बुखार का कहर जारी: डॉक्टर भी चपेट में, 50 से अधिक मौतों में आंकड़ा सिर्फ तीन का
शाहजहांपुर: मौसम के बदलते मिजाज से बुखार ने युपी में अपना पांव पसार लिया है। जिसके चलते यूपी के शाहजहांपुर का जिला अस्पताल इन दिनों बुखार पीड़ित मरीजों से भरा हुआ है। यहां मरीजों को देखते देखते ट्रामा सेंटर का स्टाफ भी वायरल बुखार की चपेट मे आ गया है।
मरीजों का इलाज करते करते डाक्टर भी बुखार के चपेट में
दरअसल इस वक्त प्रदेश मे वायरल बुखार के प्रकोप से लोग बेहद दहशत में हैं। बुखार से मरने वाले बच्चो की संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। आलम ये है कि अब तो वायरल बुखार के मरीजों का इलाज करते करते अस्पताल स्टाफ भी चपेट मे आ गया है। इतना ही नही बुखार की दवा लिखते लिखते और मरीजों को देखते देखते अस्पताल के दो डाक्टर भी चपेट मे आ चुके हैं। लेकिन इस वक्त वायरल बुखार की स्थिति को देखते हुए डाक्टर बिमारी की हालत मे भी मरीजों को दवा देने से पीछे नही हट रहे हैं।
खुद बुखार के पीङित होने के बावजूद डाक्टर और वार्ड ब्वाय मरीजों को दवा दे रहे हैं और अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। इस वक्त जिला अस्पताल मे सबसे ज्यादा मरीज वायरल बुखार के है। यहां रोज करीब 80 प्रतिशत मरीज बुखार से पीड़ित आ रहे हैं। अस्पताल मे 203 बेड है। जो इस वक्त फुल हो चुके है। मरीजों के लिए 15 बेड अलग से लगाए गए है जो लो भी कम पङने लगे है। फिलहाल बुखार से पीड़ित होने के बावज़ूद डाक्टर और अस्पताल स्टाफ अपनी डयुटी निभा रहा है।
अस्पताल मे भर्ती करने के लिए बेड नही
वायरल बुखार से अस्पताल मे सबसे बड़ी दिक्कत तब होती है जब बुखार का एक मरीज आता और उसके साथ चार से पांच तीमारदार आते है। रोज 80 प्रतिशत आने वाले मरीजों के साथ इतने तीमारदार होते है जिससे ट्रामा सेंटर मे जगह नही बचती है। अस्पताल स्टाफ न तो सही से इलाज कर पाता है और भीड़ होने के चलते दूसरे मरीजों को भर्ती करने मे भी दिक्कत आती है। जब तीमारदारों को ट्रामा सेंटर से बाहर निकाला जाता है तो वह नेतागीरी करके डाक्टर पर दबाव बनाना शुरू कर देते है जिससे डाक्टर भी डर की वजह से कुछ नही बोल पाता है।
हालांकि अपना नाम न छापने की शर्त पर ट्रामा सेंटर के डाक्टर ने बताया कि यहां 80 प्रतिशत लोग बुखार से पीड़ित आ रहे हैं। अस्पताल मे भर्ती करने के लिए बेड नही है। जब ये बात मरीजों के तीमारदारों को बताते हैं तो वह लङने लगते हैं उनका गुस्सा हमे देखना पङता है। उनका कहना है कि यहां रोज बुखार से आने वाले चार से पांच बच्चो की रोज मौत हो रही है। पिछले एक महीने की बात करे तो यहां पचास ज्यादा बच्चे वायरल बुखार से अपनी जान गवां चुके हैं। लेकिन स्वास्थ विभाग के आंकड़ों मे सिर्फ तीन बच्चो की ही मौत हुई है।
क्या कहते हैं सीएमओ
लेकिन सीएमओ आरपी रावत का आंकड़ा कुछ और ही बयान कर रहा है उनका कहना है अभी तक बुखार से मरने वाले बच्चो की संख्या सिर्फ तीन है। उनका कहना है कि जिन बच्चो की मौते हो रही है। उनकी सिर्फ बुखार आने से नही हो रही है। उनको कोई दूसरी भी बिमारी होती है। सिर्फ बुखार आने से महज तीन मौते ही हुई है। ऐसे मे हम किसकी माने उनकी जो डाक्टर इलाज करते है, या फिर उनकी जो बुखार से मरने वाले बच्चो की संख्या महज तीन बता रहे। जिसपर कोई भी भरोसा नही कर सकता।