषि अधिकारी ने इसका नमूना भरवाकर जांच के लिए भेज दिया । ज़िला कृषि अधिकारी के मुताबिक खाद देखने पर संदिग्ध प्रतीत हो रही है। नमूना जांच के लिए भेजा जा रहा है। जांच रिपोर्ट के आधार पर कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी।

जांच के लिए नमूना भेजा गया

किसान राघव ने बताया कि फोन करके ताहिर से यह खाद मंगववाई गई है गेहूं बोने के लिए मगर यह डीएपी नकली दिखाई दे रही है इसकी सूचना जिला कृषि अधिकारी रविचंद्र प्रकाश को दे दी गई और वो अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे तो उन्होंने बताया कि यह खाद उनको भी असली होने में संदेह है। जांच के लिए नमूना भेजा गया है। उन्होंने जांच के लिए नमूने भी लिए, अब जांच आने तक फिर से इंतज़ार करना होगा।

किसानी जीवन में प्राकृतिक कसौटियों से तो लड़ना ही होता है, परन्तु इस तरह से प्रशासन और अधिकारियों कि अनदेखी की वजह से होने वाले नुकसानों को किसान कब तक झेलने पर मजबूर रहेंगे।

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