राजनीतिक दलों का मुकाबला: जो मई में एक बार फिर होगा जोरदार

जहां एक तरफ सत्ताधारी भाजपा विधानपरिषद में अपना बहुमत बढ़ाने का प्रयास करेगी वहीं उपचुनाव में तीन सीटे हासिल करने वालीे मुख्य विपक्षी पार्टी सपा भाजपा से कड़ा मुकाबला करेगी। चुनाव प्रक्रिया मार्च-अप्रैल में शुरू हो जाएगी पर इसकी तैयारी जनवरी से ही शुरू हो जाएगी।

Update: 2020-01-02 14:32 GMT

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: इस वर्ष में मई में होने वाले विधानपरिषद चुनाव राजनीतिक दलों के लिए कडे़ इम्तहान साबित होंगे। जहां एक तरफ सत्ताधारी भाजपा विधानपरिषद में अपना बहुमत बढ़ाने का प्रयास करेगी वहीं उपचुनाव में तीन सीटे हासिल करने वालीे मुख्य विपक्षी पार्टी सपा भाजपा से कड़ा मुकाबला करेगी। चुनाव प्रक्रिया मार्च-अप्रैल में शुरू हो जाएगी पर इसकी तैयारी जनवरी से ही शुरू हो जाएगी।

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पार्टी ने पहली बार अपने प्रत्याशियों को सिम्बल देने का फैसला लिया है

इस वर्ष मई में विधान परिषद के स्नातक व शिक्षक कोटे की 11 सीटों के चुनाव होने हैे। इन सीटों के लिए सबसे अधिक गंभीर सत्ताधारी भाजपा ही दिख रही है क्योंकि विधान परिषद में उसका बहुमत नहीं है। पार्टी ने पहली बार अपने प्रत्याशियों को सिम्बल देने का फैसला लिया है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने हाल ही में कहा कि भारतीय जनता पार्टी विधान परिषद स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की लखनऊ, वाराणसी, आगरा, मेरठ, इलाहाबाद-झांसी और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र की लखनऊ, वाराणसी, आगरा, मेरठ, बरेली-मुरादाबाद तथा गोरखपुर-फैजाबाद सीटों पर पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ेगी और सभी सीटें जीतेगी।

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भाजपा ने इन चुनावों के लिए संगठन स्तर पर कई पदािधकारियों को जिम्मेदारियां सौंपी है। संगठन की तरफ से 26 जनवरी से मतदाताओं से जनसम्पर्क करने को कहा गया है। पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा गया है कि स्नातक क्षेत्र की पांच और शिक्षक क्षेत्र की छह सीटों पर परचम फहराना है। सघन संपर्क में पार्टी की विचारधारा के साथ नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्याे को लोगों तक पहुंचाना है।

उधर समाजवादी पार्टी भी इन चुनावों को लेकर बेहद गंभीर है। पार्टी ने कुछेक प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए है। विधानसभा उपचुनाव की 11 सीटों के उपचुनाव में तीन सीटे हासिल करने के बाद पार्टी का उत्साह बढ़ा हुआ है। वहीं बसपा को इस चुनाव में कोई सफलता नहीं मिली थी जबकि उसने अपनी एक सीट गवां भी दी थी। लोकसभा चुनाव में गठबन्धन के साथ चुनाव लडने के बाद उपचुनाव में सपा बसपा अलग अलग चुनाव में उतरे थें। इन चुनावों में सपा के बाजी मारने के बाद फिलहाल वहीं मुख्य मुकाबले में रहेगी।

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विधानपरिषद सदस्यों का कार्यकाल 6 मई को खत्म होगा

बसपा ने इन चुनाव के लिए अब तक किसी के नाम की घोषणा नहीं की हैेे। जबकि कांग्रेस फिलहाल विधानपरिषद चुनाव की तैयारियों को लेकर सबसे पीछे चल रही हैे।

जिन विधानपरिषद सदस्यों का कार्यकाल 6 मई को खत्म होने जा रहा है उनमें डा असीम यादव, सजंय कुमार मिश्र, केदारनाथ सिंह, डा य़ग्यदत्त शर्मा ओमप्रकाश शर्मा जगवीर किशोर जैन धु्रव कुमार त्रिपाठी हेम सिंह पुण्डीर चेत नारायण सिंह उमेश द्विवेदी तथा कांति सिंह के नाम शामिल हैं।

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