हॉस्पिटल में भर्ती महिला के हाथ पैर बांध कर लावारिस छोड़ा, कहा-यही है इलाज

महिला को दो बार बीआरडी मेडिकल कालेज भेजा गया, लेकिन पहली बार मेडिकल कालेज ने यह कह कर महिला को वापस कर दिया कि महिला एचआईवी पाजिटिव है, हम भर्ती नहीं करेंगे। जिला अस्पताल में महिला की एचआईवी रिपोर्ट निगेटिव पाई गई। दूसरी बार मेडिकल कॉलेज ने लिख दिया कि महिला के साथ कोई परिजन नहीं है, इसलिए उसे भर्ती नहीं किया जाएगा।

Update:2016-08-22 19:45 IST

गोरखपुर: अस्पताल का वार्ड। इलाज के लिए भर्ती मानसिक रूप से विक्षिप्त महिला। शौचालय का दरवाजा। लोहे का पलंग। न गद्दा न चादर। महिला के तन पर कभी कपड़े नहीं होते हैं, कभी होते हैं, तो अस्त-व्यस्त। महिला के हाथ पैर लोहे के पलंग से बांध दिए गए हैं। यह सब कुछ इलाज के नाम पर हो रहा है। अब सीधा सा सवाल है, कि ये इलाज है या सजा?

ये कैसा इलाज?

-गोरखपुर जिला अस्पताल में भर्ती इस विक्षिप्त महिला का इलाज देख कर मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति भी दहल जाएगा।

-अधिकारियों के अनुसार 31 जुलाई को पुलिस इस लावारिस महिला को अस्पताल लाई थी।

-महिला को जिला अस्पताल के फीमेल मेडिकल वार्ड के बेड नंबर 8 पर भर्ती किया गया।

-जिस वार्ड में विक्षिप्त महिला को निर्वस्त्र हालत में लावारिस छोड़ दिया गया है, वहां पुरुषों का भी आना जाना है।

-अन्य मरीजों के तीमारदार दिन भर यहां डेरा डाले रहते हैं, और महिला की सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है।

-जहां तक सुविधाओं का सवाल है, तो महिला के बेड के पास सिर्फ गंदगी का अंबार है।

यही हैं सुविधाएं?

-प्रमुख चिकित्साधिकारी एचएस यादव ने कहा कि महिला की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, और उसे व्यवस्थित रखने के लिए ऐसी व्यवस्था की गई है।

-चिकित्साधिकारी का दावा है कि महिला के खानपान से लेकर अन्य सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।

कोई जिम्मेदार नहीं?

-यादव ने कहा कि महिला को दो बार बीआरडी मेडिकल कालेज भेजा गया, लेकिन पहली बार मेडिकल कालेज ने यह कह कर महिला को वापस कर दिया कि महिला एचआईवी पाजिटिव है, हम भर्ती नहीं करेंगे।

-जिला अस्पताल में महिला की एचआईवी रिपोर्ट निगेटिव पाई गई। दूसरी बार मेडिकल कॉलेज ने लिख दिया कि महिला के साथ कोई परिजन नहीं है, इसलिए उसे भर्ती नहीं किया जाएगा।

-कई सवाल हैं, जिनकी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। लेकिन एक सीधा सा सवाल यह है कि क्या मानसिक रूप से अस्वस्थ या किसी बेघर और लावारिस व्यक्ति को इलाज का अधिकार नहीं है?

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