अयोध्या साजिश का सच: डॉ. जोशी ने फैसले को बताया ऐतिहासिक, किया ये खुलासा
अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा उठाए जाने के मामले में 28 साल बाद आज फैसला सुनाया गया है। सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और डॉ मुरली मनोहर जोशी समेत 32 आरोपियों को बरी कर दिया है।
नई दिल्ली: बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आज बरी किए गए भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ मुरली मनोहर जोशी ने अदालत के फैसले को ऐतिहासिक बताया है। उन्होंने कहा कि कोर्ट के फैसले से यह बात साबित हो गई है कि अयोध्या में 6 दिसंबर की घटना के लिए कोई साजिश नहीं रची गई थी। उन्होंने कहा कि हम सभी इस फैसले पर खुश हैं और अब सभी को मिलकर राम मंदिर के निर्माण के लिए उत्साह से जुटना चाहिए।
डॉ जोशी ने फैसले पर जताई खुशी
अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा उठाए जाने के मामले में 28 साल बाद आज फैसला सुनाया गया है। सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और डॉ मुरली मनोहर जोशी समेत 32 आरोपियों को बरी कर दिया है। डॉ जोशी ने अदालत के फैसले पर खुशी जताते हुए इस केस में पक्ष रखने वाले सभी वकीलों को धन्यवाद दिया है।
कार्यक्रम नहीं था साजिश का हिस्सा
उन्होंने कहा कि अदालत के फैसले से साबित हो गया है की 1992 में 6 दिसंबर को अयोध्या में आयोजित हमारा कार्यक्रम या रैलियां किसी साजिश का हिस्सा नहीं थीं। सीबीआई कोर्ट के जज सुरेंद्र कुमार यादव की विशेष अदालत ने फैसला सुनाते हुए यह बात कही है कि विध्वंस की यह घटना पूर्व नियोजित नहीं थी बल्कि आकस्मिक घटना थी।
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वकीलों ने सही तरीके से रखा तथ्य
डॉ जोशी ने कहा कि यह काफी जटिल केस था मगर वकीलों ने कोर्ट के सामने इतने जटिल केस में सभी तथ्यों को सही तरीके से रखा है। उन्होंने कहा कि देश की न्याय व्यवस्था में हम सभी का पूरा विश्वास है और हर किसी को अदालत के इस फैसले को स्वीकार करना चाहिए। अदालत का फैसला आने के बाद केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद भी डॉक्टर जोशी से मिलने उनके आवास पर पहुंचे।
आडवाणी ने बेटी के साथ सुना फैसला
उधर इस मामले में बरी किए गए एक और आरोपी भाजपा के कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अपने घर पर अपनी बेटी का हाथ थामे हुए फैसले को सुना। राम मंदिर आंदोलन में लालकृष्ण आडवाणी की बड़ी भूमिका रही है और उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए रथ यात्रा भी निकाली थी।
हालांकि इस दौरान बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने उन्हें गिरफ्तार करवा दिया था। अदालत की ओर से फैसले के समय आडवाणी को भी तलब किया गया था मगर ज्यादा उम्र और स्वास्थ्य कारणों से वे फैसला सुनाए जाते वक्त अदालत में मौजूद नहीं थे।
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सुप्रीम कोर्ट ने दिया था जज को सेवा विस्तार
बाबरी विध्वंस मामले में 49 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था मगर 28 साल की अवधि के दौरान 17 लोगों की मौत हो चुकी है। इस मामले में वकीलों की ओर से करीब 800 पन्ने की लिखित बहस दाखिल की गई है।
इससे पहले सीबीआई ने 351 गवाह व करीब 600 से अधिक दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए। इस मामले में फैसला सुनाने वाले जज सुरेंद्र कुमार यादव पिछले साल 30 सितंबर को सेवानिवृत्त हो गए थे मगर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाने के लिए उन्हें सेवा विस्तार दे दिया था।