Ease of Living Index: देश के Top-10 जिलों में झांसी, म्यूनिसिपैलिटी में 9वां स्थान

शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने टॉप म्यूनिसिपैलिटीज की लिस्ट भी जारी की। इसे दो कैटेगरी 10 लाख से कम आबादी और 10 लाख से ज्यादा आबादी में बांटा गया।

Update: 2021-03-04 14:53 GMT

झांसीः भारत में 10 लाख से कम की आबादी वाले शहरों में रहने के लिहाज से उत्तर प्रदेश के झांसी जिले ने अपनी पहचान बनाई है। नगरपालिका प्रदर्शन सूचकांक, 2020 की सूची जारी हुई है, जिसमें पहले स्थान पर नई दिल्ली का नाम शामिल है। वहीं 9वें स्थान पर झांसी का स्थान है। बता दें कि इस लिस्ट में 60 जिलों के नाम है।

ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स की लिस्ट जारी

ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स की 111 शहरों की सूची में बेंगलुरु के अलावा पुणे और अहमदाबाद जैसे शहर भी टॉप लिस्ट में शामिल हैं, जबकि बरेली, धनबाद और श्रीनगर आखिरी पायदान वाले शहरों में से एक हैं। इस रैंकिंग को आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) ने घोषित किया।

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टॉप म्यूनिसिपैलिटीज की लिस्ट में झांसी का नाम

शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने टॉप म्यूनिसिपैलिटीज की लिस्ट भी जारी की। इसे दो कैटेगरी 10 लाख से कम आबादी और 10 लाख से ज्यादा आबादी में बांटा गया। 10 लाख से ज्यादा आबादी वाली कैटेगरी में इंदौर बेस्ट नगर निगम रहा। वहीं सूरत और भोपाल भी टॉप लिस्ट में शामिल हैं।

10 लाख से कम आबादी वाले शहर में झांसी 9वें स्थान पर

जबकि 10 लाख से कम आबादी वाली कैटेगरी में नई दिल्ली म्यूनिसिपल काउंसिल (NDMC) नंबर वन पर है। इसके अलावा तिरुपति, गांधीनगर, करनाल, सलेम, तिरुप्पुर, बिलासपुर, उदयपुर, झांसी और तिरुनेलवेली को रखा गया।

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वहीं शहरी विकास मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 10 लाख से कम की आबादी वाले शहरों में शिमला पहले स्थान पर है, जबकि बिहार का मुजफ्फरपुर आखिरी नंबर पर आता है। 10 लाख से कम आबादी वाले शहरों में शिमला के बाद भुवनेश्वर, सिलवासा, ककिनादा, सलेम, वेल्लोर, गांधीनगर, गुरुग्राम, दावणगेरे और तिरुचिरापल्ली हैं।

शहरों की रैंकिंग का आधार ये-

ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स में शहरों की रैंकिंग को वहां के जीवन की गुणवत्ता और शहरी विकास के जुड़े कई पहलुओं के आधार पर तय किया जाता है। इसमें जीवन की गुणवत्ता, शहर की इकोनॉमिक एबिलिटी, सस्टेनेबिलिटी और रिजीलिएंस मे उत्तम प्रदर्शन के मुताबिक चयन होता है। वहीं नगर निगमों का आकलन सर्विसेज, फाइनेंस, पॉलिसी, टेक्नोलॉजी और गवर्नेंस के आधार पर किया जाता है।

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