आम पर आयी खास मुसीबत: मौसम ने ली मिठास, कीड़ों ने बर्बाद की फसल

साल आम का इंतजार करने वाले लोगों को थोड़ी मायूसी हाथ लग सकती है। वजह है, लॉक डाउन और खराब मौसम के कारण आम की पैदावार में होने वाली कमी और पैकेजिंग व ट्रांसपोर्टिंग की सुविधा न होने से यह विदेश तो दूर देश के अन्य राज्यों में भी नहीं पहुंच पायेगा।

Update: 2020-05-10 09:03 GMT

लखनऊ: गर्मियां आ गई है और अब लोगों को इंतजार है आम का। तो आपका इंतजार खत्म होने वाला है। अगले जून माह की शुरूआत में ही आम के बाजार में आ जाने की उम्मीद है। लेकिन हर साल आम का इंतजार करने वाले लोगों को थोड़ी मायूसी हाथ लग सकती है। वजह है, लॉक डाउन और खराब मौसम के कारण आम की पैदावार में होने वाली कमी और पैकेजिंग व ट्रांसपोर्टिंग की सुविधा न होने से यह विदेश तो दूर देश के अन्य राज्यों में भी नहीं पहुंच पायेगा।

तेज़ आंधी और कीड़ों ने बर्बाद की फसल

राजधानी लखनऊ की सीमावर्ती मलिहाबाद फलपट्टी में आम बागों में इस साल बौर तो अच्छा आया था लेकिन कीड़ों ने फसल को खासा नुकसान पहुंचाया। लॉक डाउन के कारण बागान मालिकों को मजदूर नहीं मिल पाए, जिसके कारण सही समय पर बागों में कीटनाशक का छिड़काव नहीं हो सका। इसके अलावा रही सही कसर मौसम की खराबी ने पूरी कर दी। इस दौरान कई बार आयी तेज आंधी से फसल को बहुत नुकसान हुआ। तकरीबन चैथाई फसल बर्बाद हो चुकी है।

लॉक डाउन ने खड़ी की मुसीबत

मलिहाबाद के आम बागान के मालिक युसूफ बताते हैं कि इस साल पिछले साल जैसा अच्छा तो नहीं लेकिन ठीक बौर आया था। वह बताते है कि इस दौरान वह रामपुर गए थे और देश में लॉक डाउन लागू हो गया। लिहाजा, वह रामपुर में ही फंसे रहे और उनकी आम की आधे से ज्यादा फसल बर्बाद हो गई।

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एक और बाग मालिक रवि पाण्डेय बताते है कि लॉक डाउन के कारण जब जरूरत थी तब कीटनाशक का छिड़काव नहीं हो पाया और जब सरकार ने कीटनाशक और बीज खरीदने के लिए छूट दी, तब काफी देर हो चुकी थी। इसके अलावा बाजार में कीटनाशक बड़ी मुश्किल से मिल पा रहा है। उन्होंने बताया कि कई आम उत्पादकों की फसल का बीमा नहीं होने के कारण उनके सामने आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया है।

विदेश तो दूर देश की मंडियों में भी नहीं पहुंच पायेगा आम

मैंगो ग्रोवर्स एसोसिएशन आफ इंडिया के अध्यक्ष इंसराम अली ने लॉकडाउन के कारण उपजी स्थितियों पर गहरी चिंता जाहिर करते हुए बताया कि बिजली की कमी और लॉकडाउन के कारण मजदूर न मिलने की वजह से आम की सिंचाई नहीं हो पायी। पूर्ण बंदी की वजह से आम को सुरक्षित रखने के लिये पेटियां बनाने वाली फैक्ट्रियां भी बंद हैं। ऐसे में जब एक जिले से दूसरे जिले तक में आम पहुंचाना मुमकिन नहीं है, तो दूसरे देशों में उसका निर्यात करना दूर की बात है।

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उन्होंने कहा कि इस बार पूरी आशंका है कि दुनिया के कई देश लखनवी दशहरी समेत आम की तमाम किस्मों का स्वाद नहीं ले पायेंगे। दशहरी आम, अमेरिका, सऊदी अरब, कुवैत, कतर, बहरीन, सिंगापुर, ब्रिटेन,बांग्लादेश, नेपाल तथा पश्चिम एशिया के लगभग सभी देशों में निर्यात होता है। पिछले साल करीब 45 हजार मीट्रिक टन आम निर्यात हुआ था। उनका कहना है कि अगर लॉकडाउन लम्बा खिंचा तो आम मंडियों तक नहीं पहुंच पाएगा। तब या तो वह डाल पर ही सड़ जाएगा, या फिर कौड़ियों के भाव बिकेगा।

उन्होंने सरकार से मांग की कि वह गेहूं और धान की तरह आम का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर उसे खरीदे ताकि आम के उत्पादकों को बरबाद होने से बचाया जा सके।

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देश में सालाना लगभग 2. 2 करोड टन आम का उत्पादन

बता दें कि पूरे देश में सालाना लगभग 2. 2 करोड टन आम का उत्पादन होता है। जिसमे से 23 फीसदी आम का उत्पादन उत्तर प्रदेश की 15 मैंगों बेल्ट में होता है। जिनमे लखनऊ की मलीहाबाद, बाराबंकी, प्रतापगढ़, उन्नाव के हसनगंज, हरदोई के शाहाबाद,सहारनपुर, मेरठ तथा बुलंदशहर शामिल है। इसमे भी राजधानी लखनऊ के पास स्थित महिलाबाद के दशहरी आम की कई देशों में काफी मांग रहती है।

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